Class 9 Ambar Bhag 1 Chapter 5 शक्ति और क्षमा

Join Telegram channel

Class 9 Ambar Bhag 1 Chapter 5 शक्ति और क्षमा answer to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapter Assam Board Class 9 Hindi Ambar Bhag 1 Chapter 5 शक्ति और क्षमा and select needs one.

Class 9 Hindi (MIL) Ambar Bhag 1 Chapter 5 शक्ति और क्षमा

Also, you can read the SCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per SCERT (CBSE) Book guidelines. These solutions are part of SCERT All Subject Solutions. Here we have given Assam Board Class 9 Ambar Bhag 1 Chapter 5 शक्ति और क्षमा Solutions for All Subject, You can practice these here…

शक्ति और क्षमा

पाठ – 5

Group – A: पद्य खंड

कवि – परिचय:

भारतीय संस्कृति तथा राष्ट्रीयता के महान साहित्यकार रामधारी सिंह ‘दिनकर’ 30 सितम्बर 1908 को बिहार राज्य के मुंगेर जिले के ‘सिमरिया’ नामक गाँव में पैदा हुए थे। इनके पिता एक साधारण किसान थे। दिनकर जब दो वर्ष के थे तभी इनके पिता का देहान्त हो गया। माँ की ममता के आँचल में पले-बढ़े दिनकर ने ग्रामीण विद्यालय से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। उसके बाद इन्होंने सन् 1933 में पटना विश्वविद्यालय से बी.ए. ऑनर्स (प्रतिष्ठा) की उपाधि प्राप्त की और हाई स्कूल में अध्यापन कार्य करने लगे। बाद में ये एक हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक, बिहार सरकार के अधीन उपरजिस्ट्रार, बिहार सरकार के प्रचार विभाग के उप-निदेशक, मुजफ्फरपुर के एल.एस. कॉलेज में हिन्दी विभागाध्यक्ष, राज्यसभा के मनोनीत सदस्य, भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति तथा भारत सरकार के शिक्षा सलाहकार भी रहे। 24 अप्रैल, 1974 को इस यशस्वी लेखक, कवि का स्वर्गवास हुआ।

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हिन्दी साहित्य के सबसे ओजस्वी रचनाकार माने जाते हैं। उनकी राष्ट्रीय भावनाओं के कारण उन्हें ‘राष्ट्रकवि’ कहा जाता है। उन्होंने गद्य तथा पद्य दोनों में अपनी लेखनी का चमत्कार दिखाया है। ‘दिनकर’ जी की महत्त्वपूर्ण गद्य और पद्य रचनाएँ इस प्रकार हैं –

गद्य रचनाएँ: मिट्टी की ओर, अर्द्धनारीश्वर, उजली आग, संस्कृति के चार अध्याय, देश-विदेश, काव्य की भूमिका, वेणुवन, धर्म-नैतिकता और विज्ञान, वटपीपल, हमारी सांस्कृतिक एकता, राष्ट्रभाषा और राष्ट्रीय एकता, रेती के फूल आदि।

पद्य रचनाएँ: प्रणभंग, रेणुका, हुंकार, रसवंती, द्वन्द्व गीत, कुरुक्षेत्र, सामधेनी, बापू, इतिहास के आँसू, धूप और धुआँ, रश्मिरथी, उर्वशी, परशुराम की प्रतीक्षा, कवि श्री, सीपी और शंख, नील कुसुम, नीम के पत्ते, हारे को हरिनाम इत्यादि।

‘दिनकर’ जी की रचनाओं में देशभक्ति, मानवतावाद, भारतीय संस्कृति तथा राष्ट्रीय एकता की स्पष्ट झलक है। उन्होंने अपनी रचनाओं में साहित्य, समाज तथा राजनीति का सुन्दर चित्रण किया है। गाँधीवाद तथा मानवतावाद से आप बहुत प्रभावित थे। वे उत्पीड़न, अत्याचार तथा शोषण के प्रबल विरोधी थे। उन्होंने अंधविश्वास तथा रूढ़िवाद का भी जमकर विरोध किया। वे विज्ञान और मानवता के समन्वय के पक्षधर थे। उन्हें भारत सरकार ने “पद्मभूषण” की उपाधि से सम्मानित किया। उनकी गद्य रचना ‘‘संस्कृति के चार अध्याय” के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा पद्य रचना “उर्वशी” के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ।

