Class 9 Hindi Elective Chapter 13 मुरझाया फुल

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Class 9 Hindi Elective Chapter 13 मुरझाया फुल

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मुरझाया फुल

पाठ – 13

बोध एवं विचार

अभ्यासमाला

(अ) सही विकल्प का चयन करो :  

1. कवयित्री महादेवी वर्मा की तुलना की जाती है―

(क) सुभद्रा कुमारी चौहान के साथ।

(ख) मीराँबाई के साथ।

(ग) उषा देवी मित्रा के साथ।

(घ) मन्नू भंडारी के साथ।

उत्तर : (ख) मीराँबाई के साथ । 

2. कवयित्री महादेवी वर्मा का जन्म कहाँ हुआ था ?

(क) गाजियावाद में।

(ख) हैदरावाद में।

(ग) फैजावाद में।

(घ) फर्रुखाबाद में ।

उत्तर : (घ) फर्रुखाबाद में । 

3. महादेवी वर्मा की माता का नाम क्या था ?

(क) हेमराणी वर्मा। 

(ख) पद्मावती वर्मा।

(ग) फुलमती वर्मा।

(घ) कलावती वर्मा।

उत्तर : (क) हेमराणी वर्मा । 

4. हास्य करता था…….अंक में तुझको पवन ।” 

(क) खिलाता। 

(ख) हिलाता।

(ग) सहलाता। 

(घ) सुलाता।

उत्तर : (क) खिलाता । 

5. यत्न माली का रहा…….से भरता तुझे ।

(क) प्यार। 

(ख) आनन्द। 

(ग) सुख।

(घ) धीरे।

उत्तर : (ख) आनन्द ।

6. करतार ने धरती पर सबको कैसा बनाया है ?

(क) सुन्दर।

(ख) त्यागमय।

(ग) स्वार्थमय।

(घ) निर्दय।

उत्तर : (ग) स्वार्थमय ।

(आ) हाँ या नहीं में उत्तर दो : 

1. छायावादी कवयित्री महादेवी वर्मा रहस्यवादी कवयित्री के रूप में भी प्रसिद्ध है ? 

उत्तर : हाँ ।

2. महादेवी वर्मा के पिता-माता उदार विचारवाले नहीं थे ।

उत्तर : नहीं ।

3. महादेवी वर्मा ने जीवन भर शिक्षा और साहित्य की साधना की ।

उत्तर : हाँ ।

4. वायु पंखा झल कर फूल को सुख पहुँचाती रहती है । 

उत्तर : हाँ ।

5. मुरझाए फूल की दशा पर संसार को दुख नहीं होता । 

उत्तर : हाँ । 

(इ) पूर्ण वाक्य में उत्तर दो : 

1. महादेवी वर्मा की कविताओं में किनके प्रति विरहानुभूति की तीव्रता परिलक्षित होती है ।

उत्तर : सर्वव्यापी परम सत्वा के प्रति विरहानुभूति की तीव्रता परिलक्षित होती है । 

2. महादेवी वर्मा का विवाह कब हुआ था ? 

उत्तर : छठी कक्षा तक पढ़ने के बाद । 

3. महादेवी वर्मा ने किस रूप में अपने कर्म जीवन का श्रीगणेश किया था ?

उत्तर : प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्राचार्य के रूप में ।

4. फूल कौन सा कार्य करते हुए भी हरषाता रहता है ? 

उत्तर : अपना स्वर्वस्व दान करते हुए भी फूल हरषाता रहता है । 

5. भ्रमर फुल पर क्यों मॅडराने लगते है ?

उत्तर : फुलों के मधु और सौरभ पाने के लिए । 

(ई) अति संक्षिप्त उत्तर दो : 

1. किन गुणों के कारण महादेवी वर्मा की काव्य रचनाएँ हिन्दी पाठकों को विशेष प्रिय हैं ?

