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SCERT Class 11 Hindi Chapter 2 मियाँ नसीरुद्दीन
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मियाँ नसीरुद्दीन
गद्य खंड
सारांश: |
लेखिका कहती हैं एक दिन अगर वे मटियामहल की तरफ से न गुजराती तो राजनीति | साहित्य और कला के हजारों हजार मसीहो के धूम धड़क्के में नानबाइयों के मसीहा मियाँ नसीरूद्दीन को पहचानने तथा मसीही अंदाज का लुत्फ नही उठा पाती। एक दिन दुपहरी जमा मस्जिद के आड़े पड़े मटियामहल के गढ़या मुहल्ले की ओर किल गए। तब लेखिका को एक मामूली और अंधेरी दुकान पर परापट आटे का ढेर सनते देख ठिठकी। पूछनी पर मालुम हुआ की खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान हैं, जी छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं। दुकान के अन्दर मिया नसीरुद्दीन बैठे थे और लेखिका उनसे बाते करने दुकान में जाती हैं।
मिया नसीरुद्दीन बताते हैं, वे अपनी बालिद से किस्म किस्म की रेटियाँ बनानी सीखी हैं। वे बताते हैं कि उनके वालिद मियाँ नसीरुद्दीन बरकत शाही नानबाई गढ़यावाले के नाम से मशहूर थे, और उनके दादा आला नानबाई मियाँ फल्लन मियाँ नसीरुद्दीन बताते हैं, कि उनके बुजुर्ग बादशाह के सहाँ शाही बावर्चे थे। लेखिका द्वारा बादशाह का नाम पूछने पर मियाँ नसीरुद्दीन बूता नहीं पाते है। लेखिका उनसे अनके परिवार बेटे-बेटियो के बारे में पुछना चाहती हैं, मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अंधड़ के आसार देखकर यह विषय नही पुछती हैं।
बाते करते हुए अचानक मिया नसीरुद्दीन के आँखों के आगे कुछ वौध जाता है। के कहते हैं, कि अब वे कद्रदान नहीं रहे जो पकाने खाने की कद्र करता जानते थे। अब तो ऐसे लोग हैं, जो तंदुर से खाना निकाल निगलते हैं, और हजम कर लेते हैं।
प्रश्नोत्तर
1. मियाँ नसीरुद्दीन का नानबइयों का मसीहा क्यों कहा गया हैं?
उत्तर: मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा कहा गया हैं, क्योंकि वह छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर हैं।
2. लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थी?
उत्तर: लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास कुछ सवालों के जबाव पुछने के लिए जाती हैं।
3. बादशाह के नाम का प्रंसग आते हो लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी क्यो खत्म होने लगी?
उत्तर: लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन से उस बादशाह का नाम जानना चाहती थी जिनके यहाँ उनके बुजुर्गों ने शाही बावर्चीखाने को उस बादशाह का नाम पता नहीं था। अत बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में उनकी दिलचस्पी कम होने लगती हैं।
4. मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अंधड के आसार देख यह मजमुन ने छेड़ने का फैसला किया इस कथन के पहले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन से उस बादशाह का नाम जानना चाहा परन्तु उन्हे बादशाह का नाम याद नहीं। और मियाँ नसीरुद्दीन ने लेखिका का ध्यान बटाने के लिए बच्चन मिया से भट्टी सुलगाने की बात कही। उस समय लेखिका के मन में मियाँ नसीरुद्दीन के परिवार तथा बेटे बेटियों के बारे में पूछने के बारे में सोचा। परन्तु उनके चेहरे पर किसी दबे हुए अधड़ में आसार देखकर लेखिका ने यह विषय न छेड़ने का फैसला किया।
5. पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने कैसे खीचा हैं?
उत्तर: कृष्णा सोबती ने इसमें खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व, रुचियों और स्वभाव का शब्दचित्र खीचा गया हैं। मिया नसीरुद्दीन जो छप्पन किस्म की रेटियाँ बनाने के लिए मशहूर हैं, वह अपने मसीहाई अंदाज से रोटी पकाने की कला और उसमे अपने खानदानी महारन को बताने हैं। वे ऐसे व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो अपने पेशे को कला का दर्जा देते हैं, और करके सीखने को असली हुनर मानते हैं।
अति संक्षेप प्रश्न
1. ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ शब्दचित्र की लेखिका कौन है?
उत्तर: मियाँ नसीरुद्दीन शब्दचित्र के लेखिका है कृष्ण सोबती।
2. मियाँ नसीरुद्दीन के वाल्पि किस नाम सो जाने जाने हैं?
उत्तर: मियाँ बरकत शाही नानबाई गढ़यावाले के नाम से जाने जाते हैं।
3. मियाँ नसीरुद्दीन कौन है?
उत्तर: मियाँ नासीरुद्दीन खानदानी नानबाई हैं, जी छप्पन किस्म की रेटियाँ बनाने के लिए मशहूर हैं।
4. ऊनर गए वे जमाने। और गए वे कद्रदान जो पकाने खाने की कद्र करना जानते थे किसका कथन हैं?
उत्तर: मियाँ नसीरुद्दीन का।