‘दिनकर’ जी की भाषा सरल, प्रवाहपूर्ण, ओजपूर्ण और प्रसादगुण- युक्त है। इनके काव्यों में एक ओर संस्कृतनिष्ठ भाषा का प्रयोग मिलता है तो दूसरी ओर गद्य में उर्दू, अरबी तथा फारसी की प्रचलित शब्दावली का प्रयोग परिलक्षित होता है। अलंकारों, प्रतीकों और मुहावरों के सहज प्रयोग उनकी भाषा को प्रभावशाली बनाते हैं। ‘दिनकर’ के विषय में किसी आलोचक द्वारा की गयी यह टिप्पणी सर्वथा सत्य एवं सटीक प्रतीत होती है। उसने लिखा है – “दिनकर की रसग्राहिणी शिराएँ संस्कृत और बांग्ला से भी संपृक्त थी। अतएव जहाँ उन पर कालिदास-रवीन्द्र का प्रभाव रहा तो वहीं नजरूल इस्लाम का आक्रामक और संक्रामक गर्जन और सिंहनाद भी उनकी आवाज की त्रिवेणी में आ मिला। नजरूल, जोश और दिनकर भारत की क्रान्तिकारी कविता के वृहत्रयी कवि हैं और इन तीन कवियों का स्वर बहुत कुछ एक जैसा रहा है”।

कवि-संबंधी प्रश्न एवं उत्तर:

1. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म कहाँ हुआ था?

उत्तर: रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म बिहार राज्य के मुंगेर जिले के ‘सिमरिया’ नामक गाँव में हुआ था।

2. ‘दिनकर’ जी का जन्म कब हुआ था?

उत्तर: ‘दिनकर’ जी का जन्म सन् 1908 में हुआ था।

3. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ को राष्ट्रकवि क्यों कहा जाता है?

उत्तर: ‘दिनकर’ की विचारधारा राष्ट्रीय भावनाओं से परिपूर्ण थी। उस विचारधारा को वे अपनी रचनाओं के माध्यम से प्रवाहित करते रहे। इसीलिए उन्हें राष्ट्रकवि कहा जाता है।

4. ‘दिनकर’ को किस काव्य के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ?

उत्तर: ‘दिनकर’ को ‘उर्वशी’ काव्य के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ।

5. ‘दिनकर’ को किस ग्रन्थ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया?

उत्तर: कवि ‘दिनकर’ द्वारा रचित ‘संस्कृति के चार अध्याय’ नामक ग्रन्थ के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया।

6. ‘दिनकर’ का स्वर्गवास कब हुआ?

उत्तर: 24 अप्रैल 1974 को ‘दिनकर’ का स्वर्गवास हुआ।

7. भारत सरकार ने उन्हें किस उपाधि से सम्मानित किया?

उत्तर: भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्मभूषण’ की उपाधि से सम्मानित किया।

8. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कहाँ से ग्रहण की?

उत्तर: रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रामीण विद्यालय से ग्रहण की।

9. ‘दिनकर’ जी ने पटना विश्वविद्यालय से कब और कौन-सी डिग्री प्राप्त की?

उत्तर: ‘दिनकर’ जी ने पटना विश्वविद्यालय से 1933 ई. में बी.ए. ऑनर्स (प्रतिष्ठा) की डिग्री प्राप्त की।

10. ‘दिनकर’ जी ने अपने जीवन-काल में किन-किन पदों को सुशोभित किया?

उत्तर: ‘दिनकर’ जी ने अपने जीवन-काल में एक उच्च विद्यालय के प्रधानाचार्य से लेकर उप-रजिस्ट्रार, उप-निदेशक, मुजफ्फरपुर के लंगट सिंह कॉलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष, भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति तथा भारत सरकार के शिक्षा सलाहकार तक के पदों को सुशोभित किया।

11. ‘दिनकर’ जी अपनी सेवा-निवृत्ति के बाद किस सभा के सदस्य मनोनीत किये गये?

उत्तर: ‘दिनकर’ जी अपनी सेवा-निवृत्ति के बाद राज्य सभा के सदस्य मनोनीत किये गये।

12. ‘दिनकर’ जी एक प्रगतिशील कवि होने के साथ-साथ और क्या थे?

उत्तर: ‘दिनकर’ जी एक प्रगतिशील कवि होने के साथ-साथ एक विचारक भी थे।

13. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ किसके कवि माने जाते हैं?

उत्तर: रामधारी सिंह ‘दिनकर”ओज’ के कवि माने जाते हैं।

14. ‘दिनकर’ जी की साहित्यिक भाषा कैसी है?

