Class 10 Ambar Bhag 2 Chapter 4 तोड़ती पत्थर

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Class 10 Hindi Ambar Bhag 2 Chapter 4 तोड़ती पत्थर

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तोड़ती पत्थर

पाठ – 4

पद्य खंड

कवि-संबंधी प्रश्न एवं उत्तर:

1. सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हिन्दी काव्य-जगत में किस वाद के प्रतिनिधि कवि थे?

उत्तरः सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हिन्दी काव्य-जगत में छायावाद के प्रतिनिधि कवि थे। 

2. हिन्दी काव्य-जगत में छायावाद को उन्नति के शिखर पर ले जाने का श्रेय किन-किन कवियों को जाता है?

उत्तरः हिन्दी काव्य-जगत में छायावाद को उन्नति के शिखर पर ले जाने का श्रेय जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानन्दन पंत और सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ को जाता है।

3. सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का जन्म कब और कहाँ हुआ था? 

उत्तरः सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का जन्म सन् 1896 में बंगाल के मेदिनीपुर जिले के अन्तर्गत महिषादल नामक स्थान पर हुआ था।

4. निराला के पिता का नाम क्या था?

उत्तरः निराला के पिता का नाम पंडित रामसहाय त्रिपाठी था।

5. निराला के पिता क्या करते थे?

उत्तरः निराला के पिता एक सामान्य कर्मचारी थे।

6. निराला की औपचारिक शिक्षा कहाँ और किस कक्षा तक हुई थी? 

उत्तरः निराला की औपचारिक शिक्षा महिषादल में नौवीं कक्षा तक हुई थी।

7. निराला ने स्वाध्याय के माध्यम से किन-किन भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया था? 

उत्तर: निराला ने स्वाध्याय के माध्यम से अंग्रेजी, बांग्ला और संस्कृत भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया था।

8. निराला को विभिन्न भाषाओं के अतिरिक्त किन विषयों में गहरी रुचि थी?

उत्तरः निराला को विभिन्न भाषाओं के अतिरिक्त संगीत और दर्शन-शास्त्र में गहरी रुचि थी।

9. निराला का विवाह कितने वर्ष की आयु में हुआ? 

उत्तरः निराला का विवाह चौदह वर्ष की आयु में हुआ।

10. निराला की पत्नी का नाम क्या था ? 

उत्तरः निराला की पत्नी का नाम मनोहरा देवी था।

11. निराला को साहित्य सृजन की प्रेरणा किससे मिली?

उत्तरः निराला को साहित्य सृजन की प्रेरणा अपनी पत्नी मनोहरा देवी से मिली।

12. निराला के साहित्यिक जीवन की शुरुआत कब और कैसे हुई? 

उत्तरः निराला के साहित्यिक जीवन की शुरुआत सन् 1920 में ‘समन्वय’ नामक पत्रिका के संपादन से हुई।

13. निराला का देहावसान कब हुआ था? 

उत्तर: निराला का देहावसान सन् 1961 में हुआ था।

14. निराला ने साहित्य की किन-किन विधाओं में अपनी लेखनी का चमत्कार दिखाया है?

उत्तरः निराला ने साहित्य की कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध, जीवनी आदि विधाओं में अपनी लेखनी का चमत्कार दिखाया है।

15. निराला जी के काव्य संग्रह में कौन-कौन-सी रचनाएँ प्रमुख हैं?

उत्तरः निराला जी के काव्य संग्रह में क्रमशः ‘अनामिका’ (दो भाग), ‘परिमल’, ‘गीतिका’, ‘तुलसीदास’, ‘कुकुरमुत्ता’, ‘अनिमा’, ‘नए पत्ते’, ‘बेला’, ‘अर्चना’, ‘आराधना’, ‘गीतगुंज’ और ‘सांध्यकाकली’ आदि रचनाएँ प्रमुख हैं।

16. निराला जी द्वारा रचित उपन्यासों में कौन-कौन विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं?

उत्तरः निराला जी द्वारा रचित उपन्यासों में क्रमशः ‘अप्सरा’, ‘अलका’, ‘निरुपमा’, ‘प्रभावती’, ‘काले कारनामें’, ‘चोटी की पकड़’ आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

17. निराला जी की कौन-कौन-सी कहानियाँ प्रमुख हैं? 

उत्तरः निराला जी की ‘लिली’, ‘सखी’, ‘सुकुल की बीबी’, ‘देवी’ आदि कहानियाँ प्रमुख हैं।

18. निराला जी द्वारा रचित प्रमुख रेखाचित्रों के नाम क्या हैं?

