Class 9 Ambar Bhag 1 Chapter 10 जीवन–संग्राम

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Class 9 Hindi (MIL) Ambar Bhag 1 Chapter 10 जीवन–संग्राम

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जीवन–संग्राम

पाठ – 10

Group – A: गद्य खंड

लेखक – परिचय:

डॉ. मृणाल कलिता असम के एक युवा साहित्यकार है। विद्यार्थी– जीवन से ही साहित्य के प्रति विशेष रुचि रखने वाले डॉ. कलिता मूलतः एक कहानीकार के रूप में जाने जाते हैं। इनकी कहानियाँ सामाजिक जीवन को जीवंत पृष्ठभूमि प्रस्तुत करती हैं। मानव–जीवन के अंतर्दद्वों और सामाजिक आदशों पर रचित कहानियाँ पाठकों के मन को खूब आकर्षित करती हैं।

असम के कामरूप ( ग्राम्य) जिले के बासुंदी गाँव में जन्मे डॉ. कलिता एक अच्छे कहानीकार के साथ–साथ एक अच्छे निबंधकार और उपन्यासकार भी हैं। इनकी भाषा सरल–सहज एवं प्रांजल है। वर्तमान में डॉ. मृणाल कलिता गुवाहाटी के पांडु कॉलेज में गणित विभाग में प्राध्यापक के रूप में कार्यरत है। इनकी रचनाएँ असमीया साहित्य–भंडार की श्रीवृद्धि में विशेष महत्व रखती हैं। डॉ. कलिता द्वारा रचित पुस्तकें निम्न प्रकार हैं। कहानी–संग्रह: “अनुशीलन”, “अयांत्रिक अनुशीलन” और ” मृत्युर सिपारे”। उपन्यासः “बकुल फुलर दरे”। निबंध–संग्रह: “गॉड फादरर हात आरु शैतानर मगजु”, “मणिरत वर्णित जगत”। इनमें “बकुल फुलर दरे” नामक उपन्यास विशेष रूप से चर्चित है।

लेखक–संबंधी प्रशन एवं उत्तर:

1. जीवन–संग्राम’ कहानी के लेखक का क्या नाम है?

उत्तर: ‘जीवन–संग्राम’ कहानी के लेखक का नाम डॉ. मृणाल कलिता है।

2. डॉ. मृणाल कलिता का जन्म कब और कहाँ हुआ? 

उत्तर: डॉ. मृणाल कलिता का जन्म कामरूप जिले के बासुंदी गाँव में हुआ।

3. डॉ. मृणाल कलिता के द्वारा लिखा गया उपन्यास का क्या नाम है? 

उत्तर: डॉ. मृणाल कलिता के द्वारा लिखा गया उपन्यास का नाम बकुल फूलर दरे है।

4. डॉ. मृणाल कलिता के तीन कहानी संग्रह का नाम लिखिए?

उत्तर: डॉ. मृणाल कलिता के तीन कहानी संग्रह अनुशीलन, अयांत्रिक अनुशीलन तथा मृत्युर सिपारे हैं। 

5. डॉ. मृणाल कलिता वर्तमान में कहाँ कार्यरत हैं?

उत्तर: डॉ. मृणाल कलिता वर्तमान में पांडु महाविद्यालय में गणित विभाग के अध्यापक के रूप में कार्यरत हैं।

सारांश:

‘जीवन–संग्राम’ डॉ. मृणाल कलिता द्वारा रचित एक प्रसिद्ध सामाजिक कहानी है। इसमें नशा करने के आदी हो चुके एक किशोर की मानसिक अवस्था का संजीव चित्रण किया गया है।

सिद्धार्थ दूसरे छात्रों की तरह ही है। पर उसे चोरी करने की लत लग गई है। वह दूसरे छात्रों के बस्ते से रुपये गायब कर देता है। लड़कों ने महेंद्र सर से शिकायत भी को लेकिन किसी ने सिद्धार्थ को रुपये चुराते नहीं देखा था इसलिए वह बच गया। वह रुपये चुराकर पान की दुकान पर जाता। वहाँ से सिगरेट खरीद कर चुपके से उसका कश लगाता था। निर्मल को वह दुकानदार ठीक नहीं लगता। वह बच्चों से अजीब–अजीब सवाल पूछता था।

