पुस्तकालय – रचना | Pustakaalay Rachana

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पुस्तकालय

पुस्तकालय शब्द दो शब्दों के मेल से बना है। पुस्तक + आलय अर्थात पुस्तकों को | जहाँ संग्रह किया जाता है, उसे पुस्तकालय कहते है। किसी भी स्कूल, कॉलेज के लिए पुस्तकालय का होना बहुत ही आवश्यक है। कोई भी स्कूल, कॉलेज पुस्तकालय के बिना | सम्पूर्ण नही होता है। पुस्तकालय न कोवल विद्यार्थीयों के लिए, बल्कि शिक्षक के लिए भी उपयोगी है। पुस्तकालय लोगों की अध्ययन प्रवृति को बढ़ाता है। पुस्तकालय लोगों के ज्ञान बढ़ाने में काफी मदद करता है।

पुस्तकालय का होना बहुत ही आवश्यक है। स्कूल-कालेज के अतिरिक्त हर जगह एक सामुहिक पुस्तकालय । होना अत्यन्त आवश्यक है। पुस्तकालय में बहुत ही पुरानी तथा मुल्यवान किताबों का संग्रह किया जाता है। जिससे उन किताबों को पढ़कर लोगों का ज्ञान बढ़ सके। अतः हर स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय तथा हर नगर में एक पुस्तकालय होना नितान्त आवश्यक है।

लाभ पुस्तकालय हर व्यक्ति हर समाज के लिएलाभदायक है। पुस्तकालय में हर विषय के पुस्तक पाये जाते है। कला सम्बन्धी, साहित्य सम्बन्धी, चित्रकारीता सम्बन्धी, खेलकुद सम्बन्धी। मनुष्य अपनी खार्च के अनुसार पुस्तकें पढ़कर अपनी ज्ञान बढ़ा सकता है। अगर हम किसी विषय के प्रति जिज्ञासु है, तो हम पुस्तकालय में जाकर उस विषय से

सम्बन्धी पुस्तक पढ़कर उसकी जानकारी प्राप्त कर सकते है।

प्रबन्धन: जहाँ तक प्रबन्धन का सवाल है, हर व्यक्ति को इस बात के लिए प्रयत्नशील होना चाहिए कि वह अपने इलाके में एक सार्वजनिक, पुस्तकालय की स्थापना करें। सरकार को भी इस विषय पर विशेष ध्यान देना चाहिए। पुस्तकालय में बड़ी संख्या में किताबों का संग्रह किया जाना चाहिए।

चुनौतियाँ: आज कई प्रकार की चुनौतियाँ पुस्तकालय के समक्ष है। आज कई पुस्तकालय का सही रुप से देखभाल नहीं हो रहा है। आज कई पुस्तकालय की हालत ठीक नहीं है। 

पाठको की संख्या: वर्तमान समय में पाठकों की संख्या बढ़ती जा रही है। : अतः इसके लिए आवश्यक है, कि अधिक से अधिक पुस्तकालयों के निर्माण की कोशिश करनी चाहिए। ताकि पाठक पुस्तकालय जाकर अपनी रुचि अनुसार पुस्तक पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सके।

उपसंहारः अतः हम यह कह सकते हैं, पुस्तकालय का होना हर व्यक्ति के लिए बहुत ही उपयोगी है। किसी भी शौक्षार्णक, अनुष्ठान में एक पुस्तकालय का होना नितान्त ही आवश्यक है।

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