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Class 9 Hindi (MIL) Ambar Bhag 1 Chapter 13 बरगीत
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बरगीत
पाठ – 13
Group – B: पद्य खंड
लेखक – परिचय:
असमीया भक्ति साहित्य में माधवदेव का स्थान महत्वपूर्ण है। श्रीमंत शंकरदेव दे बाद ही माधवदेव का स्थान है। माधवदेव श्रीमंत शंकरदेव प्रिय शिष्य थे।
श्री माधवदेव का जन्म सन् 1489 में असम के लखीमपुर जिले के नारायणपुर के। निकट लेटेकुपुखुरी नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम गोविन्द गिरि । भूयाँ तथा माता का नाम मनोरमा था। माधवदेव अपने गुरु शंकरदेव द्वारा संस्थापित नववैष्णव धर्म के मुख्य प्रचारक थे। धर्म के प्रचार–प्रसार के साथ ही माधवदेव ने साहित्य–संस्कृति का भी संवर्धन किया। उन्होंने अनेक अनमोल ग्रंथों की रचना की। उनक सर्वाधिक चर्चित ग्रंथ है – नामघोषा। यह ग्रंथ उनके साहित्यिक जीवन का कोर्तिस्तम है। इसके अलावा उनकी निम्नलिखित रचनाएँ हैं–राजसूय काव्य, आदिकांड रामायण (आख्यानमूलक); जन्मरहस्य, भक्ति रत्नावली, नाममालिका (तत्त्वमूलक); अर्जुन–भंजन, दधि–मथन (नाटक); चोरधरा आरु पिम्परा–गुचोवा, भूमि–लेटेवा, भोजन– विहार (झुमुरा)।
माधवदेव अपने गुरु श्रीमंत शंकरदेव से मिलने से पहले शाक्त पंथी थे। सन् 1522 में शंकरदेव से मिलने के बाद उन्होंने उन्हें अपना दीक्षा–गुरु माना। उस समय माधवदेव प्रायः 32 वर्ष के थे। शंकर–माधव के मिलन को असमीया समाज में ‘मणिकांचन संयोग’ कहा जाता है।
महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव की तरह माधवदेव भी उच्च कोटि के कवि, गायक, अभिनेता, दार्शनिक एवं प्रकांड पंडित थे। इनका निधन सन् 1596 में लगभग 107 वर्ष की आयु में कोचबिहार के भेलासत्र में हुआ। इनके द्वारा रचित बरगीत असमीया भक्ति साहित्य की अमूल्य निधि है।
कवि–संबंधी प्रशन एवं उत्तर:
1. माधवदेव का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: माधवदेव का जन्म सना 1489 में असम के लखीमपूर जिले के नारायणपुर के निकट लेटेकुपुखुरी गाँव में हुआ था।
2. माधवदेव के माता–पिता के नाम लिखिए?
उत्तर: माववदेव के पिता का नाम गोपीनाथ गिरि भूयाँ तथा माता का नाम मनोरमा था।
3. माधवदेव के गुरु कौन थे?
उत्तर: माधवदेव के गुरु श्रीमंत शंकरदेव थे।
4. माधवदेव किस धर्म के प्रचारक थे।
उत्तर: माधवदेव नव वैष्णव धर्म के अन्यतम प्रचारक थे।
5. माधवदेव के बहुचर्चित ग्रंथ का नाम क्या है?
उत्तर: माधवदेव के बहुचर्चित ग्रंथ का नाम ‘नाम–घोषा ‘ है। यह ग्रंथ उनके साहित्यक जीवन का कीर्तिस्तंभ है।
6. माधवदेव और शंकरदेव का मिलन कब हुआ था? उस समय माधवदेव की उम्र क्या थी?
उत्तर: माधवदेव और शंकरदेव का मिलन सन् 1522 में हुआ था। उस समय मूलदेव की उम्र 32 वर्ष थी।
7. असमिया समाज में शंकर–माधव मिलन को क्या कहा जाता है?
उत्तर: असमीया समाज में शंकर–माधव मिलन को ‘ मणिकांचन–संयोग’ कहा जाता है।
8. माधवदेव के किन्हीं दो ग्रंथः के नाम लिखिए?
