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NCERT Class 9 Hindi Kshitij Chapter 6 मेरे बचपन के दिन
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मेरे बचपन के दिन
Chapter: 6
क्षितिज
गद्य–खंड
प्रश्न-अभ्यास
1. ‘मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है। ‘इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि-
(क) उस समय लड़िकयों की दशा कैसी थी?
उत्तर: उस समय समाज में लड़कियों की दशा अच्छी नहीं थी क्योंकि लड़कियों को बोझ समझा जाता था। लड़की के जन्म होने पर घर-परिवार और रिश्ते-नातेदार सब उदास हो जाते थे। लोगों का दृष्टिकोण बहुत बुरा था। प्रायः लड़कियों को जन्म देते ही मार दिया जाता था। ऐसे वातावरण में लड़कियों के पालन-पोषण तथा पढ़ाई-लिखाई आदि पर ध्यान नहीं दिया जाता था। समाज में बाल-विवाह, दहेज प्रथा तथा सती-प्रथा जैसी कुरीतियाँ फैली हुई थी।
(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं?
उत्तर: लड़कियों के जन्म के संबंध में आज काफी सुधार आया हैं। अब लोग धीरे-धीरे लड़का-लड़की के अंतर को कम करते जा रहे हैं। किन्तु यह भेदभाव आज भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। पहले के लोग लड़की को जन्म देने के बाद मार डालते थे। आज विज्ञान और तकनीक का दुरुपयोग करके लोग गर्भ में ही कन्या भ्रूण की हत्या कर देते हैं। हालांकि, कन्या भ्रूण हत्या के विरुद्ध बनाए गए कानूनों के कारण स्थिति में कुछ हद तक सुधार अवश्य हुआ है।
2. लेखिका उर्दू-फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाईं?
उत्तर: बचपन में लेखिका को उर्दू पढ़ाने के लिए एक मौलवी रखा गया था परंतु उनकी इसमें रुचि नहीं थी। मौलवी साहब को देखकर लेखिका चारपाई के नीचे जाकर छिप जाती थी। इसलिए लेखिका उर्दू-फारसी नहीं सीख पाईं।
3. लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर: लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है-
(i) लेखिका की माता अच्छे संस्कारोंवाली एवं धार्मिक स्वभाव की महिला थीं।
(ii) वे पूजा-पाठ बहुत करती थीं।
(iii) उनके परिवार में केवल उनकी माँ को ही हिंदी आती थी।
(iv) सुबह-सुबह वे ‘कृपानिधान पंछी बन बोले’ पद गाती थी।
(v) उनकी माँ को थोड़ी संस्कृत भी आती थी।
4. जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसा क्यों कहा है?
उत्तर: पहले हिंदु और मुस्लिम दो सम्प्रदायों में आज के जैसा भेदभाव नहीं था। हिंदु और मुस्लिम दोनों एक ही देश में प्रेम पूर्वक रहते थे। स्वतंत्रता के पश्चात् हिंदु और मुस्लिम संबन्धों में बदलाव आ गया है। उदाहरणस्वरूप ज्वारा के नवाब के साथ महादेवी वर्मा के पारिवारिक संबंध सगे-संबंधियों से भी अधिक बढ़कर थे। जवारा की बेगम स्वयं को महादेवी की ताई समझती थी तथा उन्होंने ही इनके भाई का नामकरण भी किया। वे हर त्योहार पर उनके साथ घुलमिल जाती थी। बेगम साहिबा के घर में अवधी बोली जाती थी। परंतु हिंदी और उर्दू दोनों प्रचलित थीं। पहले के वातावरण में जो निकटता थी, वह अब मात्र एक सपना बनकर रह गई है। ऐसे में आज के समय में आत्मीय संबंधों की कल्पना भी कठिन हो गई है।
रचना और अभिव्यक्ति |
5. ज़ेबुन्निसा महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थी। ज़ेबुन्निसा के स्थान पर यदि आप होती/होते तो महादेवी से आपकी क्या अपेक्षा होती?
उत्तर: ज़ेबुन्निसा के स्थान पर मैं यदि महादेवी वर्मा को सहायता करती तो उनसे निम्नलिखित अपेक्षाएँ रखती-
(i) प्रेम और आदर की भी अपेक्षा करती।
(ii) उनसे कविता लिखने का प्रोत्साहन पाना चाहती।
(iii) कभी-कभी उनकी कविता भी सुन लेती और पढ़ाई में सहायता भी ले लेती।
6. महादेवी वर्मा को काव्यं प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था। अनुमान लगाइए कि आपको इस तरह का कोई पुरस्कार मिला हो और वह देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे/करेंगी?
उत्तर: यदि मुझे महादेवी वर्मा की तरह कोई प्रतिष्ठित पुरस्कार, जैसे चाँदी का कटोरा, प्राप्त होता और उसे देशहित या किसी आपदा निवारण के कार्य में समर्पित करने का अवसर मिलता, तो मैं गर्व और संतोष का अनुभव करती। यह सोचकर मेरी हृदय प्रसन्नता से भर जाती कि मारी योगदान समाज के कल्याण में सहायक हो रही है। भले ही वह पुरस्कार मेरी उपलब्धि का प्रतीक होता, लेकिन उसे किसी नेक उद्देश्य के लिए देना मेरे लिए अधिक सार्थक और मूल्यवान होता।
7. लेखिका ने छात्रावास के जिस बहुभाषी परिवेश की चर्चा की है उसे अपनी मातृभाषा में लिखिए।
उत्तर: महादेवी वर्मा के छात्रावास का वातावरण बहुभाषी था। कोई विद्यार्थी हिंदी बोलता था, तो कोई मराठी। अवध की लड़कियाँ आपस में अवधी में बातचीत करती थीं, जबकि बुंदेलखंड की लड़कियाँ बुंदेली भाषा का प्रयोग करती थीं।
हालाँकि वे विभिन्न प्रांतों से थीं, परंतु आपस में संवाद के लिए हिंदी ही उनकी प्रमुख भाषा थी। छात्रावास में हिंदी के साथ-साथ उर्दू भी प्रचलित थी, जो भाषा और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती थी।
8. महादेवी जी के इस संस्मरण को पढ़ते हुए आपके मानस-पटल पर भी अपने बचपन की कोई स्मृति उभरकर आई होगी, उसे संस्मरण शैली में लिखिए।
उत्तर: महादेवी वर्मा के संस्मरण को पढ़ते ही मेरी अपनी बचपन जीवित हो उठी। मेरे विद्यालय विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों का संगम था। कोई बंगाली बोलता था, तो कोई तमिल, लेकिन हमारी बातचीत का मुख्य माध्यम हिंदी ही था।
खेल के मैदान में भाषा की सीमाएँ समाप्त हो जाती थीं। हम ‘कबड्डी’ और ‘चोर-सिपाही’ खेलते, हँसी-मज़ाक करते, और नई चीज़ें सीखते। धीरे-धीरे, हमने एक-दूसरे की भाषाओं के कुछ शब्द भी सीख लिए।
आज सोचती हूँ कि भाषा सिर्फ संवाद का साधन नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ने वाली कड़ी भी है। वे बचपन के दिन अमूल्य थे।
9. महादेवी ने कवि सम्मेलनों में कविता पाठ के लिए अपना नाम बुलाए जाने से पहले होने वाली बेचैनी का ज़िक्र किया है। अपने विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते समय आपने जो बेचैनी अनुभव की होगी, उस पर डायरी का एक पृष्ठ लिखिए।
उत्तर: डायरी का एक पृष्ठ
दिनांक: __________
आज महादेवी वर्मा के संस्मरण को पढ़ते हुए मुझे अपने विद्यालय के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की याद आ गई। मंच पर जाने से पहले मेरा दिल तेज़ी से धड़कने लगता था, हाथ ठंडे पड़ जाते थे, और दिमाग़ में अनगिनत विचार उमड़ने लगते थे— “अगर मैं भूल गई तो?”, “अगर सब हँस पड़े तो?”
लेकिन जैसे ही मंच पर कदम रखा, धीरे-धीरे आत्मविश्वास लौट आया। पहले शब्द के साथ डर कम हुआ, और अंत में तालियों की गूंज सुनकर सारी घबराहट खुशी में बदल गई।
हर बार यही बेचैनी होती थी, लेकिन हर बार यह अनुभव मुझे और निडर बना देता था!
भाषा-अध्ययन |
10. पाठ से निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए-
विद्वान, अनंत, निरपराधी, दंड, शांति।
उत्तर:
शब्द | विलोम शब्द |
विद्वान | मुर्ख |
अनंत | अंत |
निरपराधी | अपराधी |
दंड | पुरस्कार |
शांति | अशांति, विवाद |
11. निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग/प्रत्यय अलग कीजिए और मूल शब्द बताइए-
निराहारी – निर् + आहार + ई
(i) सांप्रदायिकता।
उत्तर: सांप्रदायिकता = साम् + प्रधान + इक + ता।
(ii) अप्रसन्नता।
उत्तर: अप्रसन्नता = अप् + प्रसन्न + ता।
(iii) अपनापन।
उत्तर: अपनापन = अपना + पन।
(iv) किनारीदार।
उत्तर: किनारीदार = किनारा + ई + दार।
(v) स्वतंत्रता।
उत्तर: स्वतंत्रता = स्व + तंत्र + ता।
12. निम्नलिखित उपसर्ग-प्रत्ययों की सहायता से दो-दो शब्द लिखिए-
उपसर्ग – अन्, अ, सत्, स्व, दुर्।
प्रत्यय – दार, हार, वाला, अनीय।
उत्तर: उपसर्ग:
अन् – अन्वेषण, अन्याय।
अ – अशांति, असत्य।
सत् – सत्कर्म, सत्वरित्र।
स्व – स्वराज, स्वाधीन।
दुर् – दुर्जन, दुर्व्यवहार।
प्रत्यय:
दार – दुकानदार, पहरेदार।
हार – पालनहार, शाकाहार।
वाला – फेरीवाला, फलवाला।
अनीय – माननीय, दर्शनीय।
13. पाठ में आए सामासिक पद छाँटकर विग्रह कीजिए-
पूजा-पाठ | पूजा और पाठ |
___________ | ___________ |
___________ | ___________ |
___________ | ___________ |
___________ | ___________ |
___________ | ___________ |
उत्तर:
सामासिक शब्द | विग्रह |
रोने-धोने | रोने और धोने |
परमधाम | परम है जो धाम |
कुल-देवी | कुल की देवी |
महादेवी | महान है जो देवी |

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