निर्मल सिद्धार्थ से मिलकर उसके बारे में पूरी बात जानना चाहता था। निर्मल को देखकर सिद्धार्थ नरम पड़ गया। फिर भी अपने बारे में वह पूरी बात न बता सका। वह एक सप्ताह तक विद्यालय नहीं गया। निर्मल को कही बात उसके कानों में बराबर गूंँजती रही। वह एक सप्ताह तक पान की दुकान पर भी नहीं गया। सिद्धार्थ में ऐसा परिवर्तन उसके परिवार के कारण आया था। उसके माता–पिता हमेशा आपस में लड़ते थे। वह चुपचाप दोनों की नोंक–झोंक को देखता–सुनता रहता था। इसलिए उसे अपने माता–पिता से पूरा प्यार नहीं मिल पाया था। उसके पिता उसे और उसकी माँ को एक फ्लैट में छोड़कर चले गए थे। कभी–कभी वे सिद्धार्थ से मिलने आते थे। पिताजी उसके लिए चॉकलेट लाते थे। वह अनमना–सा रहने लगा था। इस प्रकार वह छोटी–मोटी चोरियाँ करना सीख गया था तथा ड्रग्स भी लेने लगा था। उसे किसी व्यक्ति का साथ चाहिए था। इसलिए पान के दुकानदार ने उसे सहारा दिया, जिसका बहुत भारी मूल्य सिद्धार्थ को चुकाना पड़ा। सिद्धार्थ घर में रखे पैसे चुराकर दुकानदार को दे देता और उससे ड्रग्स खरीदता था। एक बार वह अपनी माँ का सोने का कंगन चुराकर बेच दिया। पुलिस आई और उसकी नौकरानी को पकड़कर ले गई।

एक दिन निर्मल सिद्धार्थ से मिलने दुकान पर गया पर वह नहीं मिला। वहाँ से लौटते समय रास्ते में ही बाइक पर सवार दो लड़कों में से एक ने निर्मल की नाक पर एक जोरदार घूँसा जड़ दिया और भाग निकला। उसकी नाक से खून भी बहने लगा। उसी समय सिद्धार्थ आकर निर्मल से मिला और उसे दुकान पर जाने से रोका। एक निर्मल हो है जो सिद्धार्थ को चाहता है और उसे सही रास्ते पर लाना चाहता है। वह सिद्धार्थ को अच्छी तरह समझता है। बार–बार उसकी आवाज सिद्धार्थ के कानों में गुंँजती रहती है। एक दिन शाम के समय सिद्धार्थ और निर्मल नदी किनारे पत्थर पर बैठकर बातें करने लगे। निर्मल सिद्धार्थ को अच्छी बातें समझाता है। वह अपनी बीमारी के बारे में भी बताता है। वह सिद्धार्थ से कहता है कि उसके नहीं रहने पर भी वह कभी निराश नहीं होगा और गलत आदतें हमेशा के लिए छोड़ देगा। निर्मल की बातें सुनकर सिद्धार्थ की आँखों में आँसू आ जाते हैं वह पछताने लगता है और मन– ही– मन निर्मल की बातें मानने का निश्चय करता है। इस प्रकार निर्मल ने सिद्धार्थ को ड्रग्स लेने की आदत छुड़वाकर अच्छा काम किया है।

शब्दार्थ:

