Class 11 Hindi Chapter 16 चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती

Class 11 Hindi Chapter 16 चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती Question answer to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapter AHSEC Class 11 Hindi Chapter 16 चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती and select needs one.

Join Telegram channel

SCERT Class 11 Hindi Chapter 16 चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती

Also, you can read the SCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per SCERT (CBSE) Book guidelines. These solutions are part of SCERT All Subject Solutions. Here we have given AHSEC Class 16 चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती Solutions for All Subject, You can practice these here…

चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती

Chapter – 16

काब्य खंड

कवि परिचय:

त्रिलोचन का जन्म 1917 उत्तर प्रदेश जिला सुल्तानपुर के चिरानी पट्टी में हुआ हैं। इनका मूल नाम वासुदेव सिंह हैं। हिन्दी साहित्य में त्रिलोचन प्रगतिशील काव्य धारा के प्रमुख कवि के रूप में प्रतिष्ठित हैं। रागात्मक संयम और लयात्मक अनुशासन के कवि होने के साथ साथ से बहुभाषाविज्ञ शास्त्री भी हैं। इसलिए इनके नाम के साथ शास्त्री भी जुड़ गया हैं। लेकिन यह शास्त्रीयता उनकी कविता के लिए बोझ नहीं बनती। इनकी भाषा छायावादी रुमानियत से मुक्त है, तथा उसका ठाट ठेठ गाँव की जमीन से जुड़ा हुआ हैं। त्रिलोचन बोलचाल की भाषा को चुटीला और नाटकीय बनाकर कविताओं को नया आयाम देता हैं। त्रिलोचन को साहित्य अकादमी, शलाका सम्मान, महात्मा गाँधी पुरस्कार मिला हैं। उनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं-

धरती, गुलाब और बुलबल, दिगंत, ताप के ताये हुए दिन, शब्द, उस जनपद का कवि हूँ, अरधान, तुम्हें सौपता हूँ, चैती, अमोला, मेरा घर, जीने की कला (काव्य) | देशकाल, रोजना मचा काव्य और अर्थबोध, मुक्तिबोध की कविताएँ (गद्य) हिन्दी के ( अनेक कोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान हैं।

(1) चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती

मैं जब पढ़ने लगता हूँ वह आ जाती है।

खड़ी खड़ी चुपचाप सुना करती है 

उसे बड़ा अचरज होता है:

इन काले चीन्हों से कैसे ये सब स्वर

निकला करते हैं

प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती’ नामक कविता से ली गई हैं। इसके कवि हैं, हिन्दी साहित्य के प्रगतिशील काव्यधारा के प्रमुख कवि त्रिलोचन l

प्रस्तुत कविता में शिक्षा व्यवस्था के अन्तविरोधों को उजागर किया है। यहाँ ‘अक्षरों’ के लिए ‘काले काले’ विशेषण का प्रयोग किया गया है। चंपा को पढ़ना-लिखना नहीं आता था। कवि जब भी पढ़ने बैठते थे चंपा वहाँ उपस्थित हो जातीथी। कवि द्वारा उच्चारित शब्दों को वह चुपचाप सुना करती है। उसे बड़ा आश्चर्य होता है। चंपा सदैव सोचा करती हैं, इन काले अक्षरों से कैसे स्वर निकलता है।

(2) चंपा सुंदर की लड़की है

सुन्दर ग्वाला है: गायें-भैंसे रखता है।

चंपा चौपार्यो को लेकर

चरवाही करने जाती हैं l

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने चंपा के विषय में कहा है।

कवि कहता है कि चंपा सुंदर की लड़की हैं। सुंदर एक ग्वाला है, जो गायें-भैंसे रखता है। चंपा अपने पिता के काम में उनकी सहायता करती है। वह गाय-भैसों को लेकर चरवाही करने जाती हैं।

(3) चंपा अच्छी है

चंचल है

नटखट भी है कभी कभी ऊधम करती है

कभी कभी वह कलम चुरा देती है। 

जैसे तैसे उसे ढुंढ़ कर जब लाता हूँ

पाता हूँ अब कागज गायब

परेशान फिर हो जाता हूँ

संदर्भ: कवि कहता है कि चंपा अच्छी है। वह चंचल है और नटखट भी है। कभी-कभी ऊधम भी मचाती हैं। कवि जब लिखने बैठते थे, तब वह कलम चुरा लेती थी। बड़ी मुश्किल से जब कलम ढूंढ़ कर लाते हैं तो उन्हें कागज गायब मिलता है। कवि फिर परेशान हो जाते हैं।

(4) चंपा कहती है: 

तुम कागद ही गोदा करते हो दिन भर 

क्या यह काम बहुत अच्छा है 

यह सुनकर मैं हँस देता हूँ 

फिर चंपा चुप हो जाती हैं।

संदर्भ: चंपा लेखक से कहती हैं, लिखने पढ़ने के नाम पर आप तो केवल कागज का गोदा ही दिनभर बनाते हैं। तो क्या यह काम अच्छा हैं। चंपा की ऐसी बातें सुनकर कवि हँस देते हैं, जिससे चंपा लज्जित होकर चुप हो जाती है।

(5) उस दिन चंपा आई, मैंने कहा कि

चंपा, तुम भी पढ़ लो

हारे गाढ़े काम सरेगा 

गांधी बाबा की इच्छा है

सब जन पढ़ना-लिखना सीखें

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने पढ़ने-लिखने के महत्व पर बल दिया हैं। कवि चंपा को सदैव पढ़ने-लिखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। ये चंपा से कहते हैं कि पढ़ाई जरूरी है। यहीं शिक्षा कठिनाई में काम आयेगा। यहाँ कवि ने गाँधी जी के एक इच्छा का उल्लेख किया हैं। गाँधी जी चाहते थे कि हर व्यक्ति पढ़ना-लिखना सीखें, हर व्यक्ति शिक्षित हो।

