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NCERT Class 12 Sociology Chapter 7 जनसंपर्क साधन और जनसंचार
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जनसंपर्क साधन और जनसंचार
Chapter: 7
भारत में सामाजिक परिवर्तन एवं विकास |
प्रश्नावली |
1. समाचारपत्र उद्योग में जो परिवर्तन हो रहे हैं, उनकी रूपरेखा प्रस्तुत करें। इन परिवर्तनों के बारे में आपकी क्या राय है?
उत्तर: समाचारपत्र उद्योग में हाल के वर्षों में सबसे बड़ा परिवर्तन तकनीकी उन्नति का रहा है, जिसके तहत कागज़ीय उत्पादन‑प्रसारण पूरी तरह डिजिटलीकृत हो गया है और पी.सी., लैपटॉप, मोबाइल तथा डिजिटल कैमरा जैसे उपकरण पहले पत्रकारों के डेस्कटॉप पब्लिशिंग सॉफ़्टवेयर और ऑनलाइन एडिटिंग समाधान के साथ जुड़ चुके हैं, जिससे समाचार संकलन से लेकर पृष्ठांकन एवं वितरण तक की प्रक्रिया तीव्र और सटीक हुई है। दूसरी ओर, बड़े प्रकाशन समूह स्थानीय और क्षेत्रीय संस्करणों की संख्या बढ़ाकर ‘मलयाली मनोरमा’ व ‘ई’नाडु’ जैसी प्रमुख प्रकाशनों ने जिलास्तरीय व ब्लॉक स्तरीय संसकरण छापना प्रारंभ किया है, ताकि ग्रामीण व छोटे कस्बों की ख़बरें भी पाठकों तक पहुँचे , तेलुगु, कन्नड़ आदि भारतीय भाषाओं के समाचारपत्रों का प्रसार तेजी से बढ़ा है—2019 में हिंदी दैनिकों के पाठक 19.1 करोड़ से बढ़कर 42.5 करोड़ पर पहुँच गए हैं मीडिया और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स से प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए समाचारपत्रों ने कवर प्राइस में कटौती कर विज्ञापन राजस्व पर निर्भरता बढ़ा दी है, परिणामस्वरूप सामग्री पर विज्ञापनों का दबाव भी बढ़ा है T.V में ये परिवर्तन सूचना की उपलब्धता, बहुलता और वितरण दक्षता के लिहाज़ से सकारात्मक हैं, किन्तु विज्ञापन‑आश्रित पत्रकारिता एवं कॉर्पोरेट कंट्रोल के बढ़ते प्रभुत्व के कारण समाचार की स्वतंत्रता और गुणवत्ता पर चुनौती बनी हुई है।
2. क्या एक जनसंचार के माध्यम के रूप में रेडियो खत्म हो रहा है? उदारीकरण के बाद भी भारत में एफ.एम. स्टेशनों के सामर्थ्य की चर्चा करें।
उत्तर: टेलीविजन की लोकप्रियता से पहले जनसंचार के माध्यम के रूप में रेडियो की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। दो – तिहाई घरों में रेडियो समाचारों और मनोरंजन का प्रमुख साधन था। टेलीविजन की बढ़ती लोकप्रियता से ऐसा लगने लगा कि रेडियो ख़त्म होता जा रहा है। लेकिन एक जनसंचार के माध्यम के रूप में रेडियो खत्म नहीं हो रहा है। 2002 में गैर- सरकारी स्वामित्व वाले एफ.एम. रेडियो स्टेशनों की स्थापना से आज पुनः रेडियो जनसंचार का एक लोकप्रिय साधन बन गया है।
वर्ष 2000 में, आकाशवाणी के कार्यक्रम भारत के सभी दो-तिहाई घर-परिवारों में, 24 भाषाओं और 146 बोलियों में, 12 करोड़ से भी अधिक रेडियो सेटों पर सुने जा सकते थे। 2002 में गैर सरकारी स्वामित्व वाले एफ.एम. रेडियो स्टेशनों की स्थापना से रेडियो पर मनोरंजन के कार्यक्रमों में बढ़ोतरी हुई। श्रोताओं को आकर्षित करने के लिए ये निजी तौर पर चलाए जा रहे रेडियो स्टेशन अपने श्रोताओं का मनोरंजन करते थे। चूँकि गैर सरकारी तौर पर चलाए जाने वाले एफ.