उत्तरः निराला जी द्वारा रचित प्रमुख रेखाचित्रों के नाम क्रमशः ‘कुल्लीभाट् विल्लेसुर’, ‘बकरिहा’, ‘चतुरी चमार’ आदि हैं। 

19. निराला जी की प्रमुख निबंध रचनाएँ और आलोचनाएँ कौन-कौन सी हैं?

उत्तरः निराला जी की प्रमुख निबंध रचनाएँ और आलोचनाएँ क्रमशः ‘प्रबंध पद्म प्रबंध प्रतिमा’, ‘चाबुक’ आदि हैं।

20. निराला जी ने किन-किन महापुरुषों की जीवनी लिखी है ?

उत्तरः निराला जी ने ‘भक्त ध्रुव’, ‘भक्त प्रह्लाद’, ‘भीष्म’, ‘महाराणा प्रताप’ आदि महापुरुषों की जीवनी लिखी है।

21. निराला जी की भाषा की विशेषता क्या है?

उत्तरः निराला जी की भाषा की विशेषता भावानुकूल कोमलता और पौरुष दोनों का सुन्दर समन्वय है। 

22. निराला जी की रचनाओं की भाषा में कैसी शब्दावली की बाहुल्यता दिखाई देती है?

उत्तरः निराला जी की रचनाओं की भाषा में संस्कृत के समासप्रधान शब्दावली के साथ-साथ सरल एवं व्यावहारिक शब्दावली की बाहुल्यता दिखाई देती है। 

23. प्रस्तुत कविता ‘तोड़ती पत्थर’ महाकवि निराला की कैसी रचना है?

उत्तरः प्रस्तुत कविता ‘तोड़ती पत्थर’ महाकवि निराला की एक प्रगीतात्मक रचना है।

सारांश:

प्रस्तुत कविता ‘तोड़ती पत्थर’ में कवि ने सड़क के किनारे दोपहरी की चिलचिलाती धूप में पत्थर तोड़ती हुई एक युवा मजदूरिन के कठिन पुरुषार्थ और संकेतों का यथार्थ चित्रण किया है।

वह मजदूरिन जहाँ काम कर रही है, वहाँ कोई छायादार वृक्ष नहीं है। वह साँवले रंग की सुंदर युवती है, जो आँखें झुकाए मन से अपने पत्थर तोड़ने के काम में लीन है। उसके सामने चहारदीवारी के अन्दर बहुमंजिली इमारतों के पास पेड़ों की लम्बी कतारें हैं। गर्मी की दोपहरी में सूरज आग उगल रहा है। गर्म हवाएँ उसके शरीर को झुलसा रही हैं, उसके पैरों तले धरती जलती हुई रुई के समान तप रही है, धूलकण चिंगारी की तरह उसके अंगों से चिपक रहे हैं और वह इस असह्य गर्मी को झेलती हुई निरन्तर पत्थर तोड़ने के कार्य में लगी हुई है।

पत्थर तोड़ने के क्रम में अनायास ही वह मजदूरिन कवि को अपनी ओर देखते हुए देखती है तो उसकी निरन्तरता भंग हो जाती है और वह सामने भवन की ओर देखने लगती है। कवि को उसकी दृष्टि में दर्द का वह राग सुनाई पड़ता है, जो पहले उसने कभी नहीं सुना था। उससे नजर मिलने के एक क्षण बाद वह मजदूरिन काँपने लगती है और उसका पूरा शरीर पसीना-पसीना हो जाता है। वह अपनी विवश जिन्दगी की वास्तविकता को स्वीकार करते हुए फिर से पत्थर तोड़ने के कार्य में व्यस्त हो जाती है।

शब्दार्थ:

पथ : रास्ता         

छायादार : छायायुक्त 

तले : नीचे         

श्याम : काला  

यौवन : जवानी    

नत : झुकी        

नयन : आँखें      

कर्म : काम      

रत : मग्न, लीन        

गुरु : बड़ा      

हथौड़ा : एक प्रकार का औज़ार जिससे कोई चीज तोड़ने, पीटने, ठोकने या गाड़ते हैं

प्रहार : वार, आघात, मार   

तरु-मालिका : पेड़ों की पंक्ति

अट्टालिका : ऊँचा बहुमंजिला भवन  

प्राकार : चारों ओर से घेरने वाली दीवार, चहारदीवारी       

दीवा : दिन         

तमतमाता चेहरा : धूप के कारण चेहरा का लाल होना  

रुई : शरीर को जलाने वाली गर्मी      

भू : भूमि        

गर्द : धूल   

पाठ्यपुस्तक संबंधित प्रश्न एवं उत्तर

बोध एवं विचार

1. सही विकल्प का चयन कीजिए:

(क) कवि ने पत्थर तोड़नेवाली को देखा था―

(i) इलाहाबाद के पथ पर।

(ii) बनारस के पथ पर।

(iii) ऊँची पहाड़ी पर।

(iv) छायादार पेड़ के नीचे।

उत्तर: (i) इलाहाबाद के पथ पर।

(ख) स्त्री पत्थर किस समय तोड़ रही थी-

(i) सुबह। 

(ii) दोपहर।

(iii) शाम।

(iv) रात।

उत्तर: (iii) दोपहर।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(क) पत्थर तोड़नेवाली स्त्री का परिचय कवि ने किस तरह दिया है? 