आग बबूला होना : गुस्सा करना

सफाई देना : अपने को निर्दोष साबित करने के लिए तर्क देना

बस्ता : स्कूल बैग

हक्का–बक्का रह जाना : आश्चर्यचकित होना

नजरअंदाज : अनदेखा करना

सन्नाटा : निःशब्द, चुप्पी

सबूत : प्रमाण

दृढ़तापूर्वक : मजबूती से

आखिरी : अंतिम

कौतूहल वश : उत्सुकता के कारण

निहारना : देखना

निरीक्षण : जाँच

आत्मीयता : अपनापन, अपना होने का भाव

उद्दण्ड : बदमाश

लापरवाह : ध्यान न देने वाला

रहस्यमय : भेदपूर्ण

गृहकार्य : सबक

उत्तरदायित्व : जिम्मेदारी

आत्मविशवास : अपने आप पर भरोसा करना

कर्कश : कड़वा, कठोर

प्रतिरोध : रुकावट

पायदान : पैर रखने का स्थान

आगोश : आलिंगन, गोद

मरघट : श्मशान

आशवस्त : जिसे आश्वासन या भरोसा मिला हो

आघात : चोट

बेबशी : विवशता, लाचारी

चप्पू : पतवार

पहाड़ टूटना : मुसीबत आ पड़ना

आक्रामक : हमलावर

स्फूर्ति : फुर्ती, तेजी

ड्रग्स : एक नशीला पदार्थ

अंतर्द्वन्द्व : मन की दुविधा।

मासूम : बेगुनाह

जुगनू : जुगनू, खद्योत

सहपाठी : साथ पठने वाला

संजोकर : सुरक्षित रखना

अप्रत्याशित : जो पहले न हुआ हो

रक्तरंजित : खून से सना हुआ, खून से रंगा हुआ

क्षितिज : वह स्थान जहाँ धरतो और आसमान मिलते हुए दिखाई पड़े।

संवेदना : सहानुभूति, मन का बोध

हताशा : निराशा

अपराध : कानून तोड़ना

आश्रय : शरण

विश्राम : आराम

अनमोल : जिसका मोल न हो

संग्राम : युद्ध, संघर्ष, लड़ाई

रेफरी : मैच का निर्णायक

पाठयपुस्तक संबंधित प्रशन एवं उत्तर:

बोध एवं विचार:

1. सही विकल्प का चयन कीजिए?

(क) किसके बस्ते से रुपये गायब हुए थे?

(1) निर्मल।

(2) सिद्धार्थ।

(3) प्रशांत।

(4) रमेन।

उत्तरः (3) प्रशांत।

(ख) सिद्धार्थ के बस्ते में कितने रुपये पाए गए?

(1) पचास रुपये का एक नोट।

(2) पचास रुपये के दो नोट। 

(3) सौ रुपये का एक नोट।

(4) बीस रुपये के दो नोट।

उत्तरः (2) पचास रुपये के दो नोट।

(ग) ‘सर, दो कॉपियाँ खरीदनी थीं।’ – यह किसका कथन है?

(1) प्रशांत।

(2) सिद्धार्थ।

(3) निर्मल।

(4) रमेन। 

उत्तरः (1) प्रशांत।

(घ) सिद्धार्थ के पिताजी जब उससे मिलने आते तो उसके लिए क्या लाते थे?

(1) कंचे।

(2) खिलौने।

(3) मिठाइयाँ।

(4) चॉकलेट।

उत्तरः (4) चॉकलेट।

(ङ) सिद्धार्थ अपने पिताजी द्वारा दिए गए चॉकलेट के खाली कागज को कहाँ जमा करता था?

(1) बस्ते में।

(2) पेंसिल बॉक्स में।

(3) घर में।

(4) जेब में।

उत्तरः पेंसिल बॉक्स में।

2. एक वाक्य में उत्तर दीजिए:

(क) किसकी शिकायत सुनकर महेन्द्र सर आग बबूला हो गए? 

उत्तरः प्रशांत की शिकायत सुनकर महेन्द्र सर आग बबूला हो गए।

(ख) प्रशांत के बस्ते से कितने रुपये गायब हुए थे?

उत्तरः प्रशांत के बस्ते से सौ रुपये गायब हुए थे।

(ग) सिद्धार्थ की माँ के सोने के कंगन किसने गायब किए थे? 

उत्तरः सिद्धार्थ की माँ के सोने के कंगन स्वयं सिद्धार्थ ने गायब किए थे।

(घ) कंगन चोरी के आरोप में पुलिस किसे पकड़कर थाने ले गई? 

उत्तरः कंगन चोरी के आरोप में पुलिस सिद्धार्थ के घर की नौकरानी को पकड़कर थाने ले गई।

(ङ) निर्मल के मुँह पर घूँसा जड़ने वाला कौन था?

उत्तर: निर्मर के मुँह पर घूँसा जड़ने वाला बाईक पर सवार एक लड़का था।

(च) सिद्धार्थ के कानों में बार–बार कौन–सा वाक्य गुंँजता था? 

उत्तरः सिद्धार्थ के कानों में बार–बार ‘तुम्हें क्या हुआ है सिद्धार्थ, मुझे बताना ही होगा’ वाक्य गुंजता था।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(क) महेन्द्र सर के गुस्सा होने का कारण क्या था? 

उत्तरः प्रशांत के बस्ते से आज किसी विद्यार्थी ने पचास रुपये के नोट चोरी कर लिए। कई दिनों से किसी–न–किसी विद्यार्थी के बस्ते से रुपये चोरी हो रहे थे। आज प्रशांत ने जब महेंद्र सर से इसकी शिकायत की तो वे गुस्से से आग बबूला हो गए।

(ख) महेंद्र सर ने विद्यार्थियों को क्या हिदायत दी थी? 

उत्तर: महेंद्र सर ने विद्यार्थियों को यह हिदायत दी थी कि विद्यालय में अधिक रुपये मत लाना। जरूरत न हो तो बिल्कुल ही रुपये–पैसे न लाना।

(ग) महेंद्र सर ने सिद्धार्थ को क्या चेतावनी दी थी?

