Class 9 Ambar Bhag 1 Chapter 8 गिल्लू

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Class 9 Hindi (MIL) Ambar Bhag 1 Chapter 8 गिल्लू

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गिल्लू

पाठ – 8

Group – A: गद्य खंड

लेखक – परिचय:

प्रसिद्ध साहित्यकार महादेवी वर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद शहर में सन् 1907 में हुआ था। आप के पिता का नाम गोविन्द प्रसाद वर्मा तथा माता का नाम हेमरानी देवी था। आपने आपनी प्रारम्भिक शिक्षा इन्दौर में ग्रहण की। बाद में आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी. ए. तथा वहीं से संस्कृत में एम.ए. की परीक्षाएँ उत्तीर्ण की। आपका विवाह 12 वर्ष की अल्पायु में ही डॉ. स्वरूप नारायण वर्मा के साथ हो गया था। आपने प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्राचार्या के रूप में लम्बे समय तक कार्य किया। आपने अपना संपूर्ण जीवन हिन्दी की सेवा तथा महिलाओं की शिक्षा के लिए अर्पित कर दिया। आजीवन हिन्दी–साहित्य की उत्कृष्ट सेवा के लिए आपको अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इनमें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ तथा उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा प्रदत्त ‘भारत–भारती’ पुरस्कार उल्लेखनीय हैं। इनके अलावा भारत सरकार ने आपको पद्मभूषण सम्मान से विभूषित किया। विक्रम, कुमायूँ और दिल्ली विश्वविद्यालयों ने आपको डी. लिट. की मानद उपाधि से भी अलंकृत किया। 11 सितम्बर, 1987 को आपका स्वर्गवास हो गया।

महादेवी वर्मा छायावाद के प्रमुख चार कवियों में अन्यतम रही हैं। आप सिर्फ एक विख्यात कवयित्री ही नहीं, अपितु एक सशक्त गद्य लेखिका भी थीं। काव्य, रेखाचित्र, संस्मरण तथा निबन्ध संग्रह के रूप में आपकी विभिन्न कृतियाँ प्राप्त होती हैं। नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, यामा और दीपशिखा आपके प्रमुख काव्य हैं। अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ, मेरा परिवार, पथ के साथी और श्रृंखला की कड़ियाँ इनमें प्रथम तीन आपके रेखाचित्र तथा बाकी दो संस्मरण के ग्रन्थ हैं। आपके निबन्ध संग्रहों में साहित्यकार को आस्था प्रमुख है।

गद्य रचना के क्षेत्र में संस्मरण एवं रेखाचित्र को बुलंदियों पर पहुँचाने का श्रेय आपको जाता है। आपको इन रचनाओं में समाज के शोषित, उपेक्षित एवं पीड़ित लोगों के प्रति हाँ नहीं, बल्कि पशु–पक्षियों के लिए भी करुणा झलकती है।

लेखिका–संबंधी प्रशन एवं उत्तर:

1. महादेवी वर्मा की गणना किन कवियों में की जाती है? 

उत्तरः महादेवी वर्मा की गणना छायावाद के प्रमुख चार कवियों में की जाती है।

2. महादेवी वर्मा का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उत्तर: महादेवी वर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद शहर में सन् 1907 में हुआ था। 

3. ‘दीपशिखा’ किसकी रचना है?

उत्तर: ‘दीपशिखा’ महादेवी वर्मा की रचना है।

4. श्रीमती महादेवी वर्मा के माता–पिता का नाम क्या था? 

उत्तर: श्रीमती महादेवी वर्मा के पिता का नाम गोविन्द प्रसाद वर्मा और माता का नाम हेमरानी देवी था।

5. उनका विवाह किस उम्र में और किसके साथ हुआ था?

उत्तर: उनका विवाह 12 वर्ष की अल्पायु में डॉ. स्वरूप नारायण वर्मा के साथ हुआ था। 

6. महादेवी वर्मा की शिक्षा–दीक्षा कहाँ हुई थी?

उत्तर: महादेवी वर्मा की शिक्षा–दीक्षा प्रयाग में हुई थी।

7. महादेवी वर्मा ने किनकी शिक्षा के लिए काफी प्रयत्न किए?

उत्तर: महादेवी वर्मा ने लड़कियों की शिक्षा के लिए काफी प्रयत्न किए। 

8. महादेवी वर्मा के तीन काव्यों के नाम लिखिए?