उत्तर: ‘दिनकर’ जी की साहित्यिक भाषा सरल एवं स्पष्ट है।

सारांश:

प्रस्तुत “शक्ति और क्षमा” शीर्षक कविता कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी द्वारा रचित है। यह कविता कवि ‘दिनकर’ द्वारा रचित ‘कुरुक्षेत्र’ नामक महाकाव्य का एक विशेष अंश है। इसका सारांश निम्नलिखित है:

कवि के अनुसार क्षमा, त्याग, तपस्या, दया, सहनशीलता आदि गुण तभी सार्थक एवं आदरणीय और मान्य होते हैं, जब वे शक्तिशाली के पास हों। शक्ति के बिना ये सब गुण कायरता और पौरुषहीनता की निशानी बनकर रह जाते हैं। पाण्डव इन्हीं गुणों के सहारे कौरवों से अपनी बात मनवाने की कोशिश करते रहे। किन्तु कौरवों के नायक धृतराष्ट्र-पुत्र दुर्योधन ने युधिष्ठिर की एक भी बात नहीं मानी। युधिष्ठिर जितने विनम्र होते गये, वह उतना ही उन्हें कायर और डरपोक समझता गया। कवि ने अपनी इसी बात की पुष्टि के लिए दशरथ पुत्र श्रीराम तथा समुद्र का प्रसंग उद्धृत किया है। कवि ने उदाहरण देते हुए कहा है कि लंका-विजय के समय राम ने अपनी सहन-शीलता तथा विनम्रता दिखाते हुए समुद्र की स्तुति की । वे समुद्र के किनारे बैठकर लगातार तीन दिनों तक समुद्र से रास्ता देने के लिए प्रार्थना करते रहे। लेकिन समुद्र पर उनकी प्रार्थना का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। किन्तु जैसे ही श्रीराम का पौरुष जागा और उन्होंने धनुष पर वाण चढ़ाया तो समुद्र घबड़ा गया। वह व्याकुल होकर राम की शरण में आ गया। उसने उनकी दासता स्वीकार कर ली। समुद्र पर पुल बन गया और राम अपनी सेना के साथ लंका पहुँच गये।

सच पूछा जाए तो वीरता में ही नम्रता का निवास होता है। जिसमें युद्ध जीतने की शक्ति होती है उसी का संधि-प्रस्ताव भी आदरणीय होता है। यह संसार उसी की पूजा करता है, उसी के सामने झुकता है, जिसमें इन गुणों के साथ ही प्रबल शक्ति एवं सामर्थ्य हो। सारांशत: कहा जा सकता है कि यह कविता हमें अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए आत्मरक्षा के लिए शक्तिशाली तथा पर्याप्त साधन-संपन्न होने की शिक्षा देती है।

शब्दार्थ:

मनोबल: मन का बल

नर-व्याघ्र: नरों में (मनुष्यों में) व्याघ्र

रिपु: शत्रु, दुश्मन

भुजंग: साँप

विनत: विनम्र

समक्ष: सामने

भुजंग: साँप

गरल: विष

पंथ: रास्ता

रघुपति: श्री राम

सिंधु: समुद्र

अनुनय: प्रार्थना

नाद: आवाज

अधीर: धैर्यहीन, व्याकुल

शर: तीर

मूढ़: मूर्ख, अनपढ़

दीप्ति: प्रकाश, कान्ति, चमक

संधि: समझौता

जग: संसार

दर्प: अहंकार, घमंड

पाठ्यपुस्तक संबंधित प्रश्न एवं उत्तर:

बोध एवं विचार:

1. सही विकल्प का चयन कीजिए:

( क ) ‘नर-व्याघ्र’ की आख्या किसे दी गयी है?

(i) सुयोधन को

(ii) दुःशासन को

(iii) धृतराष्ट्र को

(iv) शकुनि को

उत्तर: (i) सुयोधन को

(ख) क्षमा वही कर सकता है, जिसके पास

(i) धन हो

(ii) शस्त्रास्त्र हो,

(iii) शक्ति हो

(iv) विष हो।

उत्तर: (iii) शक्ति हो।

(ग) केवल विनम्रता को _____ समझ लिया जाता है।

(i) वीरता

(ii) मित्रता

(iii) कायरता

(iv) सहनशीलता

उत्तर: (iii) कायरता

(घ) तीन दिवस तक कौन पंथ माँगते रहे?

(i) दुर्योधन

(ii) पाण्डव

(iii) (क)

(iv) श्रीराम

उत्तर: (iv) श्रीराम

(ङ) प्रस्तुत कविता वस्तुतः युधिष्ठिर के प्रति कहा गया कथन है। यह कथन किसका है?

