Class 12 Hindi Chapter 10 पतंग

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पतंग

Chapter – 10

काव्य खंड

कवि परिचय: आलोक धन्वा का जन्म सन् 1948 ई. में बिहार अवस्थित मुंगेर नामक स्थान में हुआ। था। सातवें आठवें दशक में ही कवि के रूप में आलोक धन्वा ने अपनी अल्पसंख्यक कविताओं के आधार पर अपार लोकप्रियता अर्जित कर ली थी। इनकी कविताएं इतनी लोकप्रिय रही कि अनेक काव्यप्रेमियों को ये कविताएं जबानी ही याद हो गई। आलोक धन्वा जी ने कभी थोक के भाव में लेखन नहीं किया है। कविता रचना के अलावा वे देश के विभिन्न हिस्सों में सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने जमशेदपुर में अध्ययन मंडालियों का संचालन तो किया ही साथ ही रंगकर्म तथा साहित्य पर कई राष्ट्रीय संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में अतिथि व्याख्याता के रूप में कार्य किया है। उन्हें कई सम्मानों से सम्मानित किया गया है, जिनमें राहुल सम्मान, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद का साहित्य सम्मान, बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान, पहल सम्मान प्रमुख हैं।

प्रमुख रचनाएं:

कविता: जनता का आदमी (1972), भागी हुई लड़कियाँ, ब्रूनो की बेटियाँ। काव्य संग्रह दुनिया रोज बनती है।

प्रश्नोत्तर

1. सबसे तेज बौछारें गयी, भादो गया, के बाद प्रकृति में जो परिवर्तन कवि ने दिखाया है, उसका वर्णन अपने शब्दों में करें।

उत्तर: भादों महीने के बाद शरद ऋतु का आगमन होता है। भादो ऋतु की भांति शरद ऋतु में तेज बौछारें नहीं होता है। आसमान मेघों से घिरा नहीं होता है। शरद ऋतु में ठी पड़ना शुरू हो जाता है। शरद ऋतु में भोर के समय ओसकण मोतियों की भांति पत्तों पर चमक बिखेरते है। सुरज अपनी सुनहली धुप चारों ओर बिखेर देता है।

2. सोचकर बताएँ कि पतंग के लिए सबसे हल्की और रंगीन चीज, सबसे पतला, कागज, सबसे पतली कमानी जैसी विशेषणों का प्रयोग क्यों किया हैं?

उत्तर: पतंग के लिए सबसे हल्की और रंगीन चीज, सबसे पतला कागज तथा सबसे पतली कमानी जैसे विशेषणों का प्रयोग किया गया है, क्योंकि पतंग रंगीन कागज से बनाया जाता है, जिसमें बाँस से बनी पतली कमानी लगाई जाती है। पतंग बनाने के लिए प्रयोग किया जाने वाला कागज इतना पतला होता है, कि उसका वजन नहीं के बराबर होता है। यही कारण है कि पतंग आसमान में ऊंचाई में उड़ाया जा सकता है।

3. बिंब स्पष्ट करें:

सबसे तेज बौछारें गयी भादो गया

सवेरा हुआ

खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा 

शरद आया पुलों की पार करते हुए

अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए

घंटी बजाते हुए जोर-जोर से

चमकीली इशारों से बुलाते हुए और

आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए

कि पतंग ऊपर उठ सके।

उत्तर: शब्दों के माध्यम से निर्मित चित्त ही बिंब कहलाता है। बिम्ब कल्पना निर्मित और भावगर्भित होता है।

कवि ने प्रस्तुत कविता में बाल क्रियाकलापों एवं प्रकृति में आए परिवर्तन को अभिव्यर करने के लिए सुन्दर बिम्ब का उपयोग किया गया है। प्रस्तुत पंक्तियाँ हमें बिम्बों ……. एवं दुनिया में ले जाती है, जहाँ शरद ऋतु का चमकीला इशारा है, जहाँ तितलियों की रंगीत दुनिया है, दिशाओं के मृदंग बजते हैं। जहाँ भादो का तेज बौछारें का चित्रण किया हैं, वहीं खरगोश की आंखों सी लाल सवेरे वाला शरद ऋतु का वर्णन किया है। शरद ऋतु के आगमन के साथ बच्चों में पतंग उड़ाने की होड़ सी लग जाती है।

4. जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास कपास के बारे में सोचें कि कपास से बच्चों का क्या संबंध बन सकता है?

