NCERT Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 साखियाँ

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NCERT Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 साखियाँ

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Chapter: 7

क्षितिज

काव्य-खंड

प्रश्न-अभ्यास

1. ‘मानसरोवर’ से कवि का क्या आशय है?

उत्तर: मानसरोवर’ से कवि का आशय हृदय रुपी तालाब से है। जो हमारे मन में स्थित हैं।

2. कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है?

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उत्तर: सच्चे प्रेम से कवि का तात्पर्य भक्त की ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति से है। एक भक्त की सच्ची पहचान उसकी भक्ति से होती है, क्योंकि ईश्वर की प्राप्ति ही उसकी साधना की सर्वोच्च सफलता है।

3. तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्व दिया है?

उत्तर: तीसरे दोहे में कवि ने सहज जान को महत्व दिया है। वह ज्ञान जो सहजता से सुलभ हो हमें उसी ज्ञान की साधना करनी चाहिए।

4. इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है?

उत्तर: इस संसार में सच्चा संत वही कहलाता है जो भक्त निष्पक्ष भाव से ईश्वर की आराधना करता है।

5. अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है?

उत्तर: अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीरदास जी ने समाज में व्याप्त धार्मिक संकीर्णताओं, समाज में जाति-पाति की असमानता की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया गया है।

6. किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या उसके कमों से? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर: किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कर्मो से होती है न की उसके कुल से। कोई व्यक्ति यदि ऊँचे कुल में जन्म लेकर बुरे कर्म करता है तो वह निंदनीय होता है। इसके विपरीत यदि साधारण परिवार में जन्म लेकर कोई व्यक्ति यदि अच्छे कर्म करता है तो समाज में आदरणीय बन जाता है।

7. काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि। 

स्वान रूप संसार है, भूॅंकन दे झख मारि।

उत्तर: इस दोहे में ज्ञान को हाथी और संसार को कुत्ते से जोड़कर उसके महत्व को दर्शाया गया है। कबीर कहते हैं कि मनुष्य को ज्ञान रूपी हाथी की सवारी धैर्य और सहजता से करनी चाहिए। जैसे कालीन बिछाकर उसे आराम से चलाना। यदि संसार रूपी कुत्ता उसकी निंदा करता है, तो उसकी परवाह नहीं करनी चाहिए। यहाँ रूपक अलंकार का प्रयोग किया गया है। यह दोहा छंदबद्ध है और इसमें ‘हस्ती’, ‘स्वान’ तथा ‘ज्ञान’ जैसे तत्सम शब्दों का प्रयोग किया गया है। इसकी भाषा सधुक्कड़ी है, जिसमें सहज ज्ञान को प्रमुखता दी गई है।

सबद

8. मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ता फिरता है?

उत्तर: मनुष्य ईश्वर को मंदिर, मस्जिद, काबा, कैलाश जैसे पूजा स्थलों और धार्मिक स्थानों पर खोजता है।

9. कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है?

उत्तर: कबीर ने समाज द्वारा ईश्वर-प्राप्ति के लिए किए गए प्रयत्नों का खंडन किया है।

वे इस प्रकार हैं –

(i) कबीरदास जी के अनुसार, ईश्वर की प्राप्ति मंदिर या मस्जिद जाने से संभव नहीं होती।

(ii) ईश्वर की प्राप्ति के लिए कठिन साधना आवश्यक नहीं है।

(iii) कबीर ने मूर्ति-पूजा जैसे बाह्य आडंबरों का खंडन किया और ईश्वर को निराकार ब्रह्म माना।

(iv) उन्होंने योग, वैराग्य (संन्यास) के जीवन का विरोध करते हुए सहज भक्ति मार्ग को महत्व दिया।

10. कबीर ने ईश्वर को ‘सब स्वाँसों की स्वाँस में क्यों कहा है?

उत्तर: कबीर ने ईश्वर को ‘सब स्वाँसों की स्वाँस में’ इसलिए कहा है क्योंकि उनका मानना था कि ईश्वर हर जीव के भीतर निवास करता है। जब तक मनुष्य की साँस (जीवन) है तब तक ईश्वर उनकी आत्मा में हैं।

11. कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की?

उत्तर: कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से इसलिए की है क्योंकि आँधी में वो क्षमता होती है कि वो सब कुछ उड़ा सके। ज्ञान में भी प्रबल शाक्ति होती है जिससे वह मनुष्य के अंदर व्याप्त अज्ञानता के अंधकार को दूर कर देती है। परंतु वहीं सामान्य हवा में ऐसी क्षमता नहीं होती, इसी तरह ज्ञान भी मनुष्य के जीवन में बड़ा बदलाव लाता है।

12. ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर, क्या प्रभाव पड़‌ता है?

उत्तर: ज्ञान की आँधी से भक्त के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है, की उसके सारी शंकाए और अज्ञानता का नाश हो जाता है। ज्ञान की आंधी से भक्त के मन के भ्रम दूर हो जाते हैं और वह ईश्वर की भक्ति में तल्लीन हो जाता है

13. भाव स्पष्ट कीजिए-

(क) हिति चित्त की द्वै थूँनी गिरौनी, मांह बलिंडा तूटा।

उत्तर: इस कथन का आशय यह है कि जब किसी व्यक्ति के चित्त में उथल-पुथल होती है, तो उसकी स्थिति पहले से भी अधिक कठिन हो जाती है। “दूनी गिरौनी” का अर्थ है कि पहले से दोगुनी गिरावट आई है, और “बलिंडा टूटना” मनोवैज्ञानिक अस्थिरता या कठिनाई की ओर संकेत करता है। यहाँ यह कहना चाहते है कि जब मन में शांति नहीं होती, तब कोई भी व्यक्ति के निर्णय और भावनाएँ भी बिखरने लगती हैं।

(ख) आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भीनों।

उत्तर: ज्ञान की आँधी आने के बाद मन प्रभु की भक्ति में लीन हो गया। ज्ञान की वर्षा से सारी बुराइयाँ धुल गयी। अर्थात मन साफ़ हो गया।

रचना और अभिव्यक्ति

14. संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: प्रस्तुत दोहों में कबीरदास जी ने धार्मिक एकता तथा साम्प्रदायिक सद्भावना के विचार को व्यक्त किया है। उन्होंने हिंदु-मुस्लिम एकता का समर्थन किया तथा धार्मिक कुप्रथाओं जैसे मूर्तिपूजा का विरोध किया है। ईश्वर मंदिर, मस्जिद तथा गुरु‌द्वारे में नहीं होते हैं बल्कि मनुष्य की आत्मा में व्याप्त हैं।

कबीर ने प्रत्येक मनुष्य को किसी एक मत, संप्रदाय या धर्म के बंधनों में न पड़ने की सलाह दी है। उनके अनुसार, ये सभी चीजें मनुष्य को राह से भटकाने और विभाजन की ओर ले जाती हैं। इसलिए, हमें इन बंधनों से दूर रहते हुए सच्चे ज्ञान और मानवता के मार्ग पर चलना चाहिए।

भाषा-अध्ययन

15. निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए-

(i) पखापखी।

उत्तर: पखापखी – पक्ष-विपक्ष।

(ii) अनत।

उत्तर: अनत – अन्यत्र।

(iii) जोग।

उत्तर: जोग – योग।

(iv) जुराति।

उत्तर: जगति – युक्ति।

(v) बैराग।

उत्तर: बैराग – वैराग्य।

(vi) तिरपख।

उत्तर: तिरपख – त्रिपक्ष।

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