उत्तर: महेंद्र सर ने सिद्धार्थ को यह चेतावनी दी थी कि जिस दिन वह रुपये चुराते हुए रंगे हाथों पकड़ा जाएगा, उस दिन ही उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा।

(घ) निर्मल पान की दुकान पर क्यों गया था? 

उत्तरः सिद्धार्थ से मिलने के लिए निर्मल पान की दुकान पर गया था।

(ङ) पान–दुकानदार कैसा आदमी था?

उत्तरः पान–दुकानदार अच्छा आदमी नहीं था। वह अपनी दुकान में नशा की दवा, टैबलेट तथा अन्य ड्रग्स रखता और बेचता था। वह हर लड़का–लड़की पर नजर रखता था।

(च) सिद्धार्थ पान की दुकान पर क्यों जाता था? 

उत्तरः सिद्धार्थ नशा की गोली या सिगरेट लेने के लिए ही पान की दुकान पर जाता था।

(छ) सिद्धार्थ ने स्कूल जाना क्यों बंद कर दिया?

उत्तर: सिद्धार्थ निर्मल के सामने जाना नहीं चाहता था क्योंकि निर्मल ने उसकी बातें जान ली थी। इसलिए वह स्कूल जाना बंद कर दिया था।

(ज) कहानीकार ने सिद्धार्थ के जीवन को ‘बिना चप्पु की नाव जैसा’ क्यों कहा है?

उत्तरः सिद्धार्थ अपनी माँ के साथ रहता है। उसके पिता उसके साथ नहीं रहते। उसकी देखभाल करने वाला अथवा जिम्मेदार अभिभावक नहीं है। वह अपने मन से जहाँ चाहता आता–जाता है। उसे दिशा–निर्देशित करने वाला कोई नहीं है। इसलिए कहानीकार ने उसे ‘बिना पतवार की नाव जैसा’ कहा है।

(झ) सिद्धार्थ को पहली बार सिगरेट पीकर कैसा लगा था? 

उत्तर: पान दुकानदार के लालच देने से सिद्धार्थ ने पहली बार सिगरेट पीया। सिगरेट समाप्त होने से पहले उसने अपने शरीर में एक अजीब–सी स्फूर्ति एवं उमंग का अनुभव किया।

(ञ) सिद्धार्थ ने निर्मल का हाथ पकड़कर क्या कहा? 

उत्तरः निर्मल का हाथ पकड़कर सिद्धार्थ ने कहा– “निर्मल, मैं जरूर प्रयास करूंगा। मेरी आँखों के सामने न रहने पर भी तुम हमेशा मेरे हृदय में बने रहोगे और मुझे गलत रास्ते पर जाने से रोकते रहोगे–यह मैं जानता हूँ।”

4. निम्नलिखित प्रशनों के सम्यक् उत्तर दीजिए:

(क) पान दुकानदार की गतिविधियों पर प्रकाश डालिए। 

उत्तरः पान दुकानदार पान बेचने की आड़ में ड्रग्स का धंधा करता था। सिद्धार्थ को भी वह अपनी जाल में फाँस लिया था। वह दूसरे लड़कों को भी ड्रग्स का इसी तरह लत लगा देता था। पहले वह मुफ्त में ड्रग्स मिला सिगरेट पीने को देता था। जब युवक उसका आदि हो जाता तो वह उससे पैसे लेकर बेचता था। वह हर आने–जाने वाले लड़के पर नजर रखता था।

(ख) सिद्धार्थ नशे का आदी क्यों और कैसे हो गया?

उत्तर: सिद्धार्थ के पिता उसके साथ नहीं रहते थे। माँ उस पर पूरा ध्यान नहीं देती थी। घर में माता–पिता के झगड़ते रहने से उसका मन परिवार में नहीं लगता था। उसे माता–पिता का अथवा दोस्तों का प्यार–स्नेह नहीं मिल पाया था। वह चिड़चिड़ा स्वभाव का हो गया था। अतः अकेलापन दूर करने के लिए वह पान दुकान पर जाने लगा और नशे का आदी हो गया।

(ग) सिद्धार्थ की पारिवारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।

उत्तरः सिद्धार्थ की पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं थी। घर में माता–पिता के अलावा और कोई नहीं था। उसके माता–पिता हमेशा लड़ते–झगड़ते रहते थे और एक दिन उसके पिता भी उसे छोड़कर चले गए। उसे माता–पिता का पूरा प्यार नहीं मिला था। इसलिए परिवार में उसका मन नहीं लगता था।