उत्तर: माधवदेव के प्रमुख ग्रंथ हैं–राजसूय काव्य, भक्ति रत्नावली आदि।
9. माधवदेव कौन थे?
उत्तर: माधवदेव महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव के प्रियतम शिष्य थे। वे अपने गुरु की तरह एक महान संत, कवि, गायक, अभिनेता और अध्यात्म के पंडित थे।
10. माधवदेव का निधन कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: माधवदेव का निधन सन् 1596 में कोचबिहार के भेलासत्र में हुआ था।
सारांश:
माधवदेव असमिया भक्ति–साहित्य के विशिष्ट कवि थे। श्रीमंत शंकरदेव के प्रधान शिष्य श्री शश्रीमाधव देव सिर्फ उच्च कोटि के कवि ही नहीं, बल्कि महान पंडित भी थे। उन्होंने अपने गुरु शंकरदेव द्वारा संस्थापित नव वैष्णव धर्म को जन–जन तक पहुँचाया, साथ ही अपने गुरु के अधूरे साहित्यिक कार्य को पूरा कर अपनी विलक्षण प्रतिभा कापरिचय दिया है। माधवदेव के बरगीत और सूरदास के पदों में एक अद्भुत समानता दृष्टिगत होता है। मूलत: दोनों कवि वात्सल्य रस के पुरोधा थे। यहाँ माधवदेव द्वारा विरचित वात्सल्य–प्रेममूलक एक बरगीत दिया गया है जिसमें कवि की कृष्णभक्ति की झलक मिलती है।
बरगीत का सार इस प्रकार है –
बालक श्रीकृष्ण माता यशोदा से कह रहे हैं–”माँ! आज मुझे बड़ी भूख लगी है। तुमने जो कुछ नवनीत खाने को दिया था, मैंने उसे नहीं खाया, क्योंकि वे बड़े रूखे थे। अरे माँ, मैं सारा दिन खेलता रहा। आज तो कुछ खाया भी नहीं। तुमने भी मुझे बुलाकर कुछ नहीं खिलाया। मुझे बहुत जोर की भूख लगी है।”
बालक श्रीकृष्ण ने अपने पेट पर हाथ रखकर माँ यशोदा के समक्ष जब शिकायत की, तब यशोदा विह्वल होकर पुत्र को गोद में बिठा ली और दूध पिलाने लगी। उस समय यशोदा की आँखों से आँसू बह रहे थे। प्रभु कृष्ण की इस मानवीय लीला को देखकर माधवदेव अत्यंत प्रसन्न हैं और वे उनका गुणगान करते हैं। कवि माधवदेव ने अपने इस बरगीत में वात्सल्य प्रेम का सजीव चित्रण किया है। यहाँ कवि की एकांत व निश्छल कृष्णभक्ति परिलक्षित होती है।
शब्दार्थ:
ध्रु : धुरा, ध्रुव
मेरो : मेरी
माइ : माता, माँ
यशोवा : यशोदा
ओहो : ओ, अहो (संबोधसूचक अव्यय)
आजु : आज
हामु : हम, मैं
बड़ही : बड़ा ही बहुत
भुखारी : भूखा
जो किछु : जो कुछ
देलह : दिया है
लवनु : लाकर
हामाकु : हमको या मुझे
नाहि खावलो : नहीं खाया
रुखारी : रूखा, जिसमें स्वाद न हो
सोही : वही
बिहानत : सुबह से ही
खेरि : खेल, केलि
खेलावत : खेल रहा हूँ
किछुवे : कुछ भी
नाहीं खावतरि : नहीं खाया
तुमही : तुम
हामाकु : हमें
नाहि डाकल : नहीं बुलाया
भुखहि : भूख में
बर : बहुत
पावतरि : पाया है, मिला है
खाली : खाली, सूना, बिना भोजन के
निवेशिए : रखकर
देखत : देखना
बोलत : बोलना
आपुन : अपना
नयने : आँख
झुरावत : झरने लगता है, बहने लगता है
पुत–पुत बुलि : पुत्र–पुत्र कहकर
आँचोल : आँचल, दुपट्टे का छोर
मोचल : पोंछी
शरीरक : शरीर को, देह को
क्षीर : दूध
पियावत : पिलाना
बाहु मेलि : हाथ फैलाकर
कोले तुलि : गोद में उठाकर
योहि : जो
सुखही : सुख में ही
निजानंद : आत्मलीन, आनंद
मानुष : मनुष्य
भावतरि : भाव प्रकट करता है
तनपान : स्तनपान
गावतरि : गाता है
दीन : दुःखी, गरीब, दरिद्र
पाठ्यपुस्तक संबंधित प्रश्न एवं उत्तर:
बोध एवं विचार:
1. सही विकल्प का चयन कीजिए:
(क) माँ यशोदा ने शिशु कृष्ण को खाने के लिए क्या दिया था?