उत्तर : अपने काव्य को अपने विरहानुभूति और व्यक्तिगत दुख वेदना की अभिव्यक्ति में सीमित न रखकर महादेवी वर्मा जी ने उसे लोक कल्याणकारी करुणा भाव से जोड़ दिया। इसलिए पाठकों को प्रिय रहे । 

2. महादेवी वर्मा की प्रमुख काव्य रचनाए क्या क्या है? किस काव्य संकलन पर उन्हे ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था ? 

उत्तर : महादेवी वर्मा जी की प्रमुख काव्य रचनाए है― नीहार, रहिम, नीरजा, सांध्यगीत, दीपशिखा, और यामा। महादेवी वर्मा को यामा काव्य संकलन के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार भी मिली थी । 

3. फूल किस स्थिति में धरा पर पड़ा हुआ है ?

उत्तर : कलि से फुल होकर मधू और सौरभ दुसरों को दान देकर फूल मुरझाया जाते है और धरा पर पड़ जाते है ।

4. खिले फुल और मूरझाया फुल के साथ पवन के व्यावहार में कौन सा अंतर देखने को मिलते है ? 

उत्तर : खिले फुल को पवन अपने गोद में लेकर यानी हाँसते, खेलते है और मुरझाया फुल पर कभी कोई अनुभव नहीं दिखाते परंतु तीव्र झोके से फूल को भूमि पर गिरा देते है ।

5. खिले फूल और मुरझाया फूल के प्रति भौरें का व्यवहार क्या भिन्न भिन्न होतें है ?

उत्तर : खिले फूलों मधु, सूगंध और सौरभ से भरपूर है, भौरें खिले हुए फूलों से आनन्द लेते है। लेकिन मुरझाया हुआ फूल में कुछ नहीं है इसलिए भौरे इस में कोई आकर्षण नहीं दिखाते है रोता भी नहीं है।

(उ) संक्षित उत्तर दो :

1. महादेवी वर्मा की साहित्यिक देन का उल्लेख करो ।

उत्तर : महादेवी वर्माजी ने गद्य और पद्य दोनों शैलियों में साहित्य की रचना की है। उनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं― ‘नीहार’, ‘रश्मि’, ‘नीरजा’, ‘सांध्यगीत’, ‘दीपशिखा’ और ‘यामा’। ‘पद्मश्री’ उपाधि से सम्मानित महादेवी वर्मा को ‘यामा’ काव्य-संकलन पर ‘ज्ञाणपीठ’ पुरस्कार प्राप्त हुआ था। उनकी गद्य-रचनाओं में “स्मृति की रेखाएँ’, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘श्रृंखला की कड़ियाँ’ और ‘पथ के साथी’ विशेष रूप से उल्लेखनीय है। आपकी काव्य-भाषा संस्कृत-निष्ठ खड़ीबोली कोमलता, मधुरता, गेयता आदि गुणों से संपन्न है ।

2. खिले फूल के प्रति किस प्रकार सब आकर्षित होते है। पठित कविता के आधार पर वर्णन करो । 

उत्तर : खिले फूल में सौन्दर्य के साथ साथ सून्दर सूगंध, मधुरस होने के कारण सबको आकर्षण करते है। पवन उसे तो अपने गोद में लेकर खुश होते हैं। फुलों के सूगंध मनुष्य को भी कम आकर्षित नहीं करते। चन्द्र के किरणों से फुल श्रृगांरी बन जाते है। भ्रमर को आकर्षण करते है। फुलों पर भ्रमर आता तो फुलों का सौन्दर्य अधिक बढ़ता जाता है ।

3. पठित कविता के आधार पर मुरझाए फुल के साथ किए जाने वाले बर्ताव का उल्लेख करो । 

उत्तर : कवि कह रहे है कि― जैसे फूल धरा पर विखरती हुए पड़े रहे, उसके पास चातक, भ्रमर कोई नहीं आते और वृक्ष भी फुल पर दुख करते नहीं है । एकदिन जिस पवन ने फूलको गोद में लिया था उस पवन ने आज तीव्र झोके से मुरझाया फुल को डाल से भूमि पर गिरा दिया । 