एम.. चैनलों की एक विशिष्टता यह थी कि वे राजनीतिक समाचारों से मुक्त थे और केवल मनोरंजन सामग्री पर ध्यान केंद्रित करते थे। । ऐसे एक एफ.एम. चैनल का दावा है कि वह दिन-भर ‘हिट’ गानों को ही प्रसारित करता है। अधिकांश एफ.एम. चैनल जो कि युवा शहरी व्यावसायिकों तथा छात्रों में लोकप्रिय हैं, अक्सर मीडिया समूहों के होते हैं। जैसे ‘रेडियो मिर्ची’ ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ समूह का है, ‘रैड एफ.एम.’ ‘लिविंग मीडिया’ का और ‘रेडियो सिटी’ ‘स्टार नेटवर्क’ के स्वामित्व में हैं। लेकिन नेशनल पब्लिक रेडियो (यू.एस.ए.) अथवा बी.बी.सी. (यू.के.) जैसे स्वतंत्र रेडियो स्टेशन जो सार्वजनिक प्रसारण में संलग्न हैं, हमारे प्रसारण परिदृश्य से बाहर हैं।
3. टेलीविज़न के माध्यम में जो परिवर्तन होते रहे हैं उनकी रूपरेखा प्रस्तुत करें। चर्चा करें।
उत्तर: भारत में टेलीविज़न का विकास एक लंबी और परिवर्तनशील यात्रा रही है, जिसने सामाजिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है।
1959 में टेलीविज़न की शुरुआत एक प्रयोगात्मक परियोजना के रूप में हुई, जिसका उद्देश्य समुदाय विकास और औपचारिक शिक्षा में इसकी भूमिका का परीक्षण करना था। इस दौरान, दिल्ली में एक सीमित क्षेत्र में 20 मिनट के कार्यक्रम सप्ताह में दो दिन प्रसारित किए जाते थे। 1961 में विज्ञान शिक्षकों के लिए शैक्षिक कार्यक्रम शुरू हुए, और 1967 में ‘कृषि दर्शन’ कार्यक्रम ने किसानों को नई कृषि तकनीकों से अवगत कराया।
1975 में, ISRO और NASA के सहयोग से ‘सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविज़न प्रयोग (SITE) शुरू किया गया, जिसने छह राज्यों के 2400 गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और परिवार नियोजन पर आधारित कार्यक्रमों का प्रसारण किया। इस परियोजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीविज़न की पहुंच और प्रभाव को स्थापित किया।
1980 के दशक में दूरदर्शन का विस्तार हुआ, और ‘हम लोग’, ‘बुनियाद’, ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ जैसे धारावाहिकों ने टेलीविज़न को घर-घर तक पहुंचाया। 1982 में एशियाई खेलों के दौरान रंगीन प्रसारण की शुरुआत और राष्ट्रीय नेटवर्क के विस्तार ने टेलीविज़न के वाणिज्यीकरण को बढ़ावा दिया।
1990 के दशक में, खाड़ी युद्ध के दौरान CNN के लाइव प्रसारण ने भारतीय दर्शकों को उपग्रह टेलीविज़न से परिचित कराया। 1991 में स्टार टीवी और 1992 में ज़ी टीवी जैसे निजी चैनलों की शुरुआत ने भारतीय टेलीविज़न परिदृश्य को बदल दिया। इसके बाद, क्षेत्रीय भाषाओं में भी चैनलों की संख्या में वृद्धि हुई, जैसे सन टीवी, ईनाडु टीवी, उदय टीवी आदि।
2000 के दशक में, केबल और डीटीएच सेवाओं के माध्यम से टेलीविज़न की पहुंच और अधिक बढ़ी। 2015-16 की TRAI रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 18.1 करोड़ टेलीविज़न सेट थे, जो केबल, डीटीएच, दूरदर्शन और IPTV सेवाओं के माध्यम से संचालित हो रहे थे।
इस प्रकार, भारत में टेलीविज़न ने शिक्षा, सूचना और मनोरंजन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और यह माध्यम समय के साथ तकनीकी और सामाजिक परिवर्तनों के साथ विकसित होता रहा है।

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