Niketan Class 4 Hindi Chapter 1 बालकों की प्रार्थना

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बालकों की प्रार्थना

Chapter – 1

SANKARDEV SISHU NIKETAN

প্রশ্নোত্তৰ


मूलभाव:- प्रस्तुत कविता में कवि ने छोटे बच्चों के माध्यम से अपने उपर भगवान की कृपा करने की प्रार्थना की है। हमारी प्रार्थना स्वीकार करें। बुद्धि, विद्या, शीलगुण और गौरव कृपाकर दीजिये। धर्मसेवा, जातिसेवा, देशसेवा की आग्रह हो। दीन दुखियों का सहारा बनकर, दुःख दूर करने का संकल्प करें। मेरा ध्यान सदा तेरे चरणों में हो, यही हमारी विनती स्वीकार करो।

মূলভাৱ:-  উক্ত কবিতাটিত কবিয়ে সৰু ল’ৰা-ছোৱালীৰ জৰিয়তে নিজৰ ওপৰত ভগৱানৰ কৃপা প্ৰাৰ্থনা কৰিছে। মোৰ প্ৰাৰ্থনা গ্ৰহণ কৰা । বিদ্যা, বুদ্ধি, শালীনতা আৰু গৌৰৱ কৃপা কৰি দিয়া । ধৰ্মসেৱা, জাতিসেৱা, দেশসেৱা কৰাৰ কাৰণে অনুপ্ৰেৰণা দিয়া ৷ দুখীয়াক সহায় কৰিবৰ কাৰণে প্ৰেৰণা দিয়া। মোৰ ধ্যান সদায় তোমাৰ চৰণতে থাকে, এইয়ে মোৰ সৰল মিনতি।

अभ्यास

1. खाली स्थान भरो-

(क) धर्मसेवा, जातिसेवा–––––हम करें। 

(ख) हो महारा ध्यान तेरे–––––में प्यारे प्रभु । 

उत्तरः (क) धर्मसेवा, जातिसेवा देशसेवा हम करें।

(ख) हो हमारा ध्यान तेरे चरणों में प्यारे प्रभु।

2. वाक्य बनाओ :

स्वीकार,    धर्म,    ध्यान,    कृपा। 

उत्तरः स्वीकार ― हमारी प्रार्थना स्वीकार करें।

धर्म – धर्म की रक्षा करना चाहिए।

ध्यान – प्रभु का ध्यान सदा करना चाहिए। 

कृपा – भगवान की कृपा से ही हम मनुष्य तन पाये हैं।

शब्दार्थ

प्रार्थना – প্ৰাৰ্থনা;   बुद्धि – বুদ্ধি;   स्वीकार – গ্ৰহণ

प्यार – মৰম, স্নেহ;  चरण – ভৰি;  गौरव – সম্মান

शीलगुण – শালীনতা

3. बालक किसकी प्रार्थना करते हैं ?

उत्तर: बालक भगवान की प्रार्थना करते हैं। 

4. कौन सी सेवा करने का प्रार्थना करते है ?

उत्तर: धर्मसेवा, जातिसेवा और देशसेवा करने का प्रार्थना करते हैं।

5. बालक प्रभु से क्या माँगते हैं ? 

उत्तरः बालक प्रभु से बुद्धि, विद्या, शीलगुण और गौरव माँगते हैं।

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