(घ) निर्मल के चरित्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। 

उत्तरः निर्मल सिद्धार्थ का सहपाठी है। वह सिद्धार्थ का हितैषी है। सिद्धार्थ नशा लेने का आदी हो गया है। निर्मल सिद्धार्थ को हमेशा पान की दुकान पर देखता है। सिद्धार्थ वहाँ छुपकर सिगरेट पीता है तो निर्मल को ठीक नहीं लगता। वह सिद्धार्थ को इस गलत रास्ते पर जाने से बचाना चाहता है। इसके लिए दो लड़के उसके मुँह पर घूँसा जड़ देते हैं। निर्मल संवेदनशील और समझदार लड़का है। सिद्धार्थ की स्थिति देखकर वह उसे नशा लेने से रोकने की पूरी कोशिश करता है और वह कामयाब भी हो जाता है।

(ङ) निर्मल ने सिद्धार्थ की किस प्रकार मदद की? 

उत्तर: निर्मल सिद्धार्थ का सहपाठी है। वह सिद्धार्थ की मदद करना चाहता है। सिद्धार्थ कक्षा में विद्यार्थियों के बस्ते से रुपये चुराने लगता है। इन पैसों से वह नशे की दवा (ड्रग्स) खरीदता है। यह सब देखकर निर्मल को ठीक नहीं लगता। वह सिद्धार्थ की आदत छुड़वाकर उसे सही रास्ते पर लाना चाहता है। वह इस काम में सफल भी हो जाता है।

(च) सिद्धार्थ नशाखोरी से मुक्त कैसे हुआ?

उत्तर: सिद्धार्थ को बचपन से ही अपने माता–पिता का प्यार बहुत कम मिला। वह नशे का आदी हो गया। वह छोटी–मोटी चोरियाँ भी करने लगा। परंतु अपने हमउम्र सहपाठी और मित्र निर्मल का प्रेम एवं दायित्वबोध उसे सही रास्ता दिखाता है और सिद्धार्थ नशाखोरी छोड़ देता है।

(छ) ‘जीवन–संग्राम’ कहानी से आपको क्या शिक्षा मिलती है? 

उत्तर: ‘जीवन–संग्राम’ एक प्रेरणादायक सामाजिक कहानी है। यह कहानी उन सभी युवकों के लिए एक मार्गदर्शन एवं इशारा है, जो गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं। वस्तुतः मनुष्य अपने–आप से संघर्ष करता रहता है। जो नशे के आदी हो गए हैं, वे स्वयं के विरुद्ध संघर्ष करते हुए नशा मुक्त हो सकते हैं।

(ज) ‘मनुष्य का जीवन ही एक संग्राम है।’- कहानी के आधार पर इस वाक्य की पुष्टि कीजिए।

उत्तर: ‘जीवन–संग्राम’ कहानी में नशे का आदी एक किशोर की स्वयं अपने–आप से संघर्ष की कहानी है। सिद्धार्थ पर तरह–तरह के अत्याचार हुए। उसने एकाकीपन झेला। घर में माता–पिता के हमेशा झगड़ते रहने से वह किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया। ड्रग्स लेने लगा। अंत में अपने–आप से लड़ते हुए नशामुक्त हो गया। वस्तुतः व्यक्ति का जीवन ही एक संग्राम है। इसमें हार–जीत का उतना महत्व नहीं होता, जितना इसमें भाग लेने का होता है।

5. निम्नलिखित कथन किसने, किससे और किस प्रसंग में कहा है? 

(क) संसार में पचास के सिर्फ दो ही नोट है क्या?

उत्तरः यह वाक्य सिद्धार्थ ने महेंद्र सर से उस प्रसंग में कहा है जब कक्षा में प्रशांत के बस्ते से रुपये चोरी हो गए।

(ख) ‘सिद्धार्थ से मिलना है?’

उत्तरः यह वाक्य निर्मल ने दुकानदार से उस प्रसंग में कहा जब दुकानदार ने निर्मल से रूखे स्वर में बात की।

(ग) ‘तुम्हें क्या हुआ है सिद्धार्थ, मुझे बताना ही पड़ेगा’।

उत्तरः यह वाक्य निर्मल ने सिद्धार्थ से उस समय कहा जब निर्मल ने सिद्धार्थ से रुपये चोरी के बारे में पूछा।

(घ) ‘अब से पैसा देकर सामान लेना?’

उत्तर: यह वाक्य दुकानदार ने सिद्धार्थ से उस प्रसंग में कहा जब सिद्धार्थ ड्रग्स लेने का आदी हो गया।

(ङ) ‘दुकान पर क्यों गए थे?”