(i) पाण्डु का

(ii) भीष्म का

(iii) श्रीकृष्ण का

(iv) कुन्ती का

उत्तर: (ii) भीष्म का

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

(क) पाण्डव कौरवों से अपनी बात क्यों नहीं मनवा पा रहे थे?

उत्तर: पाण्डव क्षमाशील, सहनशील, त्यागी, तपस्वी तथा विनम्र थे। वे कौरवों से अपनी बात मनवाने के लिए क्षमा, दया, तपस्या, त्याग तथा नैतिकता का सहारा ले रहे थे। किन्तु स्वभाव से दुष्ट तथा घमंडी कौरव पाण्डवों को डरपोक तथा कायर समझ रहे थे। शक्ति प्रदर्शन न करने के कारण पाण्डवों की नम्रता कौरवों को प्रभावित नहीं कर पा रही थी। यही कारण था कि पाण्डव कौरवों से अपनी बात नहीं मनवा पा रहे थे।

(ख) श्रीराम के अनुनय का समुद्र पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर: लंका-विजय के लिए जाते समय श्रीराम ने अपनी विनम्रता का प्रदर्शन करते हुए तीन दिनों तक समुद्र से राह देने की प्रार्थना की। किन्तु उनकी प्रार्थना का समुद्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

(ग) समुद्र की उपेक्षा पर श्रीराम ने क्या किया?

उत्तर: समुद्र की उपेक्षा पर श्रीराम का धैर्य टूट गया। उनका पौरुष जाग उठा और उन्होंने समुद्र को सुखा डालने के लिए धनुष पर वाण चढ़ा लिया। श्रीराम की शक्ति और पौरुष को देखकर समुद्र घबड़ा गया और वह उनके शरण में आ गया। उसने उनकी दासता स्वीकार कर ली।

(घ) कविता के आधार पर बताइए कि वास्तविक वीरता क्या है?

उत्तर: क्षमा, दया, तपस्या, त्याग, नैतिकता, सहनशीलता तथा नम्रता आदि गुणों के साथ आवश्यकता पड़ने पर अपनी रक्षा के लिए शक्ति तथा शौर्य का प्रदर्शन करना ही वास्तविक वीरता है।

(ङ) श्रीराम समुद्र से किस बात के लिए अनुनय कर रहे थे?

उत्तर: श्रीराम समुद्र से रास्ता देने के लिए अनुनय कर रहे थे।

(च) पठित कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।

उत्तर: इस कविता का प्रतिपाद्य यह है कि क्षमा, त्याग, तपस्या, दया, सहनशीलता, नैतिकता, नम्रता आदि गुण तभी उपयुक्त और ग्रहणयोग्य हो सकते हैं, जब वे शक्तिशाली के पास हों। इस प्रकार अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अपनी रक्षा के लिए शक्ति-संपन्न होने का उपदेश देना ही इसका प्रतिपाद्य है।

3. निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए:

(क) क्षमा शोभती उस भुजंग को,

जिसके पास गरल हो।

उसको क्या, जो दंतहीन,

विषरहित, विनीत, सरल हो।

उत्तरः प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘अंबर भाग-1′ के ‘शक्ति और क्षमा’ शीर्षक कविता से उधृत की गयी हैं। इसके रचयिता कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी हैं। इस कविता में शरशय्या पर पड़े भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को समझाते हुए वीरोचित धर्म का उपदेश दिया है।

व्याख्या: भीष्म पितामह के माध्यम से कवि का यह कथन है कि केवल अहिंसा तो कायरों और पुरुषार्थहीनों का कवच बनकर रह जाती है। क्षमा तो उस सर्प को शोभा देती है, जो विषयुक्त होता है। जो साँप दंतहीन तथा विषरहित होता है, उसकी अहिंसा या क्षमा सराहनीय नहीं होती। क्योंकि उस अवस्था में उसकी अहिंसा अथवा क्षमा उसकी लाचारी होती है। ठीक इसी प्रकार क्षमा, दया, नम्रता आदि गुण उसी को शोभा देते हैं, जो शक्तिशाली होता है। शक्ति के बिना ये गुण कायरता और पौरुषहीनता को प्रकट करते हैं। दाँत और विष न होने के कारण जहरीला साँप चाहकर भी किसी की डँस नहीं सकता। यदि डँस भी ले तो उसका कोई असर नहीं होता। इसलिए इस अवस्था में अहिंसा या क्षमा का व्रत ग्रहण करना उसकी लाचारी होती है। वह मजबूरन अहिंसक तथा क्षमाशील बन जाता है। क्योंकि दाँत और विष न होने के कारण वह पुरुषार्थहीन एवं शक्तिरहित हो जाता है। इसलिए उसकी क्षमा सराहनीय नहीं होती। वह तो उसकी कायरता, दुर्बलता अथवा पुरुषार्थहीनता की निशानी बनकर रह जाती है।