(i) नवनीत।
(ii) दही।
(iii) दूध।
(iv) चीनी।
उत्तर: (i) नवनीत।
(ख) शिशु कृष्ण किस समय खेल रहे थे?
(i) शाम।
(ii) रात्रि।
(III) सुबह।
(iv) दोपहर।
उत्तरः (ii) सुबह।
(ग) माँ यशोदा की आँखों से आँसू क्यों बहने लगे?
(i) क्योंकि कृष्ण को चोट लगी थी।
(ii) क्योंकि बुलाने पर भी कृष्ण नहीं आ रहे थे।
(iii) क्योंकि कृष्ण अपनी माता यशोदा की बात नहीं मानते थे।
(iv) क्योंकि कृष्ण भूख के मारे दुःखी थे।
उत्तरः (iv) क्योंकि कृष्ण भूख के मारे दुःखी थे।
(घ) पठित बरगीत में कवि ने किस रस का वर्णन किया है?
(i) वात्सल्य।
(ii) वीर।
(iii) करुण।
(iv) श्रृंगार।
उत्तर: (i) वात्सल्य।
(ङ) ‘मेरा बाप बुलि क्षीर पियावत’ – इस पंक्ति में प्रयुक्त ‘बाप’ शब्द का अर्थ है–
(i) पिता।
(ii) पुत्र।
(iii) भाई।
(iv) माता।
उत्तरः (ii) पुत्र।
2. एक वाक्य में उत्तर दीजिए:
(क) यशोदा कौन हैं?
उत्तर: यशोदा श्रीकृष्ण की माता हैं।
(ख) भूख किसे लगी है?
उत्तर: भूख श्रीकृष्ण को लगी है।
(ग) दोनों हाथ फैलाते हुए अपनी गोद में कृष्ण को किसने बिठाया?
उत्तर: माता यशोदा ने दोनों हाथ फैलाते हुए अपनी गोद में कृष्ण को बिठाया।
(घ) मनुष्य का रूप किसने धारण किया है?
उत्तर: श्रीकृष्ण ने मनुष्य का रूप धारण किया है।
(ङ) माधवदेव किसका गुणगान करते हैं?
उत्तर: माधवदेव श्रीकृष्ण का गुणगान करते हैं।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए:
(क) शिशु कृष्ण ने माता का दिया हुआ नवनीत क्यों नहीं खाया था?
उत्तर: शिशु कृष्ण ने माता का दिया हुआ नवनीत इसलिए नहीं खाया क्योंकि वे बड़े रूखे थे।
(ख) श्रीकृष्ण ने माता यशोदा को अपना पेट क्यों दिखाया?
उत्तर: श्रीकृष्ण ने अपनी भूख को माता यशोदा के सामने प्रकट करने हेतु उन्हें अपना पेट दिखाया।
(ग) यशोदा की आँखों से आँसू क्यों बहने लगे?
उत्तर: बालक श्रीकृष्ण ने अपने खाली पेट पर हाथ रखकर माँ के पास जब शिकायत की, तब अपने बेटे का दुःख देखकर माँ यशोदा की आँखों से आँसू बहने लगे।
(घ) बालक कृष्ण को भूखा देख माता यशोदा ने क्या किया?