उत्तर: महादेवी वर्मा के तीन काव्य हैं: 

(1) नीहार।

(2) रशिम। और

(3) नीरजा।

9. महादेवी वर्मा किस संस्था की प्राचार्या थीं?

उत्तर: महादेवी वर्मा प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्राचार्या थीं।

10. महादेवी वर्मा को हिन्दी गद्य साहित्य में किन रचनाओं को बुलंदियों तक पहुँचाने का श्रेय प्राप्त है।

उत्तर: महादेवी वर्मा को हिन्दी गद्य साहित्य में ‘संस्मरण’ और ‘रेखाचित्र’ को बुलंदियों तक पहुँचाने का श्रेय प्राप्त है।

11. महादेवी वर्मा द्वारा लिखित ‘रेखाचित्र एवं संस्मरण’ की पुस्तकें कौन–कौन–सी हैं?

उत्तर: महादेवी वर्मा द्वारा लिखित ‘रेखाचित्र एवं संस्मरण’ की पुस्तकें क्रमश: ‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘पथ के साथी’ और ‘श्रृंखला की कड़ियाँ हैं।

12. महादेवी वर्मा को किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया? 

उत्तर: महादेवी वर्मा की ‘भारत–भारती पुरस्कार’, ‘साहित्य अकादमी’ तथा ‘ज्ञानपीठ’ पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इनके अलावा उन्हें भारत सरकार ने ‘पद्मभूषण’ सम्मान से अलंकृत किया।

13. महादेवी वर्मा का देहान्त कब हुआ?

उत्तर: महादेवी वर्मा का देहान्त 11 सितम्बर, 1987 को हुआ।

सारांश:

‘गिल्लू’ शीर्षक पाठ में लेखिका महादेवी वर्मा का एक छोटे, चंचल जोव गिलहरी के प्रति प्रेम झलकता है। उन्होंने इस पाठ में उसके विभिन्न क्रिया–कलापों और लेखिका के प्रति उसके प्रेम से हमें अवगत कराया है। उन्होंने गिलहरी जैसे लघु जीव के जीवन का बड़े अच्छे ढंग से चित्रण किया है।

एक दिन लेखिका की नजर बारामदे में गिलहरी के एक छोटे से बच्चे पर पड़ी, जो शायद घोंसले से गिर गया होगा, जिसे दो कौए मिलकर अपना शिकार बनाने की तैयारी में थे। लेखिका गिलहरी के बच्चे को उठाकर अपने कमरे में ले गई और कौए की चोंच से घायल बच्चे का मरहम–पट्टी किया। कई घंटे के उपचार के बाद मुँह में एक बूँद पानी टपकाया जा सका। तीसरे दिन वह इतना अच्छा हो गया कि लेखिका की ऊँगली अपने पंजों से पकड़ने लगा। तीन–चार महीने में उसके चिकने रोएँ, झब्बेदार पूँछ और चंचल चमकती आँखें सभी को आश्चर्य में डालने लगीं। लेखिका ने उसका नाम गिल्लू रखा। लेखिका ने फूल रखने की एक हल्की डलिया में रुई बिछाकर तार से खिड़की पर लटका दिया, जो दो साल तक गिल्लू का घर रहा। 

गिल्लू ने लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए वह लेखिका के पैर तक आकर सर से पर्दे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से उतरता। वह दौड़ लगाने का काम तब तक करता, जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न उठती। वह अपनी चमकीली आँखों से लेखिका के क्रिया–कलापों को भी देखा करता। भूख लगने पर वह लेखिका को चिक–चिक कर सूचना देता था।

गिल्लू के जीवन में पहला वसंत आया। अन्य गिलहरियाँ खिड़की की जाली के पास आकर चिक–चिक करने लगीं और गिल्लू भी जाली के पास जाकर बैठा रहता। इसे देखकर लेखिका ने जाली का एक कोना खोलकर गिल्लू को मुक्त कर दिया। लेखिका के कमरे से बाहर जाने पर गिल्लू भी जाली से बाहर चला जाता। वह दिन भर अन्य गिलहरियों के साथ उछलता–कूदता और शाम होते ही अपने झूले में वापस आ जाता। लेखिका के खाने के कमरे में पहुँचते ही गिल्लू भी वहाँ पहुँच जाता और थाली में बैठ जाना चाहता। बड़ी मुश्किल से लेखिका ने उसे थाली के पास बैठना सिखाया। वह वहीं बैठकर चावल का एक–एक दाना सफाई से खाता ।

