Class 11 Hindi Chapter 10 आत्मा का ताप

Join Telegram channel

Class 11 Hindi Chapter 10 आत्मा का ताप Question answer to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapter AHSEC Class 11 Hindi Chapter 10 आत्मा का ताप and select needs one.

SCERT Class 11 Hindi Chapter 10 आत्मा का ताप

Also, you can read the SCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per SCERT (CBSE) Book guidelines. These solutions are part of SCERT All Subject Solutions. Here we have given AHSEC Class 11 Hindi Chapter 10 आत्मा का ताप Solutions for All Subject, You can practice these here…

आत्मा का ताप

Chapter – 10

गद्य खंड

सारांश:

रजा ने चित्रकला की शिक्षा नागपुर स्कूल आफ़ आर्ट से ली। पिताजी के रिटायर होने के बाद उन्होंने नौकरी ढूढ़ी तथा गोंदिया मे एक स्कूल के ड्राइंग अध्यापक बन गये। इसके बाद इन्हें जे. जे. स्कूल आफ़ आर्ट में अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति मिली। लेकिन जब तक ये मुम्बई पहुँचते जे. जे. स्कूल में दाखिला बंद हो चुका था। तब सरकार ने उन्हें अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी देने की पेशकश की। लेकिन इन्होंने मुम्बई से न लौटने का निश्चय किया। उसी समय रज़ा को एकसप्रेस ब्लॉक स्टूडियों में डिजाइनर की नौकरी मिल गई। एक साल बाद इनकी मेहनत देखकर स्टूडियों मालिक श्री जलील और मैनेजर श्री हुसैन ने इन्हें मुख्य डिज़ाइनर बना दिया। ये दिन भर काम करते और अध्ययन के लिए मोहन आर्ट कल्ब जाते। दिनों ये अपने भाई के परिचित टेक्सी ड्राइवर के यहाँ रहते थे। एक दिन काम खत्म कर जब कमरे पर पहुँचे तो पुलिस वाला खड़ा मिला जो अंदर नहीं जाने दे रहे थे। बाद में कमिश्नर से उन्हें पता चला कि ड्राइवर मित्र की टेक्सी में किसी ने सवारी की छुरा से हत्या कर दी थी। यह सुनकर जलील साहब ने उन्हें आर्ट डिपार्टमेंट में ही एक कमरा दे दिया। रज़ा अपनेकाम के प्रति सच्चे थे। सन् 1948 ई. में बॉम्बे आर्ट्स सोसाइटी में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले कम आयु के कलाकार थे। इन्हें सरकार की ओर छात्रवृत्ति सन् 1943 में आटर्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया प्रदर्शनी की में रजा के दो चित्र प्रदर्शित हुए। और कला समीक्षक रूडॉल्फ़ वान लेडेन ने इनके चित्रों की काफ़ी तारीफ़ की थी। लेखक के दोनों चित्र 40-40 रुपये में बिक गए। कला संग्राहक एम्मेनुएल श्लैसिंगर ने भी इनके काम की प्रंशसा की। प्रोफ़ेसर लैंगहैमर ने इन्हें काम करने के लिए अपना (स्टूडियों दे दिया। ये लेखक के चित्रों का विश्लेषण भी करते थे, तथा इनके चित्रों को | खरीदते भी थे। सन् 1947 में ये जे. जे. स्कूल ऑफ़ के नियमित छात्र बन गए।

सन् 1947 और 1948 ई. जहाँ देश में महत्वपूर्ण घटनाएँ घट रही थी, वहीं लेखक लिए कठिन समय थे। उसी समय उनकी माँ तथा पिता की मृत्यु हुई। उस समय उनकी आयु 25 वर्ष था। जीवन में अचानक ही जिम्मेदारियों का बोझ आ गया। लेकिन उससे उबर वे काम में जुट गए।

सन् 1948 ई. श्रीनगर गये हुए थे उसी समय कश्मीर पर कबायली का आक्रमण हुआ। लेकिन लेखक के पास प्रधानमंत्री शेख अब्दुला का पत्र था। जिससे उनको वहाँ किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई।

श्रीनगर की यात्रा के दौरान उनकी भेंट प्रख्यात फ्रेंच फोटोग्राफटर हेनरी कार्तिए-ब्रेसाँ से हुआ। उन्होंने लेखक के चित्रों की बहुत प्रशंसा की। इसके बाद मुंबई लौटकर फ्रेंच सीखने के लिए अलयांस फ्रांसे में दाखिला लिया। सन् 1950 ई.य में वे फ्रांसीसी सरकार की छात्रवृत्ति पर फ्रांस गए और अध्ययन किया।

लेखक अपने कुटुम्ब वे युवा लोगों, अपने मित्रों को हमेशा काम करने के लिए उत्साहित करते। मनुष्य को सबकुछ मिल सकता है, केवल मेहनत की आवश्यकता हैं। वे कहते थे बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख। भगवद् गीता में भी कहा गया है, जीवन में जो कुछ भी है, तनाव के कारण है। लेखक का प्रारंभिक जीवन संघर्षमय भले ही रहा पर कड़ी मेहनत द्वारा उन्होंने सफलता अर्जित की।

प्रश्नोत्तर

1. रजा ने अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी की पेशकश क्यों नहीं स्वीकार की?