उत्तर: बालक कृष्ण को भूखा देख माता यशोदा बेटा–बेटा पुकारकर अपने आँचल से श्याम वर्ण के शरीर की धूलि पोंछी और मेरा लाल कहती हुई गोद में लेकर कृष्ण को दूध पिलाने लगी।
(ङ) माधवदेव ने क्यों कहा है कि हरि मनुष्य का रूप धारण कर लीला कर रहे हैं? अपना विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर: माधवदेव ने इसलिए ऐसा कहा है कि हरि मनुष्य का रूप धारण कर लीला कर रहे हैं, क्योंकि जिस श्रीकृष्ण के मुँह में तीनों लोक समाया हुआ है, जिसने बड़े–बड़े राक्षसों का बाल्यावस्था में ही संहार कर दिया, जो सम्पूर्ण संसार के स्वामी हैं, वही आज किस प्रकार भूख के कारण अपनी माता के समक्ष बेबस, लाचार खड़े बिलख रहे हैं। यह उनकी लीला के कारण ही संभव हो सका है।
(च) बालक कृष्ण ने माँ यशोदा से क्या शिकायत की?
उत्तरः बालक श्रीकृष्ण ने माँ यशोदा से यह शिकायत किया कि उन्होंने उसे जो नवनीत खाने को दिया था, उसे उसने नहीं खाया क्योंकि वे रूखे थे और माता यशोदा आपने भी मुझे बुलाकर क्यों नहीं खिलाया।
(छ) बालक कृष्ण एवं माता यशोदा के वात्सल्य प्रेम को माधवदेव ने किस प्रकार दर्शाया है? वर्णन कीजिए।
उत्तरः बालक कृष्ण एवं माता यशोदा के वात्सल्य प्रेम को माधवदेव ने अपने बरगीत में अत्यंत प्रभावी एवं मनमोहक रूप में अभिव्यक्त किया है। बालक श्रीकृष्ण माता यशोदा से शिकायत करते हुए कहता है कि हे माता आपने जो नवनीत मुझे दिया था वह मैंने नहीं खाया क्योंकि वे रूखे थे और आपने भी मुझे बुलाकर नहीं खिलाया। यह सब बातें सुनकर माता यशोदा की आँखों में आँसू आ जाते हैं और वह कृष्ण को बेटा–बेटा पुकारकर अपने आँचल से श्याम वर्ण शरीर की धूलि पोंछी तथा मेरा लाल कहती हुई गोद में लेकर शिशु कृष्ण को दूध पिलाने लगी।
(ज) बालक कृष्ण को माता यशोदा की गोद में आकर क्यों संतुष्टि मिली?
उत्तरः श्रीकृष्ण को बहुत भूख लगी थी और माता यशोदा की गोद में आकर उन्हें माता का दूध पीने को मिला इसीलिए श्रीकृष्ण को संतुष्टि मिली।
(झ) ‘तुमहि हामाकु नाहि डाकल माइ’– यह कथन किसने किससे और क्यों कहा? लिखिए।
उत्तर: ‘तुमहि हामाकु नाहि डाकल माइ’– यह कथन श्रीकृष्ण ने अपनी माता यशोदा से कहा क्योंकि माता यशोदा ने जो ‘नवनीत’ श्रीकृष्ण को खाने के लिए दिया था वह बहुत रूखे थे इसीलिए कृष्ण ने उसे नहीं खाया। अतः इसी कारण श्रीकृष्ण को अत्यंत भूख लगी थी और माता यशोदा ने भी उसे खाने के लिए नहीं बुलाया। इसी बात की शिकायत करते हुए श्रीकृष्ण उक्त कथन कहते हैं।
(ञ) शिशु कृष्ण धूल–धुसरित क्यों हुए थे?