उत्तर: यह वाक्य सिद्धार्थ ने निर्मल से उस प्रसंग में कहा जब निर्मल सिद्धार्थ को ढूँढ़ने के लिए पान की दुकान पर गया था।

6. सप्रसंग व्याख्या कीजिए:

(क) हमारे उत्तरायित्व का ज्ञान ही हमें अधिकार दिलाता है? 

उत्तरः प्रसंग: यह पंक्ति ‘जीवन–संग्राम’ नामक कहानी से ली गई है। इसके लेखक डॉ. मृणाल कलिता है। डॉ. मृणाल कलिता एक ही साथ कहानीकार, उपन्यासकार एवं निबंधकार हैं।

संदर्भ: अपना अधिकार हम वहीं जता सकते हैं जहाँ हमें अपना उत्तरदायित्व निभाना पड़े अर्थात् अधिकार जताने के लिए मनुष्य को अपना कर्तव्य याद रखना चाहिए।

व्याख्या: निर्मल सिद्धार्थ का हमउम्र सहपाठी था। वह जानता था कि सिद्धार्थ परिस्थिति वश चोर, लाचार और नशा लेने का आदी हो गया है। सिद्धार्थ का दोस्त एवं हितैषी होने के कारण निर्मल उसे सुधारना चाहता है। इसलिए सिद्धार्थ को खोजते हुए वह पान की दुकान पर पहुँच जाता है। वह सिद्धार्थ पर अपना अधिकार जताते हुए उससे बात करने के लिए कहता है। सिद्धार्थ को अधिकारपूर्वक आदेश देने से सिद्धार्थ जैसा उद्दंड लड़का भी कमजोर पड़ गया। वह निर्मल के पीछे–पीछे चलने लगा और निर्मल की बातों का पूरा जवाब दिया।

(ख) वह रोता भी था पर उसके आँसू पोंछने के लिए न माँ के कोमल हाथ बढ़ते, न पिता के।

उत्तरः प्रसंग: ये पंक्तियाँ ‘जीवन–संग्राम’ नामक कहानी से ली गई हैं। इसके लेखक डॉ. मृणाल कलिता है। डॉ. कलिता एक ही साथ कहानीकार, निबंधकार और उपन्यासकार हैं।

संदर्भ: यह वाक्य सिद्धार्थ के संदर्भ में है जिसके आँसू पोंछने के लिए न माँ आती थी, न उसके पिता। 

व्याख्या: सिद्धार्थ पहले आम लड़कों जैसा ही बालक था, पर परिस्थिति ने उसे चोर और नशेड़ी बना दिया। उसके पिता भी उसे छोड़कर कहीं चले गए। माँ उसकी सही देखभाल नहीं कर पाती थी। बेचारा सिद्धार्थ बिलकुल अकेला पड़ गया था। वह अवसादग्रस्त हो गया था। वह बहुत दुःखी रहने लगा था। वह अपने जीवन के बारे में सोचकर रोता भी था पर उसके आँसू पोंछने वाला कोई रहता न था। उसके माता–पिता में संबंध–विच्छेद हो गया था। उसके जीवन में समस्या ही समस्या थी। इसलिए बेचारा मायूस हो गया था। 

(ग) तब उसने अनुभव किया कि उसके अंदर का आदमी मर चुका है। 

उत्तरः प्रसंग: ये पंक्तियाँ’ जीवन–संग्राम’ नामक सामाजिक कहानी से ली गई हैं। इसके लेखक डॉ. मृणाल कलिता है। डॉ. कलिता एक ही साथ कहानीकार, निबंधकार और उपन्यासकार हैं। 

संगर्भ: यह वाक्य सिद्धार्थ के लिए है जब उसने अपने ही घर में चोरी की और इल्जाम नौकरानी पर लगा दिया।

व्याख्या: सिद्धार्थ आम बच्चों की तरह ही था। लेकिन कोई साथी–दोस्त नहीं होने के कारण तथा माता–पिता का प्यार नहीं मिलने से चिड़चिड़ा स्वभाव का हो गया था। उसके सिर पर हाथ रखने वाला भी कोई न था। इसलिए वह चोर और नशेड़ी बन गया था। नशीली दवा खरीदने के लिए जब उसे पैसे कम पड़ते तो घर की चीजें चोरी–छिपे बेच देता था। एक दिन उसने खुद अपनी माँ का कंगन चुराकर दुकानदार को बेच दिया। घर में पुलिस आई और नौकरानी को थाने ले गई, जो बिल्कुल बेकसूर थी। इस घटना से सिद्धार्थ रातभर बेचैन रहा। तब उसे पता चला कि उसके अंदर का आदमी मर चुका है। अर्थात् पुलिस बेकसूर नौकरानी को थाने ले गई और सिद्धार्थ कुछ न कर सका। वह बिल्कुल संवेदनहीन हो गया था।

(घ) सुख हमारे मन में होना चाहिए?