(6) चंपा ने यह कहा कि

मैं तो नहीं पढ़ेंगी

तुम तो कहते थे गांधी बाब अच्छे हैं

वें पढ़ने लिखने की कैसे बात कहेगें

मैं तो नहीं पढूंगी।

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने चंपा के माध्यम से समाज में शिक्षा व्यवस्था के अंतविरोधों को उजागर करता है। 

कवि कहते हैं कि चंपा पढ़ाई-लिखाई का विरोध करती है। वह कहती है कि कभी नहीं पड़ेगी। कवि जब गाँधीजी की इच्छा की बात कहते हैं कि वह चाहते हैं कि सभी व्यक्ति को शिक्षा मिले। तव चंपा कहती है, गाँधी बाबा तो अच्छे है, फिर वे कैसे पढ़ने-लिखने की बात कर सकते हैं। चंपा सोचती है, पढ़ाई-लिखाई अच्छे लोगों के लिए नहीं है। अतः वह कहती है, वह नहीं पढ़ेगी।

(7) मैंने कहा कि चंपा, पढ़ लेना अच्छा है

व्याह तुम्हारा होगा, तुम गौने जाओगी,

कुछ दिन बालम संग साथ रह चला जाएगा जब कलकत्ता

बड़ी दूर है वह कलकत्ता

कैसे उसे सँदेसा दोगी

कैसे उसके पत्र पढ़ोगी

चंपा पढ़ लेना अच्छा है

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने चंपा के माध्यम से समाज में शिक्षा व्यवस्था के अंतविरोधों को उजागर करता है।

कवि कहते हैं कि चंपा पढ़ाई-लिखाई का विरोध करती है। वह कहती हैं कि वह कभी नहीं पढ़ेगी। कवि जब गाँधीजी की इच्छा की बात कहते हैं कि वह चाहते हैं कि सभी व्यक्ति को शिक्षा मिलें। तब चंपा कहती है, गाँधी बाबा तो अच्छे हैं, फिर वे कैसे पढ़ने-लिखने की बात कर सकते हैं। चंपा सोचती है पढ़ाई-लिखाई अच्छे लोगों के लिए नहीं है। अतः वह कहती हैं, वह नहीं पढ़ेगी।

(8) चंपा बोली: तुम कितने झुठे हो, देखा,

हाय राम, तुम पढ़-लिख कर इतने झूठे हो

मैं तो ब्याह कभी न करुँगी

और कहीं जो व्याह हो गया

तो मैं अपने बालम को सँग साथ रखूँगी

कलकत्ता मैं कभी न जाने दूँगी

कलकत्ते पर बजर गिरे।

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने शिक्षा के महत्व को दर्शाया है। कवि कहते हैं कि शिक्षा हर व्यक्ति के लिए आवश्यक हैं। कवि चंपा से कहते हैं कि पढ़ाई-लिखाई उसके लिए आवश्यक हैं। क्योंकि एक दिन उसका विवाह होगा और गौने के बाद कुछ दिन पति साथ रहकर जब कलकत्ता चला जायेगा। तब चंपा को पत्र | लिखना या पति को संदेश भेजना पड़ेगा। चंपा अगर पढ़ना-लिखना नहीं जानेगी तो वह पत्र नहीं भेज पायेगी। अतः चंपा का पढ़ना आवश्यक हैं।

प्रश्नोत्तर

1. चंपा ने ऐसा क्यों कहा कि कलकत्ता पर बजर गिरें?

उत्तर: चंपा जो इस काव्य की नायिका है, अनजाने ही उस शोषक व्यवस्था के प्रतिपक्ष में खड़ी हो जाती हैं, जहाँ भविष्य को लेकर उसके मन में अनजान खतरा हैं। अतः वह कहती है, कलकत्ते पर बजर गिरे कलकत्ते पर बजर गिरने की कामना जीवन के खुरदरे यथार्थ के प्रति चंपा के संघर्ष और जीवट को प्रकट करती हैं।

2. चंपा को इस पर क्यों विश्वास नहीं होता कि गाँधी बाबा ने पढ़ने-लिखने की बात कही होगी?

उत्तर: चंपा की धारणा थी कि पढ़ाई-लिखाई जीवन में अनावश्यक हैं। वह सोचती पढ़ाई-लिखाई का अर्थ है, दिनभर कागज का गोदा बनाना। अतः कवि जब कहते हैं कि गाँधी हर व्यक्ति को शिक्षित देखना चाहते हैं तब वह विश्वास नहीं कर पाती कि गाँधी बाबा जैसे अच्छे व्यक्ति यह बात कैसे कर सकते हैं।

3. कवि ने चंपा की किन विशेषताओं का उल्लेख किया हैं।

उत्तर: कवि कहते हैं चंपा अच्छी लकड़ी है। वह चंचल है, नटखट भी है। वह अपने पिता के कामों में उसकी सहायता भी करती थी।

4. आपके विचार में चंपा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मैं तो नहीं पढूँगी ?

उत्तर: चंपा उस शोषक व्यवस्था के प्रतिपक्ष में खड़ी हो जाती है, जहाँ भविष्य को लेकर उसके मन में अनजान खतरा है। चंपा समाज के उस वर्ग के लोगों के प्रतिपक्ष में खड़ी हैं, जो शिक्षा व्यवस्था का विरोध करते हैं।

Leave a Reply

error: Content is protected !!
Scroll to Top
adplus-dvertising