उत्तर: यहाँ कपास शब्द का प्रयोग कोमलता के अर्थ में किया गया है। हम जानते है कि कपास बहुत कोमल, हल्का और नाजुक होता है। ठीक उसी प्रकार बच्चे भी कोमल, नाजुक और हल्के होते है।

5. पतंग के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं – बच्चों का उड़ान से कैसा संबंध बनता हैं?

उत्तर: यहाँ पतंग के साथ बच्चों के उड़ने की बात कहीं गई है। रंग-बिरंगे पतंगों के साथ बच्चे भी अपनी उमंगों की रंग-बिरंगा दुनिया में उड़ने लगते है। पतंग बच्चों को एक नई दुनिया में ले जाती है वह दुनिया है, तितलियों की रंगीन दुनिया जहां दिशाओं के मृदंग बजते है।

6. निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़ कर प्रश्नों का उत्तर दीजिए:

क) छतों को भी नरम बनाते हुए

दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए

ख) अगर वे कभी गिरते है छतों के खतरनाक किनारों से और बच जाते हैं तब तो और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं।

7. दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने का क्या तात्पर्य है?

उत्तर: पतंग उड़ाने की होड़ लगाते बच्चे बेसुध होकर छतों पर दौड़ लगाते है। इस दौड़ में वे छतों को नरम बनाते हैं। चारों ओर उनके सीटियों तथा किलकारियों की आवाज सुनाई कल्पना निर्मित देती है। बच्चे अपने उमंगों की रंग बिरंगी दुनिया में इतने बेसुध होते है कि वे दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते है।

8. जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए क्या आपको छत कठोर लगती है?

उत्तर: पतंग उड़ाने की धुन इस प्रकार सवार होती है, छत का कठोर होना ध्यान ही नहीं रहता है। कठोर छत भी नरम सी प्रतीत होती है।

9. खतरनाक परिस्थितियों का सामना करने के बाद आप दुनिया की चुनौतियों के सामने स्वयं को कैसा महसूस करते हैं?

उत्तर: जीवन की खतरनाक परिस्थितियों का सामना करने के बाद मुझमें और भी हिम्मत आ जाती है। और मेरे सामने आने वाली दुनिया की चुनौतियाँ परेशान नहीं करती बल्कि उनका सामना मैं हिम्मत से करती हूँ। दुनिया की चुनौतियाँ हर मनुष्य के सामने आती है, पर उन चुनौतियों के आगे हमे हार नहीं मानना चाहिए बल्कि उन विषम परिस्थितियों से डटकर लड़ना चाहिए।।

10. पतंग कविता के कवि कौन है?

उत्तर: पतंग कविता के कवि है आलोक धन्वा जी ।

11. आलोक धन्वा का जन्म कब और कहां हुआ था? 

उत्तर: आलोक धन्वा का जन्म सन् 1948 ई. में बिहार के मुंगेर नामक स्थान में हुआ था।

12. आलोक धन्वा की पहली कविता की नाम क्या है?

उत्तर: आलोक धन्वा की पहली कविता ‘जनता का आदमी’ है, जो सन् 1972 में प्रकाशित हुआ है।

13. आलोक धन्वा की एकमात्र कविता संग्रह का नाम लिखे। 

उत्तर: आलोक धन्वा की एकमात्र कविता संग्रह ‘दुनिया रोज बनती’ है। 

14. ‘दुनिया रोज बनती है’ का प्रकाशन वर्ष कौन सा था? 

उत्तर: इसका प्रकाशन वर्ष सन् 1998 है।

15 ‘पतंग’ किस प्रकार की कविता है?

उत्तर: पतंग एक लंबी कविता है, जिसका तीसरा भाग पाठ्यपुस्तक में शामिल किया गया है।

16. पतंग कविता के पीछे कवि का उद्देश्य क्या हैं?

