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NCERT Class 9 Hindi Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें
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मेरे संग की औरतें
Chapter: 2
कृतिका
प्रश्न-अभ्यास
1. लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थी?
उत्तर: लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे इसलिए प्रभावित थीं क्योंकि उनकी नानी, पारंपरिक, अनपढ़, परदानशीं (घूंघट या पर्दे में रहने वाली स्त्री) औरत थीं, जिनके पति शादी के तुरंत बाद उन्हें छोड़कर बैरिस्ट्री पढ़ने विलायत चले गए थे। कैंब्रिज विश्वविद्यालय से डिग्री लेकर जब वे लौटे और विलायती रीति-रिवाज के संग जिंदगी बसर करने लगे तो, नानी के अपने रहन-सहन पर, उसका कोई असर नहीं पड़ा।
2. लेखिका की नानी की आज़ादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही?
उत्तर: लेखिका की नानी आज़ादी के आंदोलन में खुलकर भाग न ले सकी। परन्तु अप्रत्यक्ष रूप में सदेव इस लड़ाई में सम्मिलित थी। उन्होंने कभी अंग्रेजियत को स्वीकारा नहीं। उनका पति अंग्रेज़ों का भक्त था, फिर भी उन्होंने कभी अंग्रेज़ों की जीवन शैली में भाग नहीं लिया। उन्होंने सबसे बड़ा योगदान यह किया कि अपनी संतान को अंग्रेज़ भक्तों के शिकंजे से मुक्त करा लिया। और इसका मुख्य उदाहरण यह है कि अपनी पुत्री की शादी की जिम्मेदारी अपने पति के स्वतंत्रता सेनानी मित्र को दी हैं।
3. लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी। इस कथन के आलोक में-
(क) लेखिका की माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर: लेखिका की माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ है–
(i) लेखिका की माँ खादी की साड़ी पहनती थीं और आजीवन गाँधी जी के सिद्धांतों का पालन करती रहीं।
(ii) उनकी माँ में खूबसूरती, नज़ाकत, ईमानदारी और निष्पक्षता का अनूठा संगम था, जिससे वे परीजात-सी प्रतीत होती थीं।
(iii) उनमें आज़ादी के प्रति गहरा जुनून और अपार लगाव था।
(iv) वे हमेशा गोपनीय बातों को गोपनीय ही रखती थीं और कभी किसी के सामने प्रकट नहीं करती थीं।
(v) वे सदैव सत्य बोलती थीं, जिससे परिवार के सभी सदस्य उनका अत्यंत सम्मान करते थे।
(ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।
उत्तर: लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र है–
(i) लेखिका की माँ खादी की साड़ी पहनने वाली आजीवन गाँधी जी के सिद्धांतों का पालन करती रहीं।
(ii) उसकी माँ में खूबसूरती, नज़ाकत, ईमानदारी और निष्पक्षता का संगम था। इससे वे परीजात-सी लगती थीं।
4. आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी?
उत्तर: पाठ को पढ़कर लगता है कि लेखिका की परदादी ने भी अपने समय में लड़की के साथ होने वाले अपमान और तिरस्कार को जाना-समझा होगा। “उन्हें मन-ही-मन लगता होगा कि देवी का रूप होने पर भी लड़की का इतना तिरस्कार क्यों होता है। कब उसका सम्मान होना शुरू होगा? शायद इसीलिए उन्होंने अपनी इस भावना को घर में ही फलते-फूलते देखना चाहा होगा, और वो समाज में यह भाव भरना चाहा होगा कि यहाँ लड़कियों का सम्मान होता है। परन्तु हमारी समझ से उनकी दादी लड़कियों से बहुत प्यार करती थीं सायद यही वजह रही होगी कि वो अपने पतोह से पहले बच्चे के रुप में कन्या चाहती थीं। पाँच कन्या होने पर भी कभी उन्होंने लेखिका की माँ को ताना या शिकायत नहीं किया।
5. डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है-पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर: यह बिल्कुल सत्य है कि डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से सबको राह पर लाया जा सकता है। इस पाठ के अनुसार एक चोर दीवार काटकर हवेली में घुस आया था। बदकिस्मत से चोर उसी कमरे में घुस गया जहां माँ जी सोई हुई थी। उनकी दादी माँ ने यह जानते हुए भी कि वह एक चोर है फिर भी दादी माँ ने उसको न डराया न धमकाया बल्कि सहजता पूर्वक उसे सुधार दिया। मॉजी ने उसे पानी लाने का आदेश दिया। चोर पानी लेकर आ रहा था कि पहरेदार द्वारा पकड़ लिया गया और उनके सामने लाया गया। माँ-जी ने लोटे का आधा पानी पीकर उसे आधा पिला दिया और चोर को अपना बेटा बना लिया। जिसके परिणामस्वरूप उस चोर ने चोरी करना छोड़कर खेतीबाड़ी कर अपना पूरा जीवनयापन किया।
6. ‘शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है’ – इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है। जिस बच्चे का जन्म हुआ है, उसे उचित विद्यालय में शिक्षा मिलनी ही चाहिए। यदि कहीं शिक्षा की व्यवस्था नहीं है तो उसके लिए उचित प्रबंध किया जाना चाहिए। लेखिका कर्नाटक के छोटे से कस्बे बागलकोट में थी। वहाँ उसके दो बच्चों को पढ़ाने की समुचित व्यवस्था नहीं थी। अतः उसने एक अच्छा स्कूल खुलवाने की भरपूर कोशिश की। पहले उसने पास के कैथोलिक विशप से प्रार्थना की कि वे वहाँ एक स्कूल खोलें। परंतु बिशप तैयार नहीं हुए। तब उन्होंने अपनी कोशिशों से, कुछ उत्साही लोगों को साथ लगाकर वहाँ एक अच्छा प्राइमरी स्कूल खुलवाया। उसमें लेखिका तथा अन्य अफसरों के बच्चे पढ़े और बाद में बड़े-बड़े स्कूलों में भर्ती होने योग्य बन गए।
7. पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है?
उत्तर: जीवन में उन लोगों को श्रद्धाभाव से देखा जाता है जो–
(i) अपने स्वार्थ तक ही सीमित न रहकर दूसरों के लिए भी सोचते हैं।
(ii) जो दूसरों की भलाई के लिए अपना धन, समय, श्रम आदि लगाने से भी नहीं डरते हैं।
(iii) जो घर-परिवार के अलावा समाज के दूसरे लोगों को भी उचित राय देते रहते हैं।
(iv) जो दूसरों की गोपनीय बातों को सार्वजनिक नहीं करते हैं तथा उसकी गोपनीयता बनाए रखते हैं।
8. ‘सच, अकेलेपन का मज़ा ही कुछ और है’ इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर: लेखिका और उनकी बहन स्वभाव से एकांतप्रिय थीं। उनके व्यक्तित्व का सबसे खूबसूरत पहलू यह था कि वे दोनों ही जिद्दी थीं, लेकिन उनकी यह जिद्द हमेशा सही कार्यों के लिए होती थी। लेखिका की इसी दृढ़ता ने उन्हें कर्नाटक में स्कूल खोलने के लिए प्रेरित किया। वे दोनों स्वतंत्र विचारों वाली थीं, जिसके कारण वे अपने जीवन के उद्देश्यों को पाने में सदैव आगे रहीं।

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