गिल्लू का प्रिय खाद्य पदार्थ काजू था। कई दिन काजू नहीं मिलने पर वह अन्य खाने की चीजें लेना बंद कर देता या झूले से नीचे फेंक देता था।

उसी बीच लेखिका मोटर दुर्घटना में आहत हो गईं, जिससे उन्हें कुछ दिन अस्पताल में रुकना पड़ा। उन दिनों में गिल्लू ने अपना प्रिय पदार्थ काजू लेना काफी कम कर दिया था। लेखिका के घर लौटने पर वह तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हें पंजों से लेखिका के सिर और बालों को हौले–हौले सहलाता और एक सेविका की भूमिका निभाता। गर्मियों में वह लेखिका के पास रखी सुराही पर लेट जाता और लेखिका के समीप रहने के साथ–साथ ठंडक में भी रहता।

चूंकि गिलहरियों की उम्र दो वर्ष से अधिक नहीं होती, इसलिए उसके जीवन का भी अंत आ गया। दिन भर उसने कुछ नहीं खाया–पीया। रात में वह झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर आया और ठंडे पंजों से उनकी ऊंगली पकड़कर चिपक गया। लेखिका ने हीटर जलाकर उसे ऊष्मा देने का प्रयास किया, परंतु प्रयास व्यर्थ रहा और सुबह की पहली किरण के साथ वह सदा के लिए सो गया।

लेखिका ने उसे सोनजुही की लता के नीचे समाधि दी। सोनजुही में एक पीलो कली को देखकर लेखिका को गिल्लू की याद आ गई।

शब्दार्थ:

सोनजुही : जूही (फूल) का एक प्रकार जो पीला होता है।

अनायास : बिना प्रयास के स्वाभाविक रूप से

हरीतिमा : हरियाली

लघुप्राण : छोटा जीव

छूआ-छुआँवल : चुपके से छूकर छिप जाना और फिर छूना

काकभुशुंडि : एक विशेष प्रकार का कौआ ।

समादरित : समादृत, विशेष आदर

पुरखे : पूर्वज

पितरपक्ष : हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन माह में पड़ने वाला एक पखवाड़ा (पक्ष) जिसमें लोग अपने स्वर्गीय पिता अथवा अन्य पूर्वजों की पूजा करके उन्हें जल अर्पित (तर्पण) करते हैं।

अवतीर्ण : प्रकट

दूरस्थ : दूर स्थित, बहुत दूर रहनेवाले

कर्कश : कटु, कानों को न भानेवाली

सुलभ : आसानी से उपलब्ध होनेवाला

काकद्वय : दो कौए

 निशचेष्ट : शांत, बिना किसी हरकत के

आश्वस्त : निश्चिंत

स्निग्ध : चिकना

विस्मित : आश्चर्यचकित

लघुगात : छोटा शरीर

अपवाद : सामान्य नियम से अलग

खाद्य : खाने योग्य, भोजन

परिचारिका : सेविका

आहत : घायल

अवधि : समय

मरणासन्न : मृत्यु के समीप

उष्णता : गर्मी

पीताभ : पीले रंग का

सुराही : लम्बी एवं सँकरी गर्दन वाला मिट्टी का जल–पात्र जिसमें गर्मियों के दिन में पीने का जल रखा जाता है। इसमें रखा गया जल हमेशा शीतल बना रहता है।

पाठयपुस्तक संबंधित प्रशन एवं उत्तर:

बोध एवं विचार:

1. सही विकल्प का चयन कीजिए:

(क) ‘गिल्लू’ किस प्रकार की रचना है?

(i) कहानी।

(ii) संस्मरण।

(iii) रेखाचित्र।

(iv) उपन्यास।

उत्तर: (iii) रेखाचित्र।

(ख) किस फूल में आज एक पीली कली लगी है?