(ख) सहनशीलता, क्षमा, दया को,

तभी पूजता जग है।

बल का दर्प चमकता उसके,

पीछे जब जगमग है।

उत्तर: प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘अंबर भाग-1’ के ‘शक्ति और क्षमा’ शीर्षक कविता से उद्धृत की गयी हैं। इसके रचयिता कवि रामधारी

सिंह ‘दिनकर’ जी हैं। इस कविता में शरशय्या पर पड़े भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को समझाते हुए वीरोचित धर्म का उपदेश दिया है।

व्याख्या: कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी भीष्म पितामह के माध्यम से रामायण की कथा का उदाहरण देते हुए यह बताना चाहते हैं कि जिसके पास शक्ति है, जो शूर-वीर तथा पुरुषार्थी है, उसी के क्षमा, दया, त्याग, तपस्या, सहनशीलता, नम्रता आदि गुणों को संसार पूजता है। अर्थात् शक्तिशाली व्यक्ति में निहित इन गुणों की ही दुनिया पूजा करती है। श्रीराम लंका-विजय के समय रास्ता देने के लिए तीन दिनों तक समुद्र से प्रार्थना करते रहे। अपनी विनम्रता दिखाते हुए उसका गुण-गान करते रहे। किन्तु समुद्र पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उसने राम की नम्रता को उनकी दुर्बलता मान ली। वह उन्हें कायर समझकर चुप्पी साधे रहा। किन्तु जैसे ही श्रीराम का धैर्य टूटा और उनका पौरुष जागा वैसे ही समुद्र घबड़ा गया। उसे राम की शक्ति का ज्ञान हो गया। वह दौड़कर उनकी शरण में आ गया। उनकी दासता स्वीकार कर ली। तात्पर्य यह है कि यदि राम में शक्ति नहीं होती तो समुद्र उनकी शरण में नहीं आता। राम का वह सेवक नहीं बनता। वह उनकी नम्रता को कायरता मानकर बैठा रहता। इसलिए कवि का यह स्पष्ट कथन है कि क्षमा, दया, नम्रता आदि गुण अच्छे हैं। किन्तु इन गुणों के साथ ही व्यक्ति को शक्तिशाली तथा साधनसंपन्न भी होना चाहिए। तभी संसार में उसका सम्मान होगा और लोग उसकी पूजा करेंगे।

भाषा एवं व्याकरण:

1. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए:

क्षमा, विनीत, गरल, ग्रहण, कायर

उत्तर: क्षमा – दण्ड

विनीत – धृष्ट (अविनीत)

गरल – अमृत

ग्रहण – त्याग

कायर – वीर

2. निम्नलिखित शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखिए:

रिपु, भुजंग, नाद, रघुपति, सागर, देह

उत्तर: रिपु: शत्रु, अरि, दुश्मन।

भुजंग: सर्प, नाग, साँप।

नाद: आवाज, ध्वनि, शब्द।

रघुपति: राम, रघुनन्दन, सीतापति।

सागर: समुद्र, सिन्धु, रत्नाकर।

देह: शरीर, काया, गात।

3. निम्नलिखित अभिव्यक्तियों को एक-एक शब्द में प्रकाशित कीजिए:

(i) जिसके दाँत न हो।

(ii) जो विष से रहित हो।

(iii) जो सहन कर सकता हो।

(iv) जिसमें शक्ति हो।

(v) जिसमें धीरज न हो।

उत्तर: (i) दंतहीन

(ii) विषरहित

(iii) सहनशील

(iv) शक्तिशाली

(v) अधीर

योग्यता-विस्तार:

1. कक्षा में पठित कविता का भावपूर्ण सस्वर वाचन कीजिए।

उत्तरः छात्रगण स्वयं अभ्यास करें।

2. इस कविता को पढ़कर आपके मन में क्या-क्या विचार आते हैं? एक अनुच्छेद में लिखिए।

उत्तर: छात्रगण शिक्षक की मदद से अपने विचार लिखें।

3. वीरता एवं राष्ट्र-प्रेम संबंधी ‘दिनकर’ की अन्य कविताएँ पढ़िए और कक्षा में चर्चा कीजिए।

उत्तर: छात्रगण स्वयं करें।

4. कविता में व्यक्त भीष्म पितामह के विचारों की उपयुक्तता पर कक्षा में वाद-विवाद का आयोजन कीजिए।

उत्तर: छात्रगण अपने स्तर पर करें।

अतिरिक्त प्रश्न एवं उत्तर:

1. ‘शक्ति और क्षमा’ शीर्षक कविता का केन्द्रीय भाव क्या है?

