NCERT Class 12 Sociology Chapter 9 भारतीय समाज: एक परिचय

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NCERT Class 12 Sociology Chapter 9 भारतीय समाज: एक परिचय

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Chapter: 9

भारतीय समाज
प्रश्नावली

1. समाजशास्त्र और अन्य सामाजिक विज्ञानों के बीच अंतर क्या है?

उत्तर: समाजशास्त्र और अन्य सामाजिक विज्ञानों के बीच मुख्य अंतर यह है कि समाजशास्त्र समाज और सामाजिक संरचनाओं के अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करता है। समाजशास्त्र में व्यक्तिगत और सामूहिक व्यवहार, सामाजिक समूहों और संगठनों, सामाजिक बदलाव और समाज के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया जाता है। अन्य सामाजिक विज्ञानों जैसे राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, और मनोविज्ञान, समाज के विभिन्न हिस्सों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन समाजशास्त्र समाज के समग्र अध्ययन की ओर अधिक प्रवृत्त होता है। जबकि अन्य सामाजिक विज्ञान विशेष रूप से एक विशिष्ट क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते हैं, समाजशास्त्र समाज के भीतर हो रहे बदलावों, संघर्षों, और अन्य सामाजिक तत्वों का गहराई से विश्लेषण करता है।

2. समाजशास्त्र को एक स्वतंत्र विषय के रूप में क्यों माना जाता है?

उत्तर: समाजशास्त्र को एक स्वतंत्र विषय के रूप में माना जाता है क्योंकि इसका अध्ययन समाज के संगठन, संरचनाओं, और इसके कार्यों पर केंद्रित है। समाजशास्त्र के अंतर्गत हम समाज के विभिन्न पहलुओं जैसे शिक्षा, धर्म, संस्कृति, परिवार, राजनीति, और आर्थिक ढांचे का विश्लेषण करते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक परिवर्तनों, संघर्षों, और सामाजिक संबंधों की समझ विकसित करना है, जो इसे अन्य सामाजिक विज्ञानों से अलग बनाता है। समाजशास्त्र एक बहुआयामी विषय है जो समाज की बुनियादी संरचनाओं और उनके प्रभावों को समझने के लिए आवश्यक है, और इसके अध्ययन से हम मानव व्यवहार और समाज के विकास की प्रक्रियाओं को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।

3. समाजशास्त्र में स्वयायका (self-awareness) का क्या महत्व है?

उत्तर: समाजशास्त्र में स्वयायका का महत्व अत्यधिक है क्योंकि यह व्यक्ति को अपनी सामाजिक पहचान और भूमिका को समझने में मदद करता है। स्वयायका का मतलब है खुद की आलोचना और विचारशीलता, जो समाज में एक व्यक्ति के स्थान और उसकी क्रियाओं के बारे में समझ को बढ़ाती है। समाजशास्त्र में, जब हम अपने समाज को समझते हैं, तो हम अक्सर अपनी पहचान और अपनी सोच की सीमाओं को पहचानते हैं। यह प्रक्रिया हमें समाज में होने वाले बदलावों को और अधिक गहराई से समझने की क्षमता प्रदान करती है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने विचारों और धारणाओं की समीक्षा करता है और यह जानता है कि समाज के भीतर उनकी भूमिका क्या हो सकती है। यह आत्म-विश्लेषण और समाज के भीतर अपने स्थान का पुनर्मूल्यांकन करने का एक प्रभावी तरीका है।

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4. समाजशास्त्र कैसे हमें समाज में होने वाले परिवर्तनों को समझने में मदद करता है?

उत्तर: समाजशास्त्र समाज के भीतर हो रहे परिवर्तनों को समझने का एक प्रभावी उपकरण है। यह न केवल सामाजिक परिवर्तन के कारणों को समझने में मदद करता है, बल्कि यह भी बताता है कि इन परिवर्तनों का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है। समाजशास्त्र सामाजिक बदलावों के अध्ययन में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और संरचनात्मक दृष्टिकोण का उपयोग करता है, ताकि हम यह समझ सकें कि समाज कैसे बदलता है और क्यों बदलता है। यह विभिन्न सामाजिक घटनाओं, जैसे जनसंख्या वृद्धि, तकनीकी विकास, और राजनीतिक आंदोलन, के प्रभावों का विश्लेषण करता है। इसके अलावा, समाजशास्त्र सामाजिक असमानताओं, संघर्षों, और सामाजिक आंदोलनों को समझने में भी मदद करता है, जो समाज में परिवर्तन लाने के प्रमुख कारक होते हैं।

5. समाजशास्त्र के अध्ययन से हमें भारतीय समाज के बारे में क्या समझ मिलती है?

उत्तर: समाजशास्त्र के अध्ययन से हमें भारतीय समाज की जटिल संरचना और इसके भीतर की सामाजिक गतिशीलता को समझने में मदद मिलती है। भारतीय समाज विविधताओं से भरा हुआ है, जिसमें विभिन्न जातियाँ, धर्म, भाषा, और संस्कृति शामिल हैं। समाजशास्त्र के माध्यम से हम भारतीय समाज में जातिवाद, लैंगिक असमानता, और आर्थिक विषमताओं जैसे मुद्दों को समझ सकते हैं। यह हमें यह भी समझने में मदद करता है कि भारतीय समाज में परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन कैसे बनाए रखा जाता है। इसके अध्ययन से हम यह जान सकते हैं कि समाज में सामाजिक परिवर्तन किस प्रकार होते हैं और किस तरह से समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संघर्ष उत्पन्न होते हैं। समाजशास्त्र भारतीय समाज के इन जटिल पहलुओं का विश्लेषण करके समाज में बदलाव लाने की संभावनाओं को उजागर करता है।

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