(i) गुलाब। 

(ii) सोनजुही।

(iii) चमेली।

(iv) सूर्यमुखी।

उत्तर: (ii) सोनजुही।

(ग) लेखिका ने गिल्लू के घावों पर ______ का मलहम लगाया।

(i) वेसिलीन।

(ii) पेंसिलीन।

(iii) आयोडीन।

(iv) बोरोलीन।

उत्तर: (ii) पेंसिलीन

(घ) गिल्लू का प्रमुख भोजन था–

(i) काजू।

(ii) किशमिश।

(iii) बादाम।

(iv) मूँगफली।

उत्तर: (i) काजू।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक–एक वाक्य में दीजिए: 

(क) सोनजुही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका को किसका स्मरण हो आया? 

उत्तर: सोनजुही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका को छोटे जीव गिल्लू का स्मरण हो आया। गिल्लू सोनजुही की लता की सघन हरियाली में छिपकर बैठा करता था और लेखिका जब उसके पास पहुँचती थीं तो उनके कंधे पर कूदकर उन्हें चौंका दिया करता था।

(ख) दोनों कौए एक गमले के चारों ओर क्या ढूँढ़ रहे थे?

उत्तर: दोनों कौए एक गमले के चारों ओर गिलहरी के छोटे बच्चे को ढूँढ़ रहे थे। वह घोंसले से गिर पड़ा था और कौए उसे अपना आहार बनाना चाहते थे।

(ग) हम कौए और उसकी आवाज (काँव–काँव करने) को प्रायः किस अर्थ में प्रयुक्त करते हैं?

उत्तर: हम कौए और उसकी आवाज को प्रायः अवमानना के अर्थ में प्रयुक्त करते हैं।

(घ) लेखिका के काक पुराण के विवेचन में अचानक बाधा क्यों आ पड़ी? 

उत्तर: गमले और दीवार की संधि में छिपे गिलहरी के छोटे बच्चे पर दृष्टि पड़ने के कारण लेखिका के काक पुराण के विवेचन में अचनाक बाधा आ पड़ी।

(ङ) गिलहरी का छोटा बच्चा कहाँ से आया था?

उत्तर: गिलहरी का छोटा बच्चा घोंसले से आया था। वह घोंसले से गिर पड़ा था और कौओं के डर से गमले से चिपटा हुआ था।

(च) लेखिका ने गिल्लू को गर्मी पहुँचाने के लिए क्या किया? 

उत्तर: लेखिका ने गिल्लू को गर्मी पहुँचाने के लिए हीटर जलाया और उसे उष्णता देने का प्रयत्न किया।

(छ) गिल्लू की समाधि कहाँ बनाई गई है?

उत्तर: गिल्लू की समाधि सोनजुही की लता के नीचे बनाई गई है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(क) सोनजुही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका को किसकी याद आती है और क्यों?

उत्तर: सोनजुही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका महादेवी वर्मा को गिल्लू की याद आती है। गिलहरी का एक छोटा बच्चा, जिसे वे गिल्लू कहकर पुकारती थीं, अब इस दुनिया में नहीं है। गिल्लू सोनजुही की लता की हरियाली में छिपकर बैठा करता था और लेखिका के निकट पहुँचते ही उनके कंधे पर कूदकर उन्हें चौंका दिया करता था। उसकी समाधि सोनजुही की लता के नीचे ही बनाई गई है। लेखिका को लगता है कि गिल्लू ही उस पीली कली के रूप में उन्हें चौंकाने के लिए ऊपर आ गया है। 

(ख) “यह काकभुशुंडि भी विचित्र प्राणी है”। – लेखिका ने कौए को विचित्र प्राणी क्यों कहा है?

उत्तर: कौआ एक ऐसा प्राणी है, एक ओर जिसे समाज में तिरस्कृत किया जाता है तो दूसरी ओर उसे आदर की दृष्टि से भी देखा जाता है। उसके कर्कश स्वर कभी किसी अनहोनी का संदेश देते हैं तो कभी दूरस्थ प्रियजनों के आने का शुभ संकेत प्रकट करते हैं। इसीलिए लेखिका ने कौए को विचित्र प्राणी कहा है।

(ग) गिलहरी का बच्चा घायल कैसे हुआ था और उसे देखकर लोगों ने क्या कहा?

उत्तर: गिलहरी का बच्चा बहुत छोटा था। दो कौओं ने अपनी चोंच से उस पर प्रहार किया था। चोंच के दो घाव उस छोटे जीव के लिए काफी थे। इस प्रकार वह घायल हो गया था। उसे देखकर लोगों ने यह कहा कि कौए की चोंच का घाव लगने के बाद यह बच नहीं सकता, अतः इसे ऐसे ही रहने दिया जाए।

(घ) लेखिका ने गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार कैसे किया? 

