NCERT Class 12 Sociology Chapter 6 भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन Solutions Hindi Medium to each chapter is provided in the list so that you can easily browse through different chapters NCERT Class 12 Sociology Chapter 6 भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन and select need one. NCERT Class 12 Sociology Chapter 6 भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन Question Answers Download PDF. NCERT Class 12 Sociology Bharat Main Samajik Parivartan Aur Vikas Texbook Solutions in Hindi.
NCERT Class 12 Sociology Chapter 6 भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन
Also, you can read the NCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per Central Board of Secondary Education (CBSE) Book guidelines. CBSE Class 12 Sociology Bharat Main Samajik Parivartan Aur Vika Textual Solutions in Hindi Medium are part of All Subject Solutions. Here we have given NCERT Class 12 Sociology Chapter 6 भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन Notes, CBSE Class 12 Sociology Bharat Main Samajik Parivartan Aur Vikas in Hindi Medium Textbook Solutions for All Chapters, You can practice these here.
भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन
Chapter: 6
भारत में सामाजिक परिवर्तन एवं विकास |
प्रश्नावली |
1. अपनी रुचि का कोई भी विषय चुनें और यह चर्चा करें कि भूमंडलीकरण ने उसे किस प्रकार प्रभावित किया है। आप सिनेमा, कार्य, विवाह अथवा कोई भी अन्य विषय चुन सकते हैं।
उत्तर: भूमंडलीकरण ने भारतीय शहरों में सिनेमा उपभोग की संस्कृति को मौलिक रूप से बदल दिया है। पहले गाँव‑कस्बों में एकल‑हॉल थियेटर हुआ करते थे, जहाँ एक ही स्क्रीन पर हर हफ़्ते एक या दो ही फ़िल्में दिखती थीं, टिकट भी सस्ते और सुविधाएँ न्यूनतम। लेकिन 1990 के बाद खुली अर्थव्यवस्था और विदेशी निवेश के दम पर बड़े शॉपिंग मॉल में मल्टीप्लेक्स ने अपनी अलग पहचान बनाई। एयर कंडीशन, आरामदेह सोफे, रेस्टोरेंट फ़ूड कोर्ट और ऑनलाइन टिकटिंग जैसे सुविधाओं ने फ़िल्म देखना–एक मात्र मनोरंजन से बदलकर पूरे दिन बिताने का ‘लाइफस्टाइल’ बना दिया। यहां न सिर्फ़ बॉलीवुड और साउथ की बड़ी ब्लॉकबस्टर, बल्कि हॉलीवुड की हीरे‑मणि वाली सुपरहीरो फ़िल्में भी प्रीमियर के दिन उपलब्ध होती हैं, जिससे दर्शक वैश्विक पॉपकॉर्न संस्कृति का हिस्सा बनते हैं।
सांस्कृतिक उपभोग की इस प्रक्रिया ने शहरों को एक समरूप चेहरा प्रदान किया है मुंबई हो या मणिपुर, दिल्ली हो या देवघर, हर बड़े शॉपिंग मॉल में फूड कोर्ट, मल्टीप्लेक्स, ब्रांडेड कॉफ़ी शॉप्स और फैंसी आउटलेट मिलते हैं। विज्ञापन‑प्रसार के ज़रिए यह बताया जाता है कि ‘जीवन का आनंद लेना’ मतलब ख़रीदारी करना, फ़िल्म देखना और लाउन्ज़‑बार‑क्लब जैसी सुविधाओं का आनंद लेना मतलब पैसा खर्च करना ही जीवन की उपलब्धि है। मिस यूनिवर्स या ‘कौन बनेगा करोड़पति’ जैसे ग्लोबल टॉक शो‑प्रतियोगिताओं की लोकप्रियता ने यह संदेश और तेज कर दिया है कि सफलता और ख़ुशी सिर्फ़ ईनाम और उपभोग से मापी जाती है। परिणामतः हमारे शहर प्रतिस्पर्धात्मक वैश्विक उपभोग‑केंद्र बन गए हैं, जहाँ ‘सांस्कृतिक’ गतिविधि उस समय तक अधूरी है जब तक उसमें ख़रीदारी और मनोरंजन न जुड़ा हो।