उत्तरः पत्थर तोड़नेवाली स्त्री का परिचय देते हुए कवि कहते हैं कि वह साँवले रंग की सुंदर युवती थी जो आँखें झुकाए मन से पत्थर तोड़ने के काम में लीन थी।

(ख) पत्थर तोड़नेवाली स्त्री कहाँ बैठकर काम कर रही थी और वहाँ किस चीज की कमी थी?

उत्तरः पत्थर तोड़नेवाली स्त्री इलाहाबाद में सड़क के किनारे बैठकर काम कर रही थी और वहाँ छायादार वृक्ष की कमी थी।

(ग) कवि को अपनी ओर देखते हुए देखकर स्त्री सामने खड़े भवन की ओर क्यों देखने लगी?

उत्तरः कवि को अपनी ओर देखते हुए देखकर स्त्री सामने खड़े भवन की ओर इसलिए देखने लगी, क्योंकि वह सामाजिक वैषम्य (विषमता) की ओर उसका (कवि का ध्यान आकृष्ट कराना चाहती थी।

(घ) ‘छिन्नतार’ शब्द का क्या अर्थ है?

उत्तर: ‘छिन्नतार’ शब्द का अर्थ ‘टूटी निरन्तरता’ या ‘क्रम-भंग होना’ है।

(ङ) ‘तोड़ती पत्थर’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।

उत्तरः प्रस्तुत कविता में दोपहर की चिलचिलाती धूप में पत्थर तोड़ती हुई एक युवा मजदूरिन के माध्यम से समाज का यथार्थ चित्रण किया गया है। सामाजिक विषमता की मारी निम्न वर्ग की यह सुन्दर मजदूरिन शरीर को झुलसा देनेवाली तपती धूप में पत्थर तोड़ने को मजबूर है। समाज में व्याप्त सामाजिक एवं आर्थिक विषमता तथा जीवन की कठिनाइयों के विरुद्ध संघर्ष को उजागर करना ही इस कविता का प्रतिपाद्य है।

3. निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए:

(क) श्याम तन, भर बँधा यौवन,

नत नयन, प्रिय-कर्म-रत मन,

उत्तरः प्रस्तुत पंक्तियों का भाव यह है कि वह मजदूरिन साँवले रंग की सुंदर युवती थी, लेकिन जीवन की विवशता के कारण उसकी आँखें झुकी हुई थीं। परन्तु वह अपने वर्तमान जीवन से निराश नहीं थी बल्कि अपने क्रांतिकारी उद्देश्यों को पूरा करने के लिए तपती धूप में हथौड़ा लेकर पूरी तन्मयता के साथ पत्थरों से लड़ रही थी।

(ख) सजा सहज सितार,

सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार;

उत्तरः प्रस्तुत पंक्तियों का भाव यह है कि उस युवा मजदूरिन की सहज दृष्टि के सितार पर दर्द का जो राग था, वह राग कवि ने पहली बार सुना था। अर्थात् इस तरह किसी सुन्दर युवती के विवश और मजबूर जीवन की पीड़ा का अनुभव उन्हें आज तक नहीं हुआ था।

भाषा एवं व्याकरण

1. संस्कृत के जो शब्द हिन्दी में ज्यों-के-त्यों प्रयुक्त होते हैं, उन्हें तत्सम कहते हैं और संस्कृत के जो शब्द हिन्दी में थोड़ा परिवर्तन के साथ प्रयुक्त होते हैं, उन्हें तद्भव कहते हैं। सूची में दी गई तत्सम और तद्भव शब्द को ध्यानपूर्वक पढ़िए और समझिए।

तत्समतद्भव (हिन्दी)तत्समतद्भव (हिन्दी)
आम्रआमघोटकघोड़ा
ग्रामगाँवशतसौ
शलाकासलाईकर्णकान
चंचुचोंचहरिद्राहल्दी, हरदी