उत्तर: लेखिका गिलहरी के घायल बच्चे को धीरे से उठाकर अपने कमरे में ले गईं। उन्होंने रुई से खून पोंछा और घावों पर पेंसिलिन का मलहम लगाया। उसका नन्हा–सा मुँह बन्द हो गया था। इसलिए दूध की बूँदें मुँह में नहीं जा रही थीं। काफी प्रयास करने के बाद उसके मुँह में पानी का एक बूंद टपकाया जा सका। और इस प्रकार धीरे–धीरे वह स्वस्थ हो गया।

(ङ) लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू ने कौन–सा उपाय खोज निकाला?

उत्तर: लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू ने एक अच्छा उपाय खोज निकाला। लेखिका जब लिखने बैठतीं तो वह उनके पैर तक आकर बड़ी तेजी और स्फूर्ति के साथ परदे पर चढ़ता और फिर उसी रफ्तार से नोचे उतरता। वह परदे पर चढ़ने–उतरने का अपना क्रम तब तक जारी रखता जब तक वे उसे पकड़ने के लिए न उठतीं।

(च) लेखिका ने गिल्लू को जाली से मुक्त करने का निश्चय क्यों किया? 

उत्तर: गिल्लू एक वर्ष का हो गया था। बाहर की गिलहरियाँ खिड़की की जाली के पास आकर उसे चिढ़ाने लगी थीं। वह भी जाली के पास बैठकर अपनेपन से बाहर झाँकने लगा था। यह सब देखकर लेखिका ने महसूस किया कि गिल्लू अपने अकेलेपन से जूझ रहा है तथा साथ ही घर में पाले हुए जानवरों से उसे बचाना भी एक समस्या थी। इसीलिए लेखिका ने उसे जाली से मुक्त करने का निश चय किया।

(छ) लेखिका को चौंकाने के लिए गिल्लू क्या करता था?

उत्तर: लेखिका को चौंकाने के लिए गिल्लू कभी फूलदान के फूलों में, कभी परदे के चुन्नट में और कभी सोनजुही की पत्तियों में छिप जाया करता था।

(ज) गर्मी से बचने के लिए गिल्लू ने क्या उपाय खोज निकाला था? 

उत्तर: गर्मी से बचने के लिए गिल्लू ने एक नया उपाय खोज निकाला था। वह लेखिका के पास रखी सुराही पर लेट जाता था, जिससे उसे ठंडक मिलती थी।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के सम्यक् उत्तर दीजिए:

(क) कौए को एक ही साथ समादरित और अनादरित पक्षी क्यों माना जाता है?

उत्तर: समाज कौए को आदर और अनादर दोनों ही दृष्टियों से देखता है। लोगों की ऐसी धारणा है कि पितरपक्ष में हमारे पितर हमसे कुछ पाने के लिए कौए के रूप में ही प्रकट होते हैं। इस अवसर पर कौए का दिखना और पितरों को दिए गए पिण्डादि का खाना शुभ माना जाता है। किन्तु इसके विपरीत अन्य शुभ–कार्यों में पूजा के लिए स्थापित किसी सामग्री में यदि कौआ अपनी चोंच डाल दे तो उस सामग्री को पूजा के लिए अनुपयुक्त और अशुद्ध माना जाता है। इसी प्रकार उसके कर्कश स्वर जहाँ किसी अनहोनी की सूचना देते हैं तो वहाँ दूर–दराज स्थानों में रहनेवाले प्रियजनों के आगमन का शुभ संदेश भी देते हैं। यही कारण है कि कौए को एक ही साथ समादरित और अनादरित पक्षी माना जाता है।

(ख) लेखिका के घर से बाहर रहने पर गिल्लू क्या करता था? 

उत्तर: लेखिका के घर से बाहर रहने पर गिल्लू खिड़की की खुली जाली के रास्ते बाहर चला जाता था। वह दिन भर गिलहरियों के झुंड का नेता बनकर इस डाल से उस डाल पर उछलता–कूदता रहता था। वह ठीक चार बजे खिड़की से भीतर अपने झूले में झूलने लगता था।

(ग) गिल्लू किस प्रकार एक परिचारिका की भूमिका निभाता था? 

