NCERT Class 10 Social Science Bharat Aur Samakalin Vishav Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद

NCERT Class 10 Social Science Bharat Aur Samakalin Vishav Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद Solutions, in Hindi Medium to each chapter is provided in the list so that you can easily browse through different chapters NCERT Class 10 Social Science Bharat Aur Samakalin Vishav Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद Notes and select need one. NCERT Class 10 Social Science Bharat Aur Samakalin Vishav Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद Question Answers Download PDF. NCERT Social Science Bharat Aur Samakalin Vishav 2 Class 10 Solutions.

NCERT Class 10 Social Science Bharat Aur Samakalin Vishav Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद

Join Telegram channel

Also, you can read the NCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per Central Board of Secondary Education (CBSE) Book guidelines. CBSE Class 10 Social Science Bharat Aur Samakalin Vishav 2 Textual Solutions are part of All Subject Solutions. Here we have given NCERT Class 10 Social Science Bharat Aur Samakalin Vishav Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद Notes, CBSE Class 9 Social Science Arthik Vikas ki Samajh Textbook Solutions for All Chapters, You can practice these here.

Chapter: 2

भारत और समकालीन विश्व – २
खण्ड I: घटनाएँ और प्रक्रियाएँ

संक्षेप में लिखें:

1. व्याख्या करें-

(क) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी।

उत्तर: उपनिवेशवाद ने लोगों की स्वतंत्रता को प्रभावित किया और साम्राज्यवादी वर्चस्व के खिलाफ संघर्ष की प्रक्रिया के दौरान राष्ट्रवादी भावनाएँ उभरीं। उत्पीड़न और शोषण की भावना विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के बीच एक सामान्य बंधन बन गई, जिससे राष्ट्रवादी आदर्शों का विकास हुआ। इस प्रकार, उपनिवेशों में राष्ट्रवाद का विकास उपनिवेश-विरोधी आंदोलनों से जुड़ा था।

(ख) पहले विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया।

उत्तर: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, ब्रिटिश सेना ने भारत के ग्रामीण इलाकों से जबरन भर्ती की। इसके साथ ही, रक्षा व्यय को वित्तपोषित करने के लिए उच्च सीमा शुल्क और आयकर लगाए गए। इसके अलावा, 1918-19 और 1920-21 के बीच भारत के कई हिस्सों में फसलें खराब हो गईं, जिससे खाद्यान्न की भारी कमी हो गई। इन सभी परिस्थितियों ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ व्यापक आक्रोश और विरोध को जन्म दिया, और भारत का राष्ट्रीय आंदोलन एक मजबूत और स्पष्ट दिशा में बढ़ने लगा।

(ग) भारत के लोग रॉलट एक्ट के विरोध में क्यों थे।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

उत्तर: रॉलेट एक्ट को भारतीय सदस्यों के विरोध के बावजूद इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल के माध्यम से जल्दबाजी में पारित किया गया। इसने सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को दबाने के लिए निरंकुश शक्तियाँ प्रदान कीं, और साथ ही दो साल तक बिना मुकदमे के राजनीतिक कैदियों को हिरासत में रखने की अनुमति दी। यह अधिनियम भारतीयों के लिए बहुत ही नाराजगी का कारण बना, क्योंकि यह स्पष्ट रूप से अलोकतांत्रिक और दमनकारी था, और राष्ट्रीय तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा को ठेस पहुँचाता था।

(घ) गांधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फै़सला क्यों लिया।

उत्तर: गांधीजी ने जनसमूह द्वारा की गई हिंसा की घटनाओं, विशेष रूप से 1922 में चौरी चौरा की घटना के बाद असहयोग आंदोलन को वापस लेने का निर्णय लिया, जिसमें लोगों ने पुलिस के साथ संघर्ष किया और एक पुलिस स्टेशन को आग लगा दी। गांधीजी ने महसूस किया कि लोग अहिंसक जन संघर्ष के लिए तैयार नहीं थे, और सत्याग्रहियों को अहिंसक प्रदर्शनों के लिए उचित रूप से प्रशिक्षित करने की आवश्यकता थी।

2. सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है?

