Assam Jatiya Bidyalay Class 7 Hindi Chapter 4 हिन्दी के साधक

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हिन्दी के साधक

Chapter – 4

অসম জাতীয় বিদ্যালয়

1. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर लिखो (নিম্নলিখিত প্ৰশ্নৰ চমু উত্তৰ লিখা)

(i) हिन्दी भाषा किस भाषा से उत्पन्न हुई है? (হিন্দী ভাষাৰ জন্ম কোন ভাষাৰ পৰা হৈছে?)

उत्तर : हिन्दी भाषा का जन्म प्राचीन खड़ीबोली से हुई है।

(ii) हिन्दी के प्राचीन रूप क्या-क्या है। (হিন্দীৰ প্ৰাচীন ৰূপ কি কি?) 

उत्तर: हिन्दी के प्राचीन रूप संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश भाषा आदि है। 

(iii) ‘द्विवेदी’ युग कब से कबतक माना जाता है? (“দ্বিবেদী যুগ’ কেতিয়াৰ পৰা কেতিয়ালৈকে মনা হয়?)

उत्तर: हिन्दी साहित्य के इतिहास में उनके समय (सन 1901 से सन 2929 ई. तक) को ‘द्विवेदी युग’ मना जाता है।

(iv) महावीर प्रसाद द्विवेदी का जन्म कब और कहाँ हुआ था? (মহাবীৰ প্ৰসাদ দ্বিবেদীৰ জন্ম কেতিয়া আৰু ক’ত হৈছিল?) 

उत्तर: उनका जन्म सन् 1864 ई. को उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले दौलतपुर गाँव में हुआ था।

(v) महावीर प्रसाद द्विवेदी किस पत्रिका के संपादक थे? (মহাবীৰ প্ৰসাদ দ্বিবেদী কোন কাকতৰ সম্পাদক আছিল?)

उत्तर : महावीर प्रसाद द्विवेदी ‘सरस्वती’ पत्रिका के संपादक 

(vi) द्विवेदी जी द्वारा रचित कुल ग्रन्थ कितने है? (দ্বিবেদীৰ দ্বাৰা ৰচিত কেইখন গ্রন্থ আছে?)

उत्तर : द्विवेदी जी द्वारा रचित लगभग 80 ग्रन्थ बताई जाती है। 

(vii) द्विवेदी जी किन भाषाओं को जानते थे? (দ্বিবেদীয়ে কি কি ভাষা জানিছিল?)

उत्तर: द्विवेदी जी हिन्दी, संस्कृत, गुजराती, मराठी, बंगला आदि भाषाओं को जानते थे। 

(viii