उत्तर: सरकार ने रज़ा को अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी देने की पेशकश की परन्तु इन्होंने स्वीकार नहीं किया क्योंकि रज़ा मुम्बई से नहीं लौटना चाहते थे। वे वहीं रहकर अध्ययन करने का निश्चय किया।

2. बंबई में रहकर कला के अध्ययन के लिए रज़ा ने क्या-क्या संघर्ष किए। 

उत्तर: बंबई में रहकर कला के अध्ययन के लिए रजा ने कड़ा संर्घष किया। उस समय उनके पर्याप्त पैसे नहीं थे, अतः उन्हें एक्सप्रेस ब्लॉक स्टूडियों में डिज़ाइनर की नौकरी करनी पड़ी दिनभर काम करते और फिर अध्ययन के लिए मोहन आर्ट क्लव जाते। उस समय रजा के पास रहने की उचित व्यवस्था नहीं थी। उन्हें अपने भाई के परिचित ड्राइवर मित्र के साथ रहना पड़ता था। उसके बाद उन्हें आर्ट डिपार्टमेंट में ही एक कमरा दिया गया। जहाँ वे फर्श पर ही सोते थे। वे रात ग्यारह बजे तक चित्रकारिता का काम करते थे। 

3. भले ही 1947 और 1948 में महत्वपूर्ण घटनाएँ घटी हो, मेरे लिए वे कठिन बरस थे- रजा ने ऐसा क्यों कहा? 

उत्तर: सन् 1947 और 1948 में जहाँ देश में विभाजन माहात्मा गांधी की हत्या की क्रूर घटनाएँ घट रही थी, वहीं पहले कल्याण वाले घर में रजा की माँ की मृत्यु हो गयी। उसके बाद पिता कल्याण से मंडला लौट आए। और मई 1948 में उनका भी स्वर्गवास हो गया।

4. रज़ा के पंसदीदा फ्रेंच कलाकार कौन थे?

उत्तर: रजा के पसंदीदा कलाकारों में सेजाँ, वॉन गॉग, गोगॉ पिकासो, मातीस, शागाल, और ब्रॉक।

5. तुम्हारे चित्रों में रंग हैं, भावना है, लेकिन रचना नहीं है। चित्र इमारत की ही तरह बनाया जाता है- आधार, नींव, दीवारे, बीन, छत और तब जाकर वह टिकता है- यह बात

(क) किसने किस संदर्भ में कही?

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तिायँ प्रख्यात फ्रेंच फोटोग्राफर हेनरी कार्तिए ब्रेसाँ ने कहीं है। हेनरी कार्तिए ने जहाँ एक तरफ रज़ा के चित्रकारिता की प्रंशसा की हैं, तो दूसरी ओर समस्त युवा चित्रकारों के प्रति संदेह भी व्यक्त किया हैं। उनके अनुसार युवा चित्रकारों में रंग और भावना तो मिलती है, पर उसेमं रचना नहीं होती है। उन्होंने बताया कि चित्र इमारत की तरह होता है, जिसमें आधार, नींव दीवारे, बीम, छत होता, तभी जाकर वह टिकता हैं।

(ख) रजा पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर: रज़ा पर हेनरी कार्तिए का प्रभाव पड़ा। पहले से ही फ्रेंच पेटिंग में रज़ा की रूचि थी, फिर भी वह जानना चाहते थे कि चित्र में रचना था बनावट वास्तव में क्या होती है। अतः उन्होंने फ्रेंच सीखने के लिए अलयांस फ्रांसे में दाखिला ले लिया।

लघु प्रश्नोत्तर

1. आत्मा का ताप के लेखक कौन हैं? 

उत्तर: आत्मा का ताप के लेखक है सैयद हैदर रज़ा।

2. सन् 1943 में रजा को कहाँ अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति मिली? 

उत्तर: रज़ा को जे. जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट मुम्बई में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति मिली। 

3. रजा को कब बाम्बे आर्ट्स सोसाइटी का स्वर्ण पदक मिला था?

उत्तर: सन् 1943 ई. में रज़ा को बाम्बे आर्ट्स सोसाइटी का स्वर्ण पदक मिला था।

4. रज़ा के दो चित्र किस प्रदर्शनी में प्रदर्शित हुए? 

उत्तर: रजा के दो चित्र सन् 1943 में आर्ट्स सोसाइटी आफ़ इंडिया की प्रदर्शनी प्रदर्शित हुए।

5. श्रीनगर की यात्रा में रजा की मुलाकात किससे हुई?

उत्तर: श्रीनगर की यात्रा के दौरान रज़ा की मुलाकात प्रख्यात फ्रेंच फोटोग्राफर हेनरी कार्तिए- ब्रेसाँ से हुई।

6. रजा को कब फ्रांसीसी सरकार द्वारा छात्रवृत्ति मिली?

उत्तर: सन् 1950 में रज़ा को फ्रांसीसी सरकार द्वारा छात्रवृत्ति मिली थी।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top