प्रस्तुत कविता में भी कई तत्सम शब्दों का प्रयोग हुआ है। उन्हें ढूँढ़कर उनका तद्भव रूप लिखिए।

उत्तर: 

तत्समतद्भव
यौवनजवानी
कर्मकाम
दिवादिन
भूभूमि
चिंगारीचिंगारी
दुपहरदोपहर
सुघरसुघड़, सुंदर

2. हिन्दी में अनेक ऐसे शब्द हैं जिनका लिंग, वचन, पुरुष अथवा कारक के कारण रूप परिवर्तन नहीं होता। इन शब्दों को अव्यय या अविकारी शब्द कहते हैं। इसके अंतर्गत क्रिया-विशेषण, समुच्चयबोधक, संबंधबोधक और विस्मयादिबोधक आते हैं। पठित कविता में प्रयुक्त निम्नलिखित अव्ययों से एक-एक वाक्य बनाइए:

बार-बार, सामने, भर, ओर, तले, फिर

उत्तरः बार- बार: वह युवा मजदूरिन बार-बार भारी हथौड़े से पत्थर पर चोट कर रही थी। 

सामने: युवा मजदूरिन के सामने चहारदीवारी के अंदर पेड़ों की कतारें थीं।

भर: उस युवा मजदूरिन की करुण अवस्था को देखकर कवि की आँखें भर आईं। 

ओर: जिस ओर से आवाज आ रही थी, मैं उस ओर चलता गया।

तले: वहाँ कोई छायादार वृक्ष नहीं था, जिसके तले बैठकर वह युवा मजदूरिन काम कर सके।

फिर: वह युवा मजदूरिन फिर से पत्थर तोड़ने के कार्य में व्यस्त हो गई।

3. ‘विशेषण’ का काम संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाना है, जबकि जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाई जाए, उसे ‘विशेष्य’ कहते हैं। जैसे- ‘सुन्दर कलम’ में ‘सुन्दर’ विशेषण है ‘और ‘कलम’ विशेष्य।

पाठ में आए निम्न शब्दों से विशेष्य-विशेषण अलग कीजिए: श्याम तन, नत नयन, गुरु हथौड़ा, सहज सितार

उत्तर: 

शब्दविशेषणविशेष्य
श्याम तनश्यामतन
नत नयननतनयन
गुरु हथौड़ागुरुहथौड़ा
सहज सितारसहजसितार

योग्यता- विस्तार

1. ‘तोड़ती पत्थर’ कविता को कंठस्थ करके कक्षा में सुनाइए। 

उत्तर: छात्रगण स्वयं करें।

2. पठित कविता की भावभूमि पर रचित महाप्राण निराला की अन्य कविताएँ पढ़िए और कक्षा में चर्चा कीजिए।

उत्तर: छात्रगण शिक्षक की मदद लें।

3. अपनी आँखों देखी किसी श्रमिक, मजदूर व किसान की शारीरिक हालत पर एक अनुच्छेद लिखिए।

उत्तर: मैंने देखा, एक किसान को दोपहर की चिलचिलाती धूप में हल चलाते हुए। उसके कमर में सिर्फ धोती थी। उसके पेट और पीठ दोनों मिलकर एक हो गए थे। उसके सूखे होंठ बता रहे थे कि वह प्यासा है। उसके चेहरे की झुर्रियों में निराशा और लाचारी के भाव थे। वह हल के साथ धीरे-धीरे चलते हुए कभी बैलों को मारता था तो कभी उन्हें प्यार से पुचकारता भी था। वहाँ दूर-दूर तक कोई छायादार वृक्ष नहीं था, जिसकी छाया में वह थोड़ी देर बैलों के साथ विश्राम कर सके। वह अपने जीवन की विवशता को समझते हुए आँखें झुकाए हल जोतने में लीन था।

अतिरिक्त प्रश्न एवं उत्तर

● निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

1. प्रस्तुत कविता ‘तोड़ती पत्थर’ में कवि ने युवा मजदूरिन के किस यथार्थ का चित्रण किया है?

उत्तर: प्रस्तुत कविता ‘तोड़ती पत्थर’ में कवि ने युवा मजदूरिन के क्रांतिकारी आशयों एवं संकेतों का यथार्थ चित्रण किया है।

2. प्रस्तुत कविता की कौन-सी बात पाठकों के मन को झंकृत कर देती है? 

उत्तरः प्रस्तुत कविता में शरीर को झुलसा देनेवाली भरी दोपहरी की चिलचिलाती धूप में जहाँ एक कुशल और हृष्ट-पुष्ट मजदूर भी काम करने का साहस नहीं कर सकता, वहाँ एक मजदूरिन का हथौड़ा लेकर पत्थरों से लड़नेवाली बात पाठकों के मन को झंकृत कर देती है।

3. ‘सामने तरु-मालिका अट्टालिका प्राकार’ इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने समाज के किस वर्ग की ओर संकेत किया है? 