उत्तरः शिशु कृष्ण छोटे–छोटे बालकों के संग पूरा दिन खेलते रहे इसीलिए उनका शरीर धूल–धुसरित हो गया।
भाषा एवं व्याकरण:
1. निम्नलिखित शब्दों के दो–दो पर्यायवाची शब्द लिखिए–
श्याम, वाणी, नयन, सुख, दीन, शरीर, मनुष्य, हरि
उत्तर: श्याम – साँवला, विवर्ण
वाणी – जीभ, रसना
नयन – आँख, दुग
सुख – प्रसन्नता, खुशी
दीन – निर्धन, गरीब
शरीर – देह, अंग
मनुष्य – आदमी, मानव
हरि – ईशवर, भगवान
2. निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक–एक शब्द लिखिए–
जिसे भूख लगी हो। जिसे प्यास लगी हो। जिसका उदर लम्बा हो। जो बोलने में पटु हो। जिसके हृदय में दया हो। जिसका कोई शत्रु न हो। जो ईशवर पर विश्वास करे।
उत्तर: जिसे भूख लगी हो – क्षुधातुर
जिसे प्यास लगी हो – पिपासु
जिसका उदर लंबा हो – लम्बोदर
जो बोलने में पटु हो – वाम्पटु
जिसके हृदय में दया हो – दयालु
जिसका कोई शत्रु न हो – अजातशत्रु
जो ईशवर पर विश्वास करे – आस्तिक
योग्यता–विस्तार:
1. सूरदास और माधवदेव दोनों की रचनाओं में वात्सल्य प्रेम दिखाई पड़ता है। आप इनके बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कीजिए। (शिक्षक की मदद से )
उत्तर: विद्यार्थीगण शिक्षक की मदद से अधिक जानकारी प्राप्त करें।
2. माधवदेव द्वारा रचित अग्रांकित विरह श्रृंगार रस से परिपूर्ण बरगीत भी पढ़िए और भाव समझने की कोशिश कीजिए?
उत्तर: विद्यार्थीगण बरगीत के भावार्थ को भलीभांति समझें। अवश्यकतानुसार शिक्षक की मदद लें।
अतिरिक्त प्रश्न एवं उत्तर:
1. सही विकल्प का चयन कीजिए:
(क) श्रीकृष्ण की माता का नाम क्या था?
(i) यशोदा।
(ii) लक्ष्मी।
(iii) यशोधरा।
(iv) यशोनंदा।
उत्तर: (i) यशोदा।
(ख) प्रस्तुत गीत में श्रीकृष्ण के किस अवस्था का वर्णन है?
(i) यौवन।
(ii) बाल्यावस्था।
(iii) किशोरावस्था।
(iv) बुढ़ापा।
उत्तरः (ii) बाल्यावस्था।
(ग) श्रीकृष्ण के बड़े भाई का नाम क्या था?
(i) श्याम।
(ii) घनश्याम।
(iii) बलराम।
(iv) सीता–राम।
उत्तरः (iii) बलराम।
(घ) श्रीकृष्ण कहाँ के वासी थे?
(i) अयोध्यावासी।
(ii) गोकुलवासी।
(iii) स्वर्गवासी।
(iv) नगरवासी।
उत्तर: (ii) गोकुलवासी।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पूर्ण वाक्य में दीजिए।
(क) पठित’ बरगीत’ के रचयिता कौन हैं?
उत्तरः पठित’ बरगीत’ के रचयिता ‘माधवदेव’ हैं।
(ख) माधवदेव का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: माधवदेव का जन्म सन् 1449 में असम के लखीमपुर जिले के नारायणपुर के निकट लेटेकुपुखुरी नामक गाँव में हुआ था।
(ग) श्रीकृष्ण किससे शिकायत करते हैं?
उत्तर: श्रीकृष्ण अपनी माता यशोदा से शिकायत करते हैं।
(घ) यशोदा क्यों दुःखी हुई?
उत्तरः यशोदा श्रीकृष्ण को भूख की पीड़ा को देख दुःखी हुई।
(ङ) माता यशोदा द्वारा दिया गया नवनीत कैसा था?
उत्तरः माता यशोदा द्वारा दिया गया नवनीत रूखा था।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(क) पठित बरगीत में श्रीकृष्ण की बाल्यावस्था का वर्णन किस प्रकार कवि ने किया है, स्पष्ट कीजिए?
उत्तरः पठित बरगीत में कवि श्रीकृष्ण की बाल्यावस्था का वर्णन करते हुए कहते हैं कि श्रीकृष्ण सुबह से बालकों के साथ खेल रहे हैं। खेलते–खेलते जब कृष्ण को भूख लगती है तो वे अपनी माता यशोदा से शिकायत करते हैं कि तुमने मुझे जो नवनीत दिया था खाने को वह, मैं नहीं खाया क्योंकि वह रूखा था। साथ ही कृष्ण यह भी शिकायत करते हैं कि तुमने मुझे बुलाकर क्यों नहीं खिलाया। वह अपना पेट दिखाकर माता से कहते हैं कि मैं भूख के कारण बहुत दुःखी हूँ। यह सारी अवस्थाएँ अत्यंत मनमोहक एवं हृदय को आनंद प्रदान करने वाली हैं।
(ख) माता यशोदा का श्रीकृष्ण के लिए प्रेम किस प्रकार अभिव्यक्त हुआ है, पठित वरगीत के आधार पर बतलाइए?