उत्तर: लेखिका महादेवी वर्मा जब कभी अस्वस्थ होती थीं, उस समय गिल्लू उनके सिरहाने तकिए पर बैठ जाता था। वह अपने नन्हें–नन्हें पंजों से धीरे–धीरे उनके सिर और बालों को सहलाता रहता था। इस प्रकार वह एक परिचारिका की भूमिका निभाता था।

(घ) अपने जीवन के अंतिम समय में गिल्लू किस तरह की चेष्टाएँ करने लगा था?

उत्तर: अपने जीवन के अंतिम समय में गिल्लू ने दिन भर न तो कुछ खाया था और न बाहर गया था। रात में वह अपने झूले से उतरकर लेखिका महादेवी वर्मा के बिस्तर पर आ गया था और अपने ठंडे पंजों से उनकी उँगली पकड़कर उनके हाथ से चिपक गया था।

(ङ) गिल्लू की कुछ शरारतों का उल्लेख कीजिए?

उत्तर: गिल्लू बहुत शरारती हो गया था। वह कभी फूलदान के फूलों में, कभी परदे की चुन्नट में और कभी सोनजुही की पत्तियों में छिपकर लेखिका को चौंकाया करता था। लेखिका के कॉलेज से वापस घर आते ही वह जाली के रास्ते उनके कमरे में आकर उनके पैर से सिर और सिर से पैर तक दौड़ लगाने लगता था। लेखिका के खाने के कमरे में पहुँचते ही वह खिड़की से निकलकर आँगन की दीवार और बरामदे को पार करके मेज पर पहुँच जाता था और उनके खाने की थाली में बैठ जाना चाहता था। इतना ही नहीं, लेखिका को अपनी ओर आकृष्ट करने के लिए वह उनके पैर तक आकर बड़ी तेजी के साथ परदे पर चढ़ जाता था और फिर उसी तेजी से नीचे उतर जाता था। उसका यह क्रम तब तक चलता रहता था जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए नहीं उठती थीं।

5. निम्नलिखित पंक्तियों के आशय स्पष्ट कीजिए: 

(क) ‘यह काकभुशुंडि भी विचित्र पक्षी है– एक साथ समादरित, अनादरित, अति सम्मानित, अति अवमानित।’

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठय–पुस्तक ‘अंबर’ भाग-1 के ‘गिल्लू’ नामक पाठ से उद्धृत की गई हैं। इन पंक्तियों में लेखिका महादेवी वर्मा ने कौए के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला है। कौआ एक ऐसा पक्षी है, जिसे समाज कभी आदर तो कभी तिरस्कार की दृष्टि से देखता है। यहाँ ‘काकभुशुंडि’ से तात्पर्य उस कौए से ही है। दोनों ही अवस्थाओं में न तो उसका रंग बदलता है, न शारीरिक आकार, न स्वभाव और न ही उसका स्वर। एक और उसके कर्कश स्वर अशुभ और अमंगल सूचक माने जाते हैं तो दूसरी ओर दूरस्थ प्रियजनों के आगमन का संदेश देते हैं। पितर पक्ष में वह सम्मानित और समादरित होता है। अपने पितरों को समर्पित पिण्डादि खिलाने के लिए लोग उसकी राह देखते रहते हैं। क्योंकि सामाजिक धारणा के अनुसार पितर लोग पितर पक्ष में कौए के रूप में ही प्रकट होते हैं। किन्तु वही कौआ अन्य दिनों में अनादरित और अति अवमानित होता है। शुभकार्य के लिए रखी किसी सामग्री से कौए का स्पर्श भी हो जाए तो उसे अपवित्र माना जाता है। इस प्रकार ये दो परस्पर विरोधी पक्ष उसकी विचित्रता को प्रकट करते हैं।

ख) ‘इतना ही नहीं हमारे दूरस्थ प्रियजनों को भी अपने आने का मधुर संदेश इनके कर्कश स्वर में ही देना पड़ता है।’