उत्तरः प्रसंग: यह पंक्ति ‘जीवन–संग्राम’ नामक सामाजिक कहानी से ली गई है। इसके लेखक डॉ. मृणाल कलिता है। डॉ. कलिता एक ही साथ कहानीकार, निबंधकार और उपन्यासकार हैं।

संदर्भ: यह वाक्य निर्मल ने सिद्धार्थ को समझाते हुए कहा है जिसका आशय यह है कि सुख बाहर की चीज नहीं है जो अलग से दिखाई पड़े। सुख तो मन से अनुभव किया जाता है।

व्याख्या: निर्मल एक संवेदनशील और जिम्मेदार लड़का है। वह सिद्धार्थ का दोस्त भी है। उसे सिद्धार्थ के बारे में सब कुछ पता है। वह सिद्धार्थ को सुधारकर सही रास्ते पर लाना चाहता है। इसलिए एक दिन सूरज ढलने के समय नदी किनारे बैठकर वह सिद्धार्थ को समझाता है। सिद्धार्थ भी उस दिन अपने दिल की सारी बातें खोलकर बता देता है। इसी क्रम में निर्मल कहता है कि सुख बाहरी वस्तु नहीं है। यह तो मन में होना चाहिए। मन की संतुष्टि ही सुख है। उसे मन में अनुभव करना चाहिए।

भाषा एवं व्याकरण:

(क) कक्षा में शिक्षक एवं छात्र के बीच होने वाले संवाद को लिखिए।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

(ख) बाजार में ग्राहक और विक्रेता के बीच होने वाले संवाद को लिखिए।

उत्तरः विद्यार्थी स्वयं करें।

(ग) दो मित्रों के बीच होने वाले संवाद को लिखिए? 

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

2. इस कहानी में आए किन्हीं पाँच मुहावरों को चुनिए और उनका अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए। 

आग बबूला होना, पहाड़ टूटना, डूबते को तिनके का सहारा, कमर कसना, हक्का–बक्का होना

उत्तरः (क) आग बबूला होना: (गुस्सा होना) – रमेश की बातें सुनते ही नेता जी आग बबूला हो गए।

(ख) पहाड़ टूटना: (संकट आना) – देव पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है। 

(ग) डूबते को तिनके का सहारा: (सहारा मिलना) – सिद्धार्थ को पान दुकनादार डूबते को एक सहारा मिल गया।

(घ) कमर कसना: (तैयार होना) – टिंकू मैच जीतने के लिए अभी से कमर कस लिया है।

(ङ) हक्का–बक्का होना: (आशचर्यचकित होना) – एकाएक सिद्धार्थ को गुस्से में देखकर सभी हक्के–बक्के रह गए।

3. कोष्ठकों में दिए गए निर्देशों के अनुसार वाच्य– परिवर्तन कीजिए: 

(क) महेंद्र सर ने सभी विद्यार्थियों को सावधान किया था। (कर्मवाच्य)

उत्तर: महेंद्र सर के द्वारा सभी विद्यार्थियों को सावधान किया गया था।

(ख) उसने गीत गाया। (कर्म वाच्य)।

उत्तर: उसके द्वारा गीत गाया गया।

(ग) शिकारी ने गोली चलाई। (कर्म वाच्य )।

 उत्तर: शिकारी के द्वारा गोली चलाई गई।

(घ) निर्मल चल नहीं सकता । (भाव वाच्य )।

उत्तर: निर्मल से चला जाता।

(ङ) राम के द्वारा क्रिकेट खेला गया। (कर्त्तृ वाच्य)

उत्तर: राम ने क्रिकेट खेला।

(च) वह कुछ कह नहीं सकता। (भाव वाच्य) 

उत्तरः उससे कुछ कहा नहीं जाता।

(छ) सिद्धार्थ से खाया नहीं जाता। (कर्तृवाच्य ) 

उत्तरः सिद्धार्थ नहीं खा सकता।

4. दो शब्दों के योग से बने शब्द को यौगिक शब्द कहते हैं।

उत्तर: किताबघर = किताब + घर । पठित कहानी से ऐसे पाँच यौगिक शब्द ढूंढ़कर लिखिए।

(क) छत्रछाया = छत्र + छाया

(ख) नजरअंदाज = नजर + अंदाज

(ग) अनुशासनप्रिय = अनुशासन + प्रिय

(घ) उत्तरदायित्व = उत्तर + दायित्व

(ङ) आत्मविश्वास = आत्म + विश्वास

5. निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग अलग कीजिए:

बेवशी = बे + बशी

लापरवाह = ला + परवाह

निर्मल = निर् + मल

अशांत = अ + शांत

आघात = आ + घात

अनजान = अन + जान

सविस्तार = स + विस्तार

असहाय = अ + सहाय

दरअसल = दर + असल

सुस्पष्ट = सु + स्पष्ट 

योग्यता–विस्तार:

1. आप अगर निर्मल के स्थान पर होते तो क्या करते? 

अपनी मित्र–मंडली में चर्चा कीजिए।

उत्तरः विद्यार्थी स्वयं करें।

2. ‘युवाओं में नशाखोरी की समस्या’ विषय एक निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन कीजिए।

उत्तरः विद्यार्थी स्वयं करें।

अतिरिक्त प्रशनोत्तर:

1. ‘इस स्कूल में चोरों के लिए कोई जगह नहीं है।’ – ऐसा किसने कहा?

उत्तरः ऐसा महेंद्र सर ने कहा।

2. महेंद्र सर किस प्रकार के शिक्षक हैं? 

उत्तर: महेंद्र सर एक अनुशासनप्रिय शिक्षक हैं।

3. निर्मल अक्सर सिद्धार्थ को कहाँ देखता था?

उत्तर: निर्मल अक्सर सिद्धार्थ को पान की दुकान पर देखता था।

4. सिद्धार्थ स्कूल न जाने के लिए क्या बहाना बनाता है?

उत्तरः सिद्धार्थ स्कूल न जाने के लिए बीमारी का बहाना बनाता है।

5. “पीने से तुम्हारा दुःख–दर्द दूर हो जाएगा।’ – ऐसा किसने कहा और किससे तथा क्या पीने को दिया?

उत्तरः ऐसा पान–दुकानदार ने सिद्धार्थ को सिगरेट पीने के लिए देते हुए कहा।

6. सिद्धार्थ के विद्रोही होने को क्या कारण था?

उत्तरः माता–पिता का प्यार न मिलना ही सिद्धार्थ के विद्रोही होने का कारण था।

7. निर्मल सिद्धार्थ के घर क्यों नहीं जाता है? 

उत्तरः क्योंकि किसी को भी सिद्धार्थ के घर का पता नहीं था।

8. निर्मल ने सिद्धार्थ से सत्य की क्या पहचान बताई? 

उत्तर: निर्मल ने कहा – ‘अंधकार दूर करने के लिए कोई–न–कोई सूरज अवश्य उगेगा।’ 

9. निर्मल की कौन–सी बात सुनकर सिद्धार्थ को अचानक एक झटका–सा लगा?

उत्तर: निर्मल के जटिल रोग की खबर सुनकर सिद्धार्थ को अचानक एक झटका–सा लगा। 

10 ‘जीवन–संग्राम’ कहानी का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: ‘जीवन–संग्राम’ एक सामाजिक कहानी है। इसमें कहानीकार ने विशेष रूप से युवा–वर्ग को उपदेश देने का प्रयास किया है कि आत्मविश्वास और जिम्मेदारी न होने पर जीवन–स्तर किस प्रकार गिरता चला जाता था। दूसरी ओर आज की नई पीढ़ी के कुछ लोग नशा के प्रति अधिक आकर्षित होने लगे हैं। इससे व्यक्तित्व का अधोपतन होने लगा है। कहानी के नायक सिद्धार्थ के जरिए कहानीकार ने सामाज में व्याप्त कुसंस्कारों के प्रति हमें सचेत करने की कोशिश की है।

सिद्धार्थ एक समझदार और संवेदनशील लड़का था। माता–पिता का प्यार न मिलने, दोस्तों का साथ न मिलने, एकाकीपन, निराशा और हतोत्साह के कारण वह नशे का शिकार हो जाता है। सिद्धार्थ का दोस्त निर्मल उसे सही मार्ग दिखाता है। आखिरकार सिद्धार्थ अपने दोस्त की बदौलत नशे से छुटकारा पाने में सफल हो जाता है। सिद्धार्थ का दोस्त निर्मल भी एक जटिल रोग से लड़ रहा है। वस्तुतः जीवन का दूसरा नाम ही संग्राम है। यह कहानी जीवन के सुख–दुःख को उद्घाटित करती है।

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