उत्तरः माता यशोदा को श्रीकृष्ण प्राणों से भी प्यारा है। वह अपने श्रीकृष्ण के भूख से उत्पन्न दुःख को देख अत्यंत दुःखी हो जाती हैं और उनके नेत्रों से आँसुओं की धारा बहने लगती है। वह बेटा–बेटा कहते हुए श्रीकृष्ण को अपने आँचल से पोंछती हैं और उसे प्यार करते हुए दूध पिलाती हैं। अतः इस प्रकार प्रस्तुत बरगीत में यशोदा का प्रेम श्रीकृष्ण के लिए अभिव्यक्त हुआ है।
(ग) ‘आपुन तनयकहु दुख देखिए माई नयने झुरावत पानी’ – प्रस्तुत पंक्ति में निहित भाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: जब श्रीकृष्ण माता यशोदा को अपना पेट दिखलाते हुए कहते हैं कि मुझे बहुत भूख लगी है और इस भूख के कारण मैं बहुत दुःखी हूँ, तो माता यशोदा श्रीकृष्ण के इस दुःख को देखकर बहुत दुःखी हो जाती हैं। उस दुःख के कारण माता यशोदा के नयनों से आँसुओं की धारा बहने लगती है। इस प्रकार प्रस्तुत पंक्ति का भावार्थ पूर्णतः स्पष्ट हो जाता है।
(घ) शिशु कृष्ण को धूल–धुसरित अवस्था में देख माता यशोदा क्या करती हैं?
उत्तरः धूल–धुसरित श्रीकृष्ण को देख माता यशोदा उसे बेटा–बेटा कहकर पुकारती हैं और अपने आँचल से श्याम वर्ण के शरीर को पोंछती हैं तथा गोद में लेकर उसे दूध पिलाती हैं।
(ङ) कवि माधवदेव द्वारा विरचित ‘बरगीत’ की तुलना हिन्दी के किस कवि की कविता के साथ और क्यों की जाती है?
उत्तर: कवि माधवदेव द्वारा विरचित ‘बरगीत’ की तुलना हिन्दी के भक्तिकालीन कवि ‘सूरदास’ के पदों के साथ की जाती है। जिस प्रकार असमीया भक्ति साहित्य में माधवदेव ने अपने ‘बरगीत’ में वात्सल्य भाव की अविरल धारा प्रवाहित की है, ठीक उसी प्रकार भक्तिकालीन हिन्दी साहित्य में ‘सूरदास’ ने अपने पदों में वात्सल्य रस की धारा को प्रवाहित किया है। इसीलिए साहित्य में ‘माधवदेव’ ‘के’ बरगीत’ और ‘सूरदास’ के पदों की तुलना की जाती है।
भाषा एवं व्याकरण:
1. निम्नलिखित शब्दों के दो–दो पर्यायवाची शब्द लिखिए–
अमृत, मछली, समूह, मुनि, आश्रम, कुबेर
उत्तर:
शब्द | पर्यायवाची शब्द |
अमृत | पीयूष, सुधा |
मछली | मीन, जलजीवन |
समूह | समुदाय, टोली |
मुनि | संन्यासी, वैरागी |
आश्रम | मठ, कुटी |
कुबेर | यक्षराज, राजराज |
(ख) निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक–एक शब्द लिखिए–
जिसके शेखर पर चन्द्र हो, जिसके पाणि में चक्र हो, दो बार जन्म लेने वाला, शक्ति का उपासक, इन्द्रियों को जीतने वाला, निशा में विचरण करने वाला
उत्तर:
वाक्यांश | एक शब्द |
जिसके शेखर पर चन्द्र हो | चन्द्रशेखर |
जिसके पाणि में चक्र हो | चक्रपाणि (विष्णु) |
दो बार जन्म लेने वाला | द्विज |
शक्ति का उपासक | शाक्त |
इन्द्रियों को जीतने वाला | जितेन्द्रिय |
निशा में विचरण करने वाला | निशाचर |