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NCERT Class 9 Hindi Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी
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रीढ़ की हड्डी
Chapter: 3
कृतिका
प्रश्न-अभ्यास
1. रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर “एक हमारा ज़माना था…” कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है?
उत्तर: इस प्रकार की तुलना करना बिल्कुल तर्कसंगत नहीं है, क्योंकि समय के साथ–साथ समाज में, जलवायु और खान-पान में इत्यादि चीजों में परिवर्तन होता रहता है। समय परिवर्तनशील है वह सदैव एक सा नहीं रहता समय के साथ हुए बदलाव को स्वीकार करने में ही भलाई है न कि उसकी तुलना बीते हुए कल से करने में। जैसे – उस वक्त की वस्तुओं की गुणवत्ता हमें आज प्राप्त नहीं होती। उस समय का स्वच्छ वातावरण या जलवायु हमें आज प्राप्त नहीं होता, तो हम कैसे कल की तुलना आज से कर सकते हैं। अतः अतीत की तुलना वर्तमान से करने के बजाय समय के साथ होने वाले परिवर्तनों को समझना और स्वीकार करना ही सही दृष्टिकोण है।
2. रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है?
उत्तर: रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी इस विवशता को उजागर करता है कि आधुनिक समाज में सभ्य नागरिक होने के बावजूद उन्हें अपनी बेटी के भविष्य की खातिर रूढ़िवादी लोगों के दवाब में झुकाना पड़ रहा था। उपर्युक्त वात एक पिता की विवशता को उजागर करती है।
3. अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं है?
उत्तर: रामस्वरूप उमा से अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित नहीं है क्योंकि यह एक पारिवारिक और सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें सभी पक्षों की सहमति और भावनाओं का सम्मान होना चाहिए। रिश्ते में केवल एक पक्ष की अपेक्षाएँ नहीं होनी चाहिए। साथ ही वे यह भी चाहते है कि उमा वैसा ही आचरण करे जेसा लड़के वाले चाहते हैं। परन्तु वे यह भूल रहे है कि जिस प्रकार लड़के की अपेक्षाएँ होती है ठीक उसी प्रकार लड़की की पसंद-नापसंद का भी ख्याल रखना चाहिए। वह कोई निर्जीव वस्तु नहीं है बल्कि आज समाज मे लड़का तथा लड़की को दर्जाप्राप्त है।
4. गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिज़नेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं? अपने विचार लिखें।
उत्तर: गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं, जो यह दर्शाता है कि वे विवाह जैसे पवित्र संबंध को लेन-देन की दृष्टि से देखते हैं। यह न केवल अनैतिक है बल्कि सामाजिक बुराइयों, जैसे दहेज प्रथा, को बढ़ावा देता है।
रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं, जो यह दर्शाता है कि वे समाज की रूढ़िवादी सोच से डरते हैं और लड़कियों की शिक्षा को कमतर (कम महत्व वाला) मानते हैं। यह लिंग भेदभाव और स्त्री अधिकारों के खिलाफ है।
5. “… आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं…” उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है?
उत्तर: उपर्युक्त कथन के माध्यम से उमा शंकर की निम्र कमियों की ओर ध्यान दिलाना चाहती है-
(i) शंकर का चरित्र अच्छा नहीं है। लड़कियों के हॉस्टल के चक्कर काटते हुए वह पकड़ा जा चुका था। इस कारण उसे शर्मिंदा भी होना पड़ा था।
(ii) उसका अपना निजी कोई व्यक्तित्व नहीं है। वह अपने पिता के पीछे चलने वाला वेचारा जीव है, जैसा कहा जाता है जिसके कारण वह बीमार रहता है तथा सीधी तरह बैठ नहीं पाता।
(iii) शंकर अपने पिता पर पूरी तरह आश्रित है। उसकी रीढ़ की हड्डी नहीं है अर्थात् उसकी अपनी कोई मर्जी नहीं है। जब वह अपना बोझ नहीं सम्हाल सकता तो परिवार क्या सम्हालेगा।
6. शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की-समाज को कैसे व्यक्तित्व की ज़रूरत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर: उमा जैसी लड़की-समाज को स्पष्टवादिनी तथा उच्च चरित्र वाले व्यक्तित्व की ज़रूरत है। ऐसी लड़कियाँ ही गोपाल प्रसाद जैसे दोहरी मानसिकता रखने वाले, लालची और ढोगी लोगों को सबक सिखा सकती है तथा दहेज जैसी कुरीतियों से लड़ सकती है। ऐसी लड़कियाँ ही समाज और देश की प्रगति में योगदान दे सकती हैं, जो आत्मविश्वास से भरपूर, निडर और नवीन सोच रखने वाली हों।
7. ‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: यह शीर्षक एकांकी की भावना को व्यक्त करने के लिए बिल्कुल सही है। इस शीर्षक में समाज की सड़ी-गली मानसिकता को व्यक्त किया गया है तथा उसपर प्रहार किया है। क्योंकि रीढ़ शरीर का मुख्य हिस्सा होता है, ठीक उसी प्रकार वैवाहिक रिश्तों में लड़का और लड़की रीढ़ की हड्डी के समान होते हैं। समाज और व्यक्ति, दोनों के लिए लचीलापन आवश्यक है। जैसे रीढ़ की हड्डी शरीर को गति और संतुलन प्रदान करती है, वैसे ही समयानुसार रीति-रिवाजों और परंपराओं का परिवर्तन समाज को प्रगतिशील बनाता है। जो लोग संकीर्ण मानसिकता के कारण बदलाव स्वीकार नहीं करते, वे निष्क्रिय और दिशाहीन हो जाते हैं। इस पाठ के जरिए यही बताने का प्रयास किया गया है कि नर और नारी दोनों में ही समानता होनी चाहिए। नारी को कमतर समझ कर हम एक प्रगतिशील समाज की कल्पना नहीं कर सकते। अतः यह उचित शीर्षक है, यहाँ रीढ़ की हड्डी समाज के मजबूत युवा वर्ग का प्रतीक भी है।
8. कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?
उत्तर: कथावस्तु के आधार पर तो हमें उमा ही इस एकांकी की मुख्य पात्र लगती है। पूरी एकांकी ही उमा के इर्द-गिर्द घूमती है। लेखक समाज की सड़ी गली मानसिकता को उमा के माध्यम से व्यक्त करना चाहता है। उसका सशक्त व्यक्तित्व सारे पात्रों पर भारी पड़ता हुआ दिखाई देता है। उसके समकक्ष कोई भी ठहरता नहीं है। जिस स्वाभिमान से वह अपने पक्ष को शंकर, गोपाल प्रसाद व रामस्वरुप के आगे रखती है सब के होंठ सिल जाते हैं और कथा का प्रयोजन समाज में महिलाओं को अपने अधिकारों व सम्मान के प्रति जागरूक करना सिद्ध हो जाता है।
9. एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: रामस्वरूप एक ऐसे पिता हैं जो आधुनिक सोच रखते हैं एवं अपनी पुत्री को पढ़ाना चाहते हैं परंतु उसके व्यवहार में उसकी उच्च शिक्षा को छुपा रहे हैं जो उनकी कायरता एवं विवशता को प्रदर्शित करता है। गोपाल प्रसाद एक रूढ़िवादी व्यक्ति हैं, जो पुरुष और नारी की समानता में विश्वास नहीं रखते। रामगोपाल रामगोपाल निहायती चालाक, बड़वोले लालची और पढ़े-लिखे होने के वावजूद स्त्री पुरुष की समानता में अविश्वास रखनेवाले दकियानूसी व्यक्ति के रूप में उभरते हैं। इसी कारणवश वे मेडिकल में पढ़ने वाले बेटे का विवाह कम पढ़ी लिखी लड़की से करवाना चाहते है। वे विवाह जैसे पवित्र रिश्ते को भी विजनेस मानते हैं, इससे उनका लालची स्वभाव पता चलता है।
10. इस एकांकी का क्या उद्देश्य है? लिखिए।
उत्तर: इस एकांकी का उद्देश्य समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाना और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। यह उन लोगों पर तीखा प्रहार करती है, जो स्त्रियों को मात्र वस्तु या घर की शोभा समझते हैं। यह रचना महिलाओं को उनके व्यक्तित्व की रक्षा करने का संदेश देती है और उन्हें आत्मसम्मान तथा अधिकारों के प्रति सचेत करती है। अपनी प्रभावशाली प्रस्तुति के माध्यम से यह एकांकी अपने उद्देश्य को काफी हद तक सफलतापूर्वक व्यक्त करती है।
11. समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं?
उत्तर: समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु हम निम्नलिखित प्रयास कर सकते हैं–
(i) स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए।
(ii) समाज में महिला को समान भागीदारी दिलवाने के लिए प्रयत्न कर सकते हैं।
(iii) लड़के और लड़की को समान अधिकार मिलने चाहिए।
(iv) हमें महिलाओं को हीन दृष्टि से नहीं देखना चाहिए।

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