NCERT Class 8 Hindi Vasant Chapter 2 बस की यात्रा

NCERT Class 8 Hindi Vasant Chapter 2 बस की यात्रा Solutions in Hindi Medium to each chapter is provided in the list so that you can easily browse through different chapters NCERT Class 8 Hindi Vasant Chapter 2 बस की यात्रा Notes in Hindi and select need one. NCERT Class 8 Hindi Vasant Chapter 2 बस की यात्रा Question Answers Hindi Medium Download PDF. NCERT Class 8 Hindi Vasant Bhag – 3 Hindi Medium Texbook Solutions.

NCERT Class 8 Hindi Vasant Chapter 2 बस की यात्रा

Join Telegram channel

Also, you can read the NCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per Central Board of Secondary Education (CBSE) Book guidelines. CBSE Class 8 Hindi Vasant Bhag – 3 Textual Solutions are part of All Subject Solutions. Here we have given NCERT Class 8 Hindi Vasant Chapter 2 बस की यात्रा Notes, CBSE Class 8 Hindi Vasant Bhag – 3 Textbook Solutions for All Chapters, You can practice these here.

Chapter: 2

वसंत

प्रश्न-अभ्यास

कारण बताएँ

1. “मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा।”

• लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई?

उत्तर: बस कंपनी के हिस्सेदार साहब टायर की खराब स्थिति जानते हुए भी अपनी जान जोखिम में डालकर बस से यात्रा कर रहे थे, जिससे उनकी आत्म-बलिदान की भावना ने लेखक को प्रभावित किया। हालांकि, लेखक ने व्यंग्यात्मक रूप से उनकी लापरवाही को उजागर करते हुए कहा कि यदि बस दुर्घटनाग्रस्त हो जाती, तो देवता भी साहसपूर्वक टायर न बदलने वाले हिस्सेदार का स्वागत करते। इससे लेखक के मन में उनके प्रति व्यंग्यपूर्ण श्रद्धा उत्पन्न हुई।

2. “लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते।”

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

• लोगों ने यह सलाह क्यों दी?

उत्तर: लेखक के अनुसार बस डाकिन की तरह थी, जिसकी हालत बहुत खराब थी। उसकी स्थिति ऐसी थी कि कब और कहाँ रुक जाए, इसका कोई भरोसा नहीं था। कभी भी ब्रेक फेल हो सकता था या स्टीयरिंग टूट सकता था, जिससे रात जंगल में बिताने की नौबत आ सकती थी। बस की इस असुरक्षित स्थिति के कारण ही लोगों ने सलाह दी कि समझदार व्यक्ति इस शाम वाली बस से यात्रा न करें।

3. “ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।”

• लेखक को ऐसा क्यों लगा?

उत्तर: लेखक को ऐसा इसलिए लगा क्योंकि बस की हालत बहुत खराब थी और इंजन की आवाज़ पूरे बस में गूंज रही थी। बस के काँच भी टूटे हुए थे, जिससे यात्रियों को बचकर बैठना पड़ रहा था। इंजन के शोर और सीटों के नीचे से आने वाली आवाज़ के कारण ऐसा लग रहा था मानो वे इंजन के भीतर ही बैठे हों।

4. “गजब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।”

• लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?

उत्तर: लेखक को यह सुनकर हैरानी इसलिए हुई क्योंकि बस की हालत इतनी खराब थी कि उसे चलते हुए देख पाना भी मुश्किल लग रहा था। जब हिस्सेदार ने आत्मविश्वास से कहा कि बस अपने आप चलती है, तो यह उनकी उम्मीद से परे था। बस की जर्जर स्थिति और टूटे-फूटे हिस्सों को देखते हुए लेखक को आश्चर्य हुआ कि ऐसी बस वास्तव में कैसे चल सकती है।

5. “मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।”

• लेखक पेड़ों को दुश्मन क्यों समझ रहा था?

उत्तर: लेखक पेड़ों को अपना दुश्मन इसलिए समझ रहा था क्योंकि बस की हालत बहुत खराब थी और उसे किसी भी समय ब्रेक फेल होने या स्टीयरिंग टूटने का डर था। रास्ते के हर पेड़ को देखकर उसे आशंका होती थी कि बस उससे टकरा जाएगी। एक पेड़ के पास से सुरक्षित निकलने के बाद वह अगले पेड़ से टकराने का डर महसूस करता था। बस की असुरक्षा के कारण ही लेखक को हर पेड़ एक संभावित खतरा लग रहा था।

पाठ से आगे

1. ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ किसके नेतृत्व में, किस उद्देश्य से तथा कब हुआ था? इतिहास की उपलब्ध पुस्तकों के आधार पर लिखिए।