उत्तर: सत्याग्रह के विचार का मूल अर्थ यह है कि सत्य की शक्ति पर आग्रह तथा सत्य की खोज करना। अगर आपका उद्‌देश्य सच्चा है और आपका संघर्ष अन्याय के खिलाफ है तो उत्पीड़क से मुकाबला करने के लिए आपको किसी शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है। प्रतिशोध की भावना या आक्रमता का सहारा लिए बिना भी सत्याग्राही केवल अहिंसा से अपने संघर्ष में सफल हो सकता है।

3. निम्नलिखित पर अख़बार के लिए रिपोर्ट लिखें-

(क) जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड।

उत्तर: 13 अप्रैल 1919, अमृतसर: जलियाँवाला बाग में ब्रिटिश जनरल डायर ने शांतिपूर्वक सभा कर रहे भारतीयों पर बिना चेतावनी के गोली चलवायी। सभा में महिलाएँ, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे। डायर के आदेश पर सैनिकों ने 10 मिनट तक गोलियाँ चलायीं, जिससे 379 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए। यह घटना भारतीयों के लिए एक बड़ा आघात थी और स्वतंत्रता संग्राम को तेज़ करने का कारण बनी। इसके परिणामस्वरूप भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ आक्रोश और विरोध फैल गया।

(ख) साइमन कमीशन।

उत्तर: 1928, भारत: ब्रिटिश सरकार ने भारतीय संविधान सुधारों के लिए साइमन कमीशन की स्थापना की, लेकिन इस आयोग में भारतीय सदस्य नहीं थे, जिससे भारतीयों में गहरी नाराजगी उत्पन्न हुई। इसके विरोध में “साइमन गो बैक” नारे के तहत प्रदर्शन हुए। लाहौर में लाला लाजपत राय की पुलिस द्वारा पिटाई के बाद मृत्यु हो गई। इसने भारतीयों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ और भी अधिक संगठित किया और स्वतंत्रता संग्राम को बल दिया।

4. इस अध्याय में दी गई भारत माता की छवि और अध्याय 1 में दी गई जर्मेनिया की छवि की तुलना कीजिए।

उत्तर: भारत माता की पहली छवि रबिंद्रनाथ टैगोर द्वारा 1905 में बनाई गई थी। इस तस्वीर में भारत माता को एक सन्यासिनी के रुप में दर्शाया गया है। वह शांत, गंभीर, दैवी और आध्यात्मिक गुणों से परिपूर्ण दिखाई देती है। आगे चल कर जब इस छवि को बड़े पैमाने पर तस्वीरों में उतारा जाने लगा और विभिन्न कलाकार यह तस्वीर बनाने लगे तो भारत माता की छवि विविध रूप ग्रहण करती गई। इस मातृ छवि के प्रति श्रद्धा को राष्ट्रवाद में आस्था का प्रतीक माना जाने लगा।

दूसरी तरफ, जर्मनी के कलाकार फिलिप वेट ने 1848 में जर्मेनिया का चित्र बनाया जो कि जर्मनी राष्ट्र के एक महिला कृति के रूप में पहचान अंकित करता है, इसमें जर्मेनिया बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनती है क्योंकि बलूत वीरता का प्रतीक है। जर्मेनिया के चित्र को सूती झण्डे पर बनाया गया है।

चर्चा करें:

1. 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची बनाइए। इसके बाद उनमें से किन्हीं तीन को चुन कर उनकी आशाओं और संघर्षों के बारे में लिखते हुए यह दर्शाइए कि वे आंदोलन में शामिल क्यों हुए।

उत्तर: 1921 के असहयोग आंदोलन में विभिन्न सामाजिक समूहों ने भाग लिया, जिनमें शहरी मध्यम वर्ग, वकील, शिक्षक, प्रधानाध्यापक, छात्र, किसान, आदिवासी और श्रमिक शामिल थे। इनमें से किसान, आदिवासी और श्रमिक मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों से आए थे। इन लोगों ने आत्म-निर्भरता और मुक्ति की आशा के साथ आंदोलन में भाग लिया। किसानों ने तालुकदारों और जमींदारों के खिलाफ विद्रोह किया, जो उन्हें उच्च लगान और बेगार या मुफ्त श्रम के लिए मजबूर करते थे। आदिवासी किसानों ने ब्रिटिश सरकार द्वारा बड़े वन क्षेत्रों की घेराबंदी का विरोध किया, जिससे वे अपनी पारंपरिक आजीविका और अधिकारों से वंचित हो गए। वहीं, बागान श्रमिकों को अपने गांवों से संपर्क बनाए रखने और घूमने-फिरने की स्वतंत्रता की आवश्यकता थी। तीनों ही समूहों का विश्वास था कि गांधीजी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन से ब्रिटिश शासन का अंत होगा और उनके दुखों का निवारण होगा। इस विश्वास के कारण, वे उपनिवेशवाद विरोधी संघर्ष में शामिल हुए।

2. नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।

उत्तर: (i) महात्मा गाँधी द्वारा अंग्रेज़ों द्वारा लगाए गए नमक कर के खिलाफ चलाया गया आंदोलन नमक आंदोलन के नाम से जाना जाता है। इस आंदोलन के तहत गाँधी जी ने अपने कुछ साथियों के साथ साबरमती आश्रम से 240 किमी दूर डांडी नामक तटीय कस्बे तक की पैदल यात्रा की। डांडी यात्रा के माध्यम से ही गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की।

(ii) 6 अप्रैल को डांडी पहुँचकर गाँधी जी ने समुद्र के पानी को उबालकर नमक बनाया और नमक कानून का उल्लंघन किया। इस आंदोलन के जरिए उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रतिरोध का ऐलान किया।

(iii) स्वतंत्रता संग्राम के लिए देश को एकजुट करने के उद्देश्य से गाँधी जी ने नमक को एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में देखा। नमक, जो हर व्यक्ति के भोजन का अभिन्न हिस्सा था, महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन का सबसे दमनकारी पहलू बताया।

(iv) यद्यपि नमक आंदोलन का मुख्य उद्देश्य नमक कानून का उल्लंघन करना था, इसने भारतीय जनमानस में अंग्रेज़ों के खिलाफ एक राष्ट्रीय विरोध की भावना को जन्म दिया।

(v) नमक कानून तोड़कर गाँधी जी ने औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार को अपने सत्याग्रह के तरीके से जवाब दिया। इस आंदोलन के माध्यम से गाँधी जी ने समाज के विभिन्न वर्गों को प्रभावित किया और उन्हें उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध के लिए प्रेरित किया। इस प्रकार, डांडी मार्च एक अभूतपूर्व घटना बन गई, जिसने ब्रिटिश साम्राज्य को हिला कर रख दिया।

3. कल्पना कीजिए की आप सिविल नाफ़रमानी आंदोलन में हिस्सा लेने वाली महिला हैं। बताइए कि इस अनुभव का आपके जीवन में क्या अर्थ होता।

उत्तर: सिविल नाफ़रमानी आंदोलन में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया। गांधीजी की बातों को सुनने के लिए महिलाएँ अपने घरों से बाहर आ जाती थीं।

मैंने भी इस समय अनेक जुलूसों में हिस्सा लिया, नमक बनाया, विदेशी कपड़ों और शराब की दुकानों की पिकेटिंग की, और अन्य महिलाओं के साथ जेल भी गई। इस आंदोलन के दौरान मैंने यह महसूस किया कि शहरी क्षेत्रों में सभी वर्गों की महिलाएँ शामिल हुईं, लेकिन इसमें उच्च जातियों की महिलाएँ अधिक थीं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में संपन्न किसान परिवार की महिलाओं ने ज्यादा भाग लिया।

इस दौरान मैंने यह पाया कि सभी महिलाएँ राष्ट्रसेवा को अपना पहला कर्तव्य मानने लगीं। हम महिलाओं में यह आत्मविश्वास जागा कि हम घर के कामों के अलावा राष्ट्रसेवा का भी दायित्व निभा सकती हैं।

हालाँकि, कांग्रेस ने लंबे समय तक महिलाओं को उच्च पदों पर नहीं रखा और उन्हें आंदोलनों में केवल प्रतीकात्मक उपस्थिति तक ही सीमित रखा।

4. राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचिका के सवाल पर क्यों बँटे हुए थे।

उत्तर: इसका प्रमुख कारण था कि हिंदू, जिनमें दलित भी थे तथा मुसलमान नेता सभी अपने समुदाय के हितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र चाहते थे, जिससे कि उनकी सीटें सुरक्षित हों तथा उन्हें अपने समुदाय के हितों के लिए सुरक्षा मिल सके। परंतु शीर्ष नेताओं को यह प्रश्न संकीर्णता भरा तथा राष्ट्रीय हितों पर चोट पहुँचाने वाला दिखाई देता था।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This will close in 0 seconds

Scroll to Top