उत्तर: ‘शक्ति और क्षमा’ शीर्षक कविता का केन्द्रीय भाव यह है कि क्षमा, दया, त्याग, सहनशीलता, नम्रता आदि गुण तभी उपयुक्त और ग्रहणयोग्य होते हैं, जब वे किसी शक्तिशाली के पास हों। इन गुणों के होते हुए भी शक्तिहीन व्यक्ति कायर समझा जाता है।

2. इस कविता में कौन किससे बात कर रहा है?

उत्तर: इस कविता में शरशय्या पर पड़े भीष्म पितामह ज्येष्ठ पाण्डु-पुत्र युधिष्ठिर से बात कर रहे हैं।

3. कवि नम्रता, क्षमा, दया आदि गुणों को कब प्रशंसनीय मानता है?

उत्तर: कवि नम्रता, क्षमा, दया आदि गुणों को तब प्रशंसनीय मानता है जब मनुष्य की भुजाओं में शक्ति हो, हृदय में साहस हो तथा मन आत्म-विश्वास से भरा हुआ हो।

4. सुयोधन कौन था ? उसके बारे में कवि ने क्या कहा है?

उत्तर: धृतराष्ट्र-पुत्र दुर्योधन का ही वास्तविक नाम सुयोधन था। कवि ने उसके बारे में यह कहा है कि मनुष्यों में बाघ के समान हिंसक (नर-व्याघ्र) बना हुआ दुर्योधन युधिष्ठिर के सामने कभी नहीं झुका। पाण्डवों ने अपनी बात मनवाने के लिए अनेक प्रयास किये किन्तु उसने उनकी एक भी बात नहीं मानी।

5. किसी सर्प की ‘क्षमा’ कब शोभा देती है?

उत्तर: किसी सर्प की ‘ क्षमा’ तब शोभा देती है, जब उसके पास गरल (विष) हो।

6. श्रीराम कब और क्यों अधीर हो गये?

उत्तर: श्रीराम ने मार्ग देने के लिए तीन दिनों तक समुद्र से प्रार्थना की। जब उनकी प्रार्थना का समुद्र पर कोई प्रभाव न पड़ा तब वे अधीर हो गये।

7. संसार कैसे व्यक्ति की पूजा करता है?

उत्तर: सहनशीलता, दया, क्षमा आदि गुणों से युक्त शक्तिशाली व्यक्ति की संसार पूजा करता है।

8. ‘क्षमा’ की आभा कहाँ निवास करती है?

उत्तर: ‘क्षमा’ की आभा शक्ति में निवास करती है।

9. इस कविता की किन पंक्तियों में शक्तिशाली बनने की प्रेरणा दी गयी है?

उत्तर: इस कविता की निम्नलिखित पंक्तियों में शक्तिशाली बनने की प्रेरणा दी गयी है:

सहनशीलता, क्षमा, दया को, तभी पूजता जग है।

बल का दर्प चमकता उसके, पीछे जब जगमग है।

10. नीचे लिखी पंक्तियों का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए:

सच पूछो तो शर में ही, बसती है दीप्ति विनय की।

संधि-वचन संपूज्य उसी का, जिसमें शक्ति विजय की।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी ने स्पष्ट किया है कि जिसके पास शक्ति है, (चाहे वह कोई व्यक्ति हो अथवा कोई राष्ट्र हो), उसी की नम्रता प्रभावशाली होती है। दुनिया उसी के सामने झुकती है। वीरता में ही विनम्रता की आभा निवास करती है। शक्तिहीन की नम्रता कायरता को प्रकट करती है। जिसमें युद्ध जीतने की क्षमता हो, उसी का सुलह-प्रस्ताव भी आदर पाता है। उसके संधि-प्रस्ताव का सम्मान होता है। अन्यथा उसके प्रस्ताव को उसकी कायरता मानकर उसे ठुकरा दिया जाता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top