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठय–पुस्तक ‘अंबर’ भाग-1 के ‘गिल्लू’ शीर्षक पाठ से ली गई हैं। लेखिका ने इन पंक्तियों में कौए के प्रति सामाजिक सत्कार भावना को दर्शाया है। हम कौआ और उसके कटु-कर्कश स्वर को प्रायः तिरस्कार के अर्थ में ही ग्रहण करते हैं। किन्तु कभी–कभी कौआ और उसका काँव-काँव करना सत्कार के अर्थ में भी ग्रहण किया जाता है। हमारा यह सत्कार भाव दो भिन्न अवसरों पर प्रकट होता है। एक तब जब हम अपने पितरों को पिण्डदान करते हैं और दूसरा तब जब वह दूरस्थ हमारे आत्मीयजनों के आगमन का शुभ संदेश देता है। क्योंकि हमारे पूर्वज न गरूड़ के रूप में, न मयूर और न ही हंस के रूप में अवतरित होते हैं। उनको पितर पक्ष में कौआ बनकर ही अवतीर्ण होना पड़ता है। इसी प्रकार दूर देश–परदेश में रहनेवाले हमारे प्रियजन भी अपने आने का मधुर संदेश कौओं के कर्कश स्वर में ही देते हैं। अतः इन दो अवसरों पर हम कौओं का तिरस्कार नहीं बल्कि सत्कार करते हैं।

भाषा एवं व्याकरण:

1. निम्नलिखित उपसर्ग लगाकर पाँच–पाँच शब्द बनाइए:

सम्, अधि, अनु, उप, अप, अभि, प्रति, सु

उत्तर: सम् : संयम, संभव, संकल्प, संगति, संशय।

अधि : अधिकार, अधिपति, अधिकरण, अधिकृत, अधिनायक।

अनु : अनुज, अनुराग, अनुसार, अनुकूल, अनुकरण।

उप : उपकार, उपचार, उपहार, उपयोग, उपदेश।

अप : अपवाद, अपकार, अपमान, अपयश, अपव्यय। 

अभि : अभिनव, अभिभावक, अभिमान, अभिवादन, अभिप्राय।

प्रति : प्रतिदिन, प्रतिकार, प्रतिकूल, प्रतिध्वनि, प्रतिष्ठा।

सु : सुगम, सुयोग, सुलभ, सुपुत्र, सुफल।

2. पठित पाठ से कुछ अन्य तत्सम शब्द छाँटिए और उनका तद्भव रूप भी लिखिए।

उत्तर: 

तत्सम शब्दतदभव शब्द
पक्षीपंछी
स्वरसुर
मासमाह
प्रियप्यारा
हरीतिमाहरियाली

3. न नहीं, ही, मत का सही प्रयोग रिक्त स्थानों में कीजिए: 

(क) चंदन! धूप में …………. खेलो।

(ख) रंजन कल ……….. जाएगा।

(ग) वह कुंदन ……….. आ रहा है।

(घ) दिलीप …….. जाने क्या–क्या बकता रहता है।

(ङ) कमला ….. पढ़ती है …… खाना बनाती है।

(च) राहुल आज विद्यालय ……….. गया।

(छ) बच्चे को …………. डाँटो ।

उत्तर: (क) चंदन! धूप में मत खेलो।

(ख) रंजन कल नहीं जाएगा।

(ग) वह कुंदन हो आ रहा है।

(घ) दिलीप जाने क्या–क्या बकता रहता है।

(ङ) कमला पढ़ती है नही खाना बनाती है।

(च) राहुल आज विद्यालय नहीं गया।

(छ) बच्चे को मत डाँटो।

योग्यता–विस्तार:

1. महादेवी वर्मा द्वारा रचित ‘नीलकंठ’ एवं ‘दुर्मुख खरगोश’ नामक रेखाचित्र पुस्तकालय से लेकर पढ़िए।

उत्तर: विद्यार्थीगण स्वयं करें।

2. ‘गिल्लू’ नामक पाठ में आपने गिलहरी के रहन–सहन, स्वभाव एवं खान–पान के बारे में पढ़ा। अपने अनुभवों के आधार पर कुछ अन्य पशु–पक्षियों के रहन–सहन, स्वभाव एवं खान–पान के बारे में लिखिए।

उत्तर: विद्यार्थीगण स्वयं करें।

अतिरिक्त प्रशन एवं उत्तर:

1. लेखिका ने किस प्रकार गिलहरी के बच्चे की जातिवाचक संज्ञा को व्यक्तिवाचक रूप दिया? 