उत्तर: कवि ने पतंग के बहाने इस कविता में बालसुलभ इच्छाओं एवं उमंगों का सुंदर चित्रण किया है। साथ ही प्रकृति में आए परिवर्तनों को दिखाने की कोशिश की है।

17. कवि ने यहाँ किस ऋतु का वर्णन किया है?

उत्तर: कवि ने शरद ऋतु में प्रकृति में आनेवाले परिवर्तनों को वर्णित किया है।

18. शरद ऋतु की सुबह की लालिमा की तुलना कवि ने किसके साथ की है? 

उत्तर: शरद ऋतु की लालिमा मिश्रित सुबह की तुलना कवि ने खरगोश की आंखों से की है।

19. पतंग बच्चों को कहां लेकर जाती है?

उत्तर: पतंग बच्चों को एक नयी दुनिया में ले जाती है, जो तितलियों की रंगीन दुनिया है, जहां दिशाओं के मृदंग बजते हैं।

व्याख्या कीजिए

1. सबसे तेज बौछारें……नाजुक दुनिया।

शब्दार्थ: बौछारें छींटे, नाजुक कोमल, दुनिया संसार ।

भावार्थ: कवि ने बाल क्रियाकलापों के साथ प्रकृति में आए परिवर्तनों को अभिव्यक्त किया है। कवि कहते है अपने साथ तेज बौछारें लाने वाला भादों का महीना जाने पश्चात् शरद महीने का आगमन होता है। शरद महीनें के लाल सवेरा खरगोश की आँखों सा प्रतीत होता है। शरद के आते ही बच्चे जोर-जोर से सीटी बजाते हुए अपनी चमकोली साइकिल पर सवाल पुलों को पार करते हुए निकलते है। वे अपने चमकीले इशारों से पतंग उड़ानेवाले बच्चों के झुंड के बुलाते है। वे बच्चे आकाश को इतना मुलायम बनाते है कि दुनिया की सबसे हल्की और रंगीन चीज उड़ सके। बाँस की सबसे पतली कमानी से बनाई हुई रंग बिरंगी पतंग आसमान में उड़ सके। ये हल्की और रंगीन पतंग उड़ते के साथ ही उन्हें एक नई दुनिया की ओर ले जाती है। वह दुनिया है सीटियों, किलकारियों और तितलियों की नाजुक दुनिया।

2. जन्म से ही वे……. रंथों के सहारे।

शब्दार्थ: कपास रुई, मृदंग वाद्ययंत्र लचीले नाजुक

भावार्थ: पतंग बच्चों की उमंगों का रंग बिरंगा सपना है। आसमान में उड़ती हुई पत ऊंचाइयों की वे हदे है, जिन्हें बालमन छूना चाहता है, और उसके पारजाना चाहता है। जन से बच्चे अपने साथ कपास जैसी कोमलता साथ लाते है। उनके चंचल पैरों के सामने माने पृथ्वी घूमती है। जब ये बच्चे बेसुध होकर दौड़ते है, तब वे छतों को भी नरम बना देते हैं, तथा दिशाएं मृदंग की भांति बजने लगते है। अकसर कोमल डाल की लचीले वेग के साथ, जब वे पेग भरते हुए छतों के खतरनाक किनारों तक आते हैं तब छत से गिरने से एकमात्र उन्हें उनका रोमांचित शरीर का संगीत ही बचाता है। पतंग की धड़कती ऊंचाइयाँ एक धागे के सहारे उन बच्चों को गिरने से रोक लेती है। अपने रंध्रों के सहारे वे भी पतंगों के साथ * रंगीन दुनिया में उड़ चले जाते है।

3. अगर वे कभी…..पैरों के पास।

शब्दार्थ: सुनहले सोने के वर्ण का।

भावार्थ: बच्चे कभी अगर पतंग उड़ाते उड़ाते छतों के खतरनाक किनारों से गिरकर अगर सही-सलामत बच जाते हैं, तब उनका मनोबल और भी बढ़ जाता है। तब वे और भी निडर होकर सुनहले सूर्य के समक्ष अपनी पतंग आसमान में और ऊंचाई पर उड़ाने को कोशिश करते है। तब पृथ्वी का हर कोना खुद-ब-खुद उनके पास आ जाता है।

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