उत्तर: ‘सामने तरु-मालिका अट्टालिका प्राकार’ इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने समाज के उच्च वर्ग की ओर संकेत किया है।

4. युवा मजदूरिन जिस परिस्थिति में पत्थर तोड़ रही थी, उसका वर्णन अपने शब्दों में करें।

उत्तरः युवा मजदूरिन जिस परिस्थिति में पत्थर तोड़ रही थी उस समय सूर्य अपनी पूरी चढ़ाई पर था। उसकी किरणें हर पल तीखी होती जा रही थी। सूर्य के प्रचंड ताप से दिन का चेहरा लाल हो चला था। गर्म हवाएँ उस मजदूरिन के शरीर को झुलसा रही थीं। उसके पैरों तले धरती रुई की भाँति तप रही थी और धूलकण चिंगारी की भाँति उसके अंगों से चिपक रहे थे।

5. निराला का संक्षिप्त साहित्यिक परिचय दीजिए। 

उत्तर: निराला छायावाद के प्रतिनिधि कवि थे। छायावाद को उन्नति के शिखर पर ले जानेवाले तीन श्रेष्ठ कवियों में एक नाम उनका भी है।

निराला जी के साहित्यिक जीवन की शुरुआत सन् 1920 में ‘समन्वय’ नामक पत्रिका के संपादन से हुई। उन्होंने साहित्य की अनेक विधाओं में अपनी लेखनी का चमत्कार दिखाया है। हिन्दी काव्य-जगत् में परंपरागत तुकान्त छंदों के साथ-साथ नवीन अतुकांत छंदों का प्रयोग कर उन्होंने एक नए परिवर्तन को जन्म दिया था। ‘अनामिका’ (दो भाग), ‘परिमल’, ‘तुलसीदास’, ‘नए पत्ते’ आदि उनकी प्रमुख काव्यकृतियाँ हैं। उनकी उपन्यास रचनाओं में ‘अप्सरा’, ‘निरुपमा’, ‘काले कारनामे’, ‘चोटी की पकड़’ आदि विशेष रूप से  उल्लेखनीय हैं। उनकी कहानियों में ‘लिली’, ‘सखी’, ‘सुकुल की बीबी’, ‘देवी’ आदि का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। उनके द्वारा रचित रेखाचित्रों में ‘कुल्लीभाट्’, ‘बिल्लेसुर’, ‘बकरिहा’, ‘चतुरी चमार’ आदि तथा निबंध रचनाओं और आलोचनाओं में ‘प्रबंध पद्म प्रबंध प्रतिमा’, ‘चाबुक’ आदि प्रमुख हैं। इसके साथ ही उन्होंने अनेक महापुरुषों जैसे ‘भक्त ध्रुव’, ‘भक्त प्रह्लाद’, ‘भीष्म’, ‘महाराणा प्रताप’ आदि महापुरुषों की जीवनी भी लिखी है। उक्त रचनाओं के अतिरिक्त उन्होंने ‘मतवाला’ और ‘माधुरी’ नामक दो अन्य पत्रिकाओं का भी संपादन किया था। उनकी रचनाओं की भाषा में संस्कृत के समासप्रधान शब्दावली के साथ-साथ सरल एवं व्यावहारिक शब्दावली की बाहुल्यता दिखाई देती है। उनकी भाषा में भावानुकूल कोमलता और पौरुष दोनों का सुंदर समन्वय है। भाषा के इतिहास में ऐसे साहित्यकार कभी-कभी ही देखने को मिलते हैं।

● आशय स्पष्ट किजिए

(क) देखते देखा मुझे तो एक बार… जो मार खा रोई नहीं। 

उत्तरः प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘अंबर भाग – 2’ के ‘तोड़ती पत्थर’ शीर्षक कविता से उद्धृत हैं, जिनके रचयिता सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हैं।

उक्त पंक्तियों में कवि का आशय यह है कि पत्थर तोड़ने के क्रम में जब वह युवा मजदूरिन एकाएक उनको अपनी ओर देखते हुए देखती है तो लज्जित हो जाती है और उसकी निरन्तरता भंग हो जाती है। इसके बाद वह सामने के भवन की ओर देखती है, जो उसे अपनी वर्तमान परिस्थिति की याद दिलाती है। पुनः कवि की ओर दयनीय दृष्टि से देखती हुई फिर से पत्थर तोड़ने के काम में लग जाती है।

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