4. पठित कविता के आधार पर दानी सूमन की भूमिका पर प्रकाश डालो ।

उत्तर : फूल जब खिले रहे तो उसका आदर सब जगह पर है। फुल भी इस आदर को ग्रहण करके अपने सारा सौन्दर्य सौरभ दान कर देते किन्तु एकदिन जब वह मूरझा जाएगा तो उसे कोई आदर नहीं करता, कोई रोता भी नहीं । फुल के लिए सब स्वार्थमय है ।

(ऊ) सम्यक उत्तर दो :

1. कवयित्री महादेवी वर्मा का साहित्यक परिचय प्रस्तुत करो । 

उत्तर : महादेवी वर्माजी ने गद्य और पद्य दोनों शैलियों में साहित्य की रचना की है। उनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं― ‘नीहार’, ‘रश्मि’, ‘नीरजा’, ‘सांध्यगीत’, ‘दीपशिखा’ और ‘यामा’। ‘पद्मश्री’ उपाधि से सम्मानित महादेवी वर्मा को ‘यामा’ काव्य-संकलन पर ‘ज्ञाणपीठ’ पुरस्कार प्राप्त हुआ था। उनकी गद्य-रचनाओं में “स्मृति की रेखाएँ’, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘श्रृंखला की कड़ियाँ’ और ‘पथ के साथी’ विशेष रूप से उल्लेखनीय है। आपकी काव्य-भाषा संस्कृत-निष्ठ खड़ीबोली कोमलता, मधुरता, गेयता आदि गुणों से संपन्न है ।

2. ‘मुरझाया फूल’ शीर्षक कविता में फूल के बारे में क्या-क्या कहा गया है ? 

उत्तर : मुरझाया फूल शीर्षक कविता में कवयित्री महादेवी वर्मा ने कली के खिलकर फूल बनने से लेकर मुरझाते हुए भूमि पर गिरने तक का आकर्षक वर्णन किया है। कली और खिले फूल के प्रति सब आकर्षित होते है । जबकि मुरझाए फूल के प्रति किसी का कोई आकर्षण नहीं रहता। यह संसार की स्वार्थपरता है। परन्तु इससे प्रभावित न होकर फूल अपना सर्वस्व दान करते हुए सबको हरषाता जाता है ।

3. ‘मुरझाया फूल’ कविता के माध्यम से कववित्री ने मानव जीवन के संदर्भ में क्या संदेश दिया है ?

उत्तर : ‘मुरझाया फूल’ कविता के माध्यम से कवयित्री महादेवी वर्मा जी ने मानव जीवन के संदर्भ में महत्वपूर्ण संदेश दिया है। इस कविता में एक छोटे से फूल के माध्यम से मानव जीवन के गुर सत्य को उजागर किया है। खिले फूल को देखकर सब उसकी ओर आकर्षित होता है उसके सौन्दर्य का पान करता है लेकिन अंत में अर्थात मुरझाते फूल पर कोई रोता नहीं है। उसी प्रकार मानव जीवन में भी प्रथमावस्था भी फूल की तरह ही आकर्षक और मधुर होता है पर उसका भी अंत मुरझाए फूल के समान होता है उसके चाहने वाले ही उससे मुँह घूमा लेता है। यही विधाता का निर्णय है क्योंकि संसार स्वार्थपर है ।

4. पठित कविता के आधार पर फूल के जीवन और मानव जीवन का तुलना करो । 

उत्तर : ‘मुरझाया फूल’ शीर्षक कविता में महादेवी वर्मा ने फूल और मानव जीवन का सुन्दर चित्रण किया है। जिस प्रकार कली खिलकर नवयौवन को प्राप्त करते ही उसको चाहने वाले भी मिल जाते है। कोई उसका रुप सौन्दर्य का मधु पान के लिए आता है तो चन्द्रमा की चाँदनी अपनी स्निग्ध आँचल से उसका श्रृंगार करती। माली भी उसके खिलने तक उसका देखभाल करता पर यही फूल जब वृक्ष से अलग होकर पवन के झोंको से धरा पर बिखर जाता है तब कौन ध्यान देता है इस मुरझाए फूल पर। उसी प्रकार मानव जीवन भी यौवन में सबके लिए आकर्षण का केन्द्र रहता पर जीवन ढलते ही उसकी तरफ कोई नहीं देखता। यह प्रकृति का वास्तव नियम है । 