उत्तर: लेखिका ने गिलहरी के बच्चे को ‘गिल्लू’ नाम देकर उसकी जातिवाचक संज्ञा को व्यक्तिवाचक रूप दिया।

2. तीन–चार मास बाद गिलहरी के बच्चे का कौन–सा रूप सबको विस्मित करने लगा? 

उत्तर: तीन–चार मास बाद गिलहरी के बच्चे के स्निग्ध रोएँ, झब्बेदार पूंछ और चंचल चमकीली आँखें सबको विस्मित करने लगीं।

3. गिल्लू के किस स्वभाव पर सबको आश्चर्य होता था? 

उत्तर: गिल्लू की समझदारी और उसके कार्य–कलाप पर सबको आश्चर्य होता था।

4. ‘गिल्लू’ किस अदभुत स्थिति में अपनी चमकीली आंखों से लेखिका का कार्य–कलाप देखा करता था?

उत्तर: ‘गिल्लू’ अपने अगले पंजों और सिर को छोड़कर सारा शरीर लिफाफे के अन्दर बन्द हो जाने की अदभुत स्थिति में घंटों मेज पर दीवार के सहारे खड़ा होकर अपनी चमकीली आँखों से लेखिका का कार्य–कलाप देखा करता था।

5. भूख लगने पर गिल्लू किस प्रकार लेखिका को सूचना देता था? 

उत्तर: भूख लगने पर गिल्लू चिक–चिक करके लेखिका को सूचना देता था। 

6. महादेवी वर्मा के पालतू जानवरों में गिल्लू किस कारण अपवाद था?

उत्तर: महादेवी वर्मा के पालतू जानवरों में गिल्लू इसी कारण अपवाद था कि केवल वही उनके साथ थाली में खाता था और यह हिम्मत अन्य जानवरों में नहीं थी।

7. लेखिका ने सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू की समाधि क्यों बनाई?

उत्तर: लेखिका ने सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू की समाधि इसलिए बनाई क्योंकि वह उसे सर्वाधिक प्रिय थी। वह उस लता की सघन हरीतिमा में छिपकर बैठा करता था। दूसरा कारण था लेखिका का अपना विश्वास। उन्हें विशवास था कि गिल्लू जुही के पीले फूल के रूप खिलकर उन्हें चौकाने ऊपर अवश्य आएगा।

8. लेखिका को गिल्लू के झूले में क्या मिला? उससे उन्हें क्या ज्ञात हुआ? 

उत्तर: लेखिका को गिल्लू के झूले में काजू भरे मिले। उससे उन्हें यह ज्ञात हुआ कि उनकी अनुपस्थिति में गिल्लू अपना प्रिय खाद्य कितना कम खाता था।

9. लेखिका को अस्पताल में क्यों रहना पड़ा था? उस दौरान गिल्लू क्या करता था?

उत्तर: मोटर दुर्घटना में घायल होने के कारण लेखिका को कुछ दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ा था। उस दौरान जब भी कोई लेखिका के कमरे का दरवाजा खोलता था, गिल्लू अपने झूले से उतरकर कमरे की ओर दौड़ जाता था। किन्तु वहाँ किसी दूसरे को देखकर उसी तेजी से लौटकर अपने झूले में बैठ जाता था।

10. गिलहरियों का जीवन–काल कितने वर्षों का होता है? 

उत्तर: लेखिका के अनुसार गिलहरियों का जीवन–काल दो वर्ष से अधिक नहीं होता। गिल्लू की जीवन–यात्रा भी दो वर्ष की अवस्था में ही समाप्त हो गयी।

11. लेखिका के मन में किस बात का विशवास है, जिससे उन्हें संतोष मिलता है?

उत्तर: लेखिका के मन में इस बात का विशवास है कि गिल्लू सोनजुही के सुन्दर पीले फूल के रूप में खिलकर उन्हें चौंकाने अवश्य आएगा। इसीलि उन्होंने उसकी समाधि भी सोनजुही लता के नीचे बनाई है। लेखिका का यह विश्वास उन्हें संतोष प्रदान करता है।

12. “गिल्लू ” शीर्षक पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है? 

उत्तर: “गिल्लू ” शीर्षक पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें पशु–पक्षियों एवं अन्यान्य वन्य–जीवों के प्रति ममता, करुणा एवं सहानुभूति रखनी चाहिए। उनके संरक्षण के लिए आगे बढ़कर रचनात्मक कदम उठाने चाहिए।

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