उत्तर: सविनय अवज्ञा आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में 12 मार्च 1930 को शुरू हुआ था। इसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के अन्यायपूर्ण कानूनों, विशेषकर नमक कानून, का शांतिपूर्ण विरोध करना था। गांधीजी ने डांडी मार्च करके नमक कानून तोड़ा, जिससे पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। इस आंदोलन का लक्ष्य भारत की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना और ब्रिटिश शासन के अन्यायपूर्ण कानूनों का बहिष्कार करना था। यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।

2. सविनय अवज्ञा का उपयोग व्यंग्यकार ने किस रूप में किया है? लिखिए।

उत्तर: व्यंग्यकार ने “सविनय अवज्ञा” का उपयोग आज्ञा पालन करते हुए भी असहमति जताने के अर्थ में किया है। उन्होंने इसे एक व्यंग्यात्मक रूप में प्रस्तुत किया, जहाँ लोग सतही तौर पर नियमों का पालन करते दिखते हैं, लेकिन वास्तव में वे उनका विरोध कर रहे होते हैं। यह समाज में उन विरोधाभासी स्थितियों को दर्शाता है, जहाँ लोग सम्मानपूर्वक व्यवस्था के प्रति असहमति जताते हैं, जिससे व्यंग्य की तीव्रता और प्रभाव बढ़ जाता है।

3. आप अपनी किसी यात्रा के खट्टे-मीठे अनुभवों को याद करते हुए एक लेख लिखिए।

उत्तर: यात्रा के खट्टे-मीठे अनुभव:

यात्राएँ जीवन को नए अनुभवों से भर देती हैं। मेरी ऐसी ही एक यादगार यात्रा पिछले साल की है, जब मैं दोस्तों के साथ मनाली गया था। मनाली की वादियाँ, ठंडी हवाएँ और बर्फ से ढके पहाड़ों ने हमें मंत्रमुग्ध कर दिया। हालाँकि, यात्रा की शुरुआत में ही हमारी ट्रेन देर से पहुँची, जिससे हमें बस छूटने का खतरा हो गया। भागते-भागते किसी तरह बस पकड़ी, लेकिन यह भी एक रोमांचक अनुभव था।

मनाली पहुँचने के बाद हमारा सामना ठंड और हल्की बारिश से हुआ। इसने शुरुआत में थोड़ी परेशानी दी, लेकिन गर्म चाय और पकौड़े ने मौसम का आनंद दोगुना कर दिया। एक दिन हम सोलंग वैली गए, जहाँ बर्फबारी का आनंद लिया। स्नोफॉल के बीच दोस्तों के साथ मस्ती करना, तस्वीरें खींचना और बर्फ में खेलना अद्भुत था। हालाँकि, वहाँ पर गाइड ने हमें ज्यादा दूर जाने से मना किया था, लेकिन हम रोमांच के चक्कर में आगे बढ़ गए। रास्ता फिसलन भरा था, जिससे एक दोस्त गिर पड़ा और हल्की चोट आई।

वापसी पर हम थके हुए थे, लेकिन मन में यादों का खजाना था। इस यात्रा ने हमें सिखाया कि योजनाओं में बदलाव या छोटी-मोटी समस्याएँ भी यात्रा का हिस्सा हैं। कुल मिलाकर, यह यात्रा खट्टे-मीठे अनुभवों के साथ यादगार बन गई, जिसे मैं हमेशा याद रखूँगा।

मन-बहलाना

(i) अनुमान कीजिए यदि बस जीवित प्राणी होती, बोल सकती तो वह अपनी बुरी हालत और भारी बोझ के कष्ट को किन शब्दों में व्यक्त करती? लिखिए।

उत्तर: यदि बस जीवित प्राणी होती और अपनी बुरी हालत तथा भारी बोझ को व्यक्त कर सकती, तो शायद वह इन शब्दों में कहती:

“ओ यात्रियों, मेरी हालत देखो! मैं बूढ़ी और थकी हुई हूँ। मेरे पहिए लड़खड़ा रहे हैं, स्टीयरिंग कांप रहा है, और मेरा हर जोड़ दर्द से कराह रहा है। हर बार जब मैं पहाड़ी चढ़ती हूँ या गड्ढे से गुजरती हूँ, तो लगता है कि मेरी हड्डियाँ टूट जाएँगी। मैं वर्षों से आपकी सेवा कर रही हूँ, लेकिन अब मेरे पास ताकत नहीं बची। भारी बोझ से मेरा दम घुटता है। अगर आप मेरी मदद कर सकते हैं, तो थोड़ा आराम दो, मेरी मरम्मत करो। मैं भी चाहती हूँ कि आराम से आपकी यात्रा पूरी करवा सकूँ। लेकिन इस हालत में, हर सफर मेरे लिए एक नई परीक्षा है।”

भाषा की बात

1. बस, वश, बस तीन शब्द हैं-इनमें बस सवारी के अर्थ में, वश अधीनता के अर्थ में, और बस पर्याप्त (काफी) के अर्थ में प्रयुक्त होता है, जैसे-बस से चलना होगा। मेरे वश में नहीं है। अब बस करो।

• उपर्युक्त वाक्यों के समान वश और बस शब्द से दो-दो वाक्य बनाइए।

उत्तर: वश:

(i) यह काम मेरे वश में नहीं है।

(ii) अपनी इच्छाओं को वश में रखना चाहिए।

बस:

(i) हमें अगले स्टॉप पर बस से उतरना है।

(ii) अब बस करो, ज्यादा बहस मत करो।

2. “हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है।”

ऊपर दिए गए वाक्यों में ने, की, से आदि वाक्य के दो शब्दों के बीच संबंध स्थापित कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को कारक कहते हैं। इसी तरह दो वाक्यों को एक साथ जोड़ने के लिए ‘कि’ का प्रयोग होता है।

• कहानी में से दोनों प्रकार के चार वाक्यों को चुनिए।

उत्तर: जो भी पेड़ आता, डर लगता कि बस इससे टकरायेगी।

यह बस पूजा के योग्य है।

हमें लग रहा था कि हमारी सीट के नीचे इंजन है।

नयी नवेली बसों से ज़्यादा विश्वसनीय है।

3. “हम फ़ौरन खिड़की से दूर सरक गए। चाँदनी में रास्ता टटोलकर वह रेंग रही थी।” 

दिए गए वाक्यों में आई ‘सरकना’ और ‘रंगना’ जैसी क्रियाएँ दो प्रकार की गतियाँ दर्शाती हैं। ऐसी कुछ और क्रियाएँ एकत्र कीजिए जो गति के लिए प्रयुक्त होती हैं. जैसे घूमना इत्यादि। उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

उत्तर: गति दर्शाने वाली कुछ अन्य क्रियाएँ निम्नलिखित हैं:

(i) दौड़ना: बच्चे मैदान में तेज़ी से दौड़ रहे थे।

(ii) चलना: वह थके कदमों से धीरे-धीरे चल रहा था।

(iii) भागना: डर के मारे वह जंगल की ओर भाग गया।

(iv) लुढ़कना: गेंद सीढ़ियों से लुढ़कते हुए नीचे आ गई।

(v) उड़ना: पक्षी खुले आसमान में उन्मुक्त होकर उड़ रहे थे।

(vi) फिसलना: बारिश के कारण सड़क पर फिसलना आसान हो गया।

(vii) घूमना: वह बगीचे में फूलों के बीच घूमने लगी।

(viii) कूदना: बच्चे खुशी से उछल-कूद कर रहे थे।

(ix) लहराना: झंडा तेज़ हवा में लहरा रहा था।

(x) घसीटना: वह भारी सामान को ज़मीन पर घसीटकर ले गया।

4. “काँच बहुत कम बचे थे। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था।”

इस वाक्य में ‘बच’ शब्द को दो तरह से प्रयोग किया गया है। एक ‘शेष’ के अर्थ में और दूसरा ‘सुरक्षा’ के अर्थ में।

नीचे दिए गए शब्दों को वाक्यों में प्रयोग करके देखिए। ध्यान रहे, एक ही शब्द वाक्य में दो बार आना चाहिए और शब्दों के अर्थ में कुछ बदलाव होना चाहिए।

(क) जल।

उत्तर: जल:

बर्तन में रखा जल ठंडा हो गया था, इसलिए हमें उसे पीने में कोई दिक्कत नहीं हुई।

परीक्षा में असफल होने पर उसके ऑंखो से जल की बूंदें छलक आईं।

(ख) हार।

उत्तर: हार:

प्रतियोगिता में उसे हार स्वीकार करनी पड़ी, लेकिन उसने खेल भावना से काम लिया।

माँ ने सोने का नया हार खरीदने की इच्छा जताई।

5. बोलचाल में प्रचलित अंग्रेजी शब्द ‘फर्स्ट क्लास’ में दो शब्द हैं- फर्स्ट और क्लास। यहाँ क्लास का विशेषण है फर्स्ट। चूँकि फर्स्ट संख्या है, फर्स्ट क्लास संख्यावाचक विशेषण का उदाहरण है। ‘महान आदमी’ में किसी आदमी की विशेषता है महान। यह गुणवाचक विशेषण है। संख्यावाचक विशेषण और गुणवाचक विशेषण के दो-दो उदाहरण खोजकर लिखिए।

उत्तर: संख्यावाचक विशेषण के उदाहरण: आठ दोस्त, दो कारे।

गुणवाचक विशेषण के उदाहरण: बहादुर लड़का, सुंदर लड़की।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This will close in 0 seconds

Scroll to Top