Sl. No.Contents
Chapter 1हिम्मत और जिंदगी
Chapter 2परीक्षा
Chapter 3आप भोले तो जग भला
Chapter 4बिंदु बिंदु विचार
Chapter 5चिड़िया की बच्ची
Chapter 6चिकित्सा का चक्कर
Chapter 7अपराजिता
Chapter 8मणि-कांचन संयोग
Chapter 9कृष्ण- महिमा
Chapter 10दोहा दशक
Chapter 11चरैवेती
Chapter 12नर हो, न निराश करो मन को
Chapter 13मुरझाया फुल
Chapter 14गाँँव से शहर की ओर
Chapter 15साबरमती के संत (सधु)
Chapter 16टूटा पहिया

(ॠ) प्रसंग सहित व्याख्या करो : 

1. ‘स्निग्ध किरणें चंद्र की……. श्रृंगारती थी सर्वदा ।

उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग २ से ‘मुरझाया फूल’ नामक पाठ से लिया गया ईसके रचयिता महादेवी वर्मा जी है ।

इस पंक्ति में महादेवी वर्मा ने खिले फूलों पर चन्द्रमा की शीतल छाया से श्रृंगार करने की बात कही है ।

कली से जब खिलकर फूल बनते ही चन्द्रमा अपनी चाँदनी से उसे हँसाती मोती के समान ओस की बूँदे भी उसकी श्रृंगार करती है। अर्थात सुन्दर फूल को चाहने वाला भी अनेक है। और फूल भी अपना जीवन अपने चाहने वालों के लिए समर्पण करता है। उसी प्रकार मानव-जीवन भी कुछ पलों के लिए ही सबको खुशियाँ देता है। फूल की तरह ही उसका अंत ऐसा ही होता है ।

2. ‘कर रहा अठखेलियाँ…… या कभी क्या दयान में ।’ 

उत्तर : प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग २ से ‘मुरझाया फूल’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता महादेवी वर्मा जी है ।

प्रस्तुत पंक्ति में मुरझाया फूल के प्रति दृष्टिकोण किया है ।

फूल खिलते ही बागों में बहार आ जाती है चारो ओर फूलों की सुगंध फैल जाती है। फूलो की खुशबु को पवन अपने संग बहा ले जाती है। फूल भी सदा उद्यान में अठखेलयाँ खेलता और सबको अपनी ओर आकर्षित करता है। पर अंत में वह खिला फूल मुरझा जाता है तब उसके चाहने वाले भी उसे नहीं देखता। कभी वह सबके दिलो में समाया था अब वह सबका अनादर का पात्र बना धरा पर बिखरा पड़ा है ।

3. ‘मत व्यथित हो पुष्प……… यहाँ करतार ने ।”

उत्तर : फूल सवको आनन्दित करता है चन्द्र किरणों में हँसते है, हँसाते है, एक अपरूप सौन्दर्य प्रतिफलन करते है, किंतु एकदिन मुरझाया हुया फुलों को कोई आदर नहीं करते है। क्या विषादों से भरे हुए जीवन ।

खिले हुए फुलों पर भ्रमर आकर मंडराते है, वह भी मधु, सौरभ सारा दिन देते रहे, किन्तु जब फूल मूरझा जाएगा तब न तो भ्रमर रोएगा न तो कोई मनुष्य। इस तरह विश्व में पुष्प सबको सूख देकर, हृदय देकर सबके मन आनन्दित करता है लेकिन आज तक कोई मूरझाया फुलों को आदर नहीं दिखाया । कवि के अनुसार सारी दुनिया स्वार्थपर है। ऐसी दूखी फुलों के लिए कवि वास्तव में दुखी है।