2. एक भूमंडलीकृत अर्थव्यवस्था के विशिष्ट लक्षण क्या हैं? चर्चा करें।
उत्तर: भूमंडलीकरण में सामाजिक और आर्थिक संबंधों का विश्वभर में विस्तार सम्मिलित है। यह विस्तार कुछ आर्थिक नीतियों द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है। मोटे तौर पर इस प्रक्रिया को भारत में उदारीकरण कहा जाता है। ‘उदारीकरण’ शब्द का तात्पर्य ऐसे अनेक नीतिगत निर्णयों से है जो भारत राज्य द्वारा 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व-बाज़ार के लिए खोल देने के उद्देश्य से लिए गए थे। इसके साथ ही, अर्थव्यवस्था पर अधिक नियंत्रण रखने के लिए सरकार द्वारा इससे पहले अपनाई जा रही नीति पर विराम लग गया। सरकार ने स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद अनेक ऐसे कानून बनाए थे जिनसे यह सुनिश्चित किया गया था कि भारतीय बाज़ार और भारतीय स्वदेशी व्यवसाय व्यापक विश्व की प्रतियोगिता से सुरक्षित रहें। इस नीति के पीछे यह अवधारणा थी कि उपनिवेशवाद से मुक्त हुआ देश स्वतंत्र बाज़ार की स्थिति में नुकसान में ही रहेगा।
अर्थव्यवस्था के उदारीकरण का अर्थ था भारतीय व्यापार को नियमित करने वाले नियमों और वित्तीय नियमनों को हटा देना। इन उपायों को ‘आर्थिक सुधार’ भी कहा जाता है। जुलाई 1991 से, भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपने सभी प्रमुख क्षेत्रों (कृषि, उद्योग, व्यापार, विदेशी निवेश और प्रौद्योगिकी, सार्वजनिक क्षेत्र, वित्तीय संस्थाएँ आदि) में सुधारों की एक लंबी श्रृंखला देखी है। इसके पीछे मूल अवधारणा यह थी कि भूमंडलीय बाज़ार में पहले से अधिक समावेश करना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
3. संस्कृति पर भूमंडलीकरण के प्रभाव की संक्षेप में चर्चा करें।
उत्तर: भूमंडलीकरण संस्कृति को कई प्रकार से प्रभावित करता है। हम पहले देख चुके हैं कि युगों से भारत सांस्कृतिक प्रभावों के प्रति खुला दृष्टिकोण अपनाए हुए है और इसी के फलस्वरूप वह सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध होता रहा है। पिछले दशक में कई बड़े-बड़े सांस्कृतिक परिवर्तन हुए हैं जिनसे यह डर पैदा हो गया है कि कहीं हमारी स्थानीय संस्कृतियाँ पीछे न रह जाएँ। हमने पहले देखा था कि हमारी सांस्कृतिक परंपरा ‘कूपमंडूक’ यानी जीवनभर कुएँ के भीतर रहने वाले उस मेंढक की स्थिति से सावधान रहने की शिक्षा देती रही है जो कुएँ से बाहर की दुनिया के बारे में कुछ नहीं जानता और हर बाहरी वस्तु के प्रति शंकालु बना रहता है। वह किसी से बात नहीं करता और किसी से भी किसी विषय पर तर्क-वितर्क नहीं करता। वह तो बस बाहरी दुनिया पर केवल संदेह करना ही जानता है। सौभाग्य से हम आज भी अपनी परंपरागत खुली अभिवृत्ति अपनाए हुए हैं। इसीलिए, हमारे समाज में राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर ही नहीं बल्कि कपड़ों, शैलियों, संगीत, फ़िल्म, भाषा, हाव-भाव आदि के बारे में भी गरमागरम बहस होती है। 19 वीं सदी के सुधारक और प्रारंभिक राष्ट्रवादी नेता भी संस्कृति तथा परंपरा पर विचार-विमर्श किया करते थे। मुद्दे आज भी कुछ दृष्टियों में वैसे ही हैं और कुछ अन्य दृष्टियों में भिन्न भी हैं। शायद अंतर यही है कि अब परिवर्तन की व्यापकता और गहनता भिन्न है।
4. भूस्थानीकरण क्या है? क्या यह बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपनाई गई बाज़ार संबंधी रणनीति है अथवा वास्तव में कोई सांस्कृतिक संश्लेषण हो रहा है, चर्चा करें।
उत्तर: भूस्थानीकरण का अर्थ है, भूस्थानीकरण, जो कि वैश्विक और स्थानीय का मिश्रण है, बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपनाई गई एक महत्वपूर्ण बाज़ार रणनीति है। यह पूर्णतः स्वतः प्रवर्तित नहीं होता और न ही भूमंडलीकरण के वाणिज्यिक हितों से इसका पूरी तरह संबंध-विच्छेद किया जा सकता है। हाँ, यह बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा अपनाई गई बाजार सम्बन्धी रणनीति है, जो अक्सर विदेशी फर्मों द्वारा अपना बाजार बढ़ाने के लिए स्थानीय परम्पराओं के साथ व्यवहार में लाई जाती है। उदाहरण के लिए, भारत में स्टार, एम.टी.वी., चैनल वी और कार्टून नेटवर्क सभी विदेशी टेलीविजन भारतीय भाषाओं का प्रयोग करते हैं।
संस्कृतिक दृष्टिकोण: भूस्थानीकरण न केवल एक व्यावसायिक रणनीति है, बल्कि यह सांस्कृतिक मिलाजुला भी है, जिसमें विभिन्न संस्कृतियों के बीच आदान-प्रदान होता है। यह वैश्विक संगीत प्रवृत्तियों को स्थानीय संगीत शैलियों के साथ मिला कर एक नया रूप देता है। उदाहरण स्वरूप, भाँगड़ा पॉप, इंडिपॉप, और फ्यूजन म्यूजिक जैसे संगीत शैलियाँ यह प्रदर्शित करती हैं कि कैसे वैश्विक संगीत शैलियाँ भारतीय लोक संगीत के साथ मिश्रित होकर नए सांस्कृतिक रूपों में विकसित होती हैं।
भूस्थानीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव: भूस्थानीकरण से न केवल वैश्विक उत्पादों को स्थानीय बनाना संभव होता है, बल्कि यह स्थानीय परंपराओं और सांस्कृतिक पहचान को भी पुनर्जीवित करता है। विदेशी कंपनियाँ अब भारतीय खाद्य प्रथाओं को ध्यान में रखते हुए अपने उत्पादों को भारतीय स्वाद के अनुसार प्रस्तुत करती हैं। इसके अलावा, यह वैश्विक और स्थानीय सांस्कृतिक तत्वों के बीच संतुलन बनाने में मदद करता है। जहाँ एक ओर भूमंडलीकरण की प्रक्रिया से वैश्विक सांस्कृतिक पहचान बन रही है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय संस्कृतियों की विशिष्टताएँ भी बनी रहती हैं।

Hi! my Name is Parimal Roy. I have completed my Bachelor’s degree in Philosophy (B.A.) from Silapathar General College. Currently, I am working as an HR Manager at Dev Library. It is a website that provides study materials for students from Class 3 to 12, including SCERT and NCERT notes. It also offers resources for BA, B.Com, B.Sc, and Computer Science, along with postgraduate notes. Besides study materials, the website has novels, eBooks, health and finance articles, biographies, quotes, and more.