4. जब न तेरी ही दशा पर हमसे मनुज निस्सार को ।’

उत्तर : खिले हुए फुलों पर भ्रमर आकर मंडराते है, वह भी मधु, सौरभ सारा दिन देते रहे, किन्तु जब फूल मूरझा जाएगा तब न तो भ्रमर रोएगा न तो कोई मनुष्य। इस तरह विश्व में पुष्प सबको सूख देकर, हृदय देकर सबके मन आनन्दित करता है लेकिन आज तक कोई मूरझाया फुलों को आदर नहीं दिखाया । कवि के अनुसार सारी दुनिया स्वार्थपर है। ऐसी दूखी फुलों के लिए कवि वास्तव में दुखी है।

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान 

1. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग करो : 

उत्तर : (क) श्रीगणेश करना : (स्थापित करना) आज रघु ने अपने महल का आधारशिला का श्रीगणेश किया । 

(ख) आँखों का तारा (प्यारा): मीना अपने माँ-बाप के आँखों का तारा हैं । 

(ग) नौ-दो-ग्यारह होना (भाग जाना): पुलिस आने से पहले लड़के नौ दो ग्यारह हो गया । 

(घ) हवा से बाते करना (बेकार बाते करना) : आलसी होकर हवा से बात करने से लाभ क्या होगा ? 

(ङ) अंधे की लकड़ी (एकमात्र सहारा) : मीरा अपने नाना-नानी के अंधे की लकड़ी जैसी हैं ।

(च) लकीर का फकीर होना (पूरानी रीतिपर चलना) : आजकल के दुनिया में लकीर का फकीर नही होना चाहिए ।

2. निम्नांकित काव्य-पंक्तियों को गद्य रुप में प्रस्तुत करो : 

(क) खिल गया जब पूर्ण तू,  

मंजूल सुकोमल फूल बन ।

लुब्ध मधु के हेतु मँडराने

लगे, उड़ते भ्रमर ।।

उत्तर : तू जब पूरा खिल गया सुंदर फूल होकर मधु पाइन के लिए भ्रमर उड़ने लगे । 

(ख) जिस पवन ने अंक में 

ले प्यार था तुझको किया।

तीव्र झोंके से सुला

उसने तुझे भू पर दिया ।। 

उत्तर : एकदिन हवा ने तुझे गोह में लिया था आज उसी हवा ने तुझे पेड़ से गिरा दिया । 

3. लिंग निर्धारण करो : 

कली ― स्त्रीलिंग। 

शैशव ― पुंलिंग।

किरण ― स्त्रीलिंग।

वायु — स्त्रीलिंग।

कोमलता ― स्त्रीलिंग।

दशा ― स्त्रीलिंग। 

सौरभ — पुंलिंग।

माली ― पुंलिंग।

फुल ― पुंलिंग।

4. वचन परिवर्तन करो : 

उत्तर : भौंरा ― भौरे।

किरणें ― किरण।

अठखेलियाँ ― अठखेली। 

झोंके ― झोंका।

चिड़िया ― चिड़ियाँ।

रेखाएँ ― रेखा।

बात ― बातें।

कली ― कलियाँ।

5. लिंग परिवर्तन करो :

उत्तर : कवयित्री ― कवि। 

प्रियतम ― प्रियतमा।

पिता ― माता।

पुरुष ― महिला।  

प्राचार्या ― प्राचार्य।

माली ― मालीन।

देव ― देवी।

मोरनी ― मोर।

6. ‘कार’ शब्दांश पूर्व आ, वि, प्र, उप, अप और प्रति उपसर्ग जोरकर शब्द बनाओ :

उत्तर : अ + कार = अकार। 

 वि + कार = विकार।

प्र + कार = प्रकार।

उप + कार = उपकार।

अप + कार = अपकार।

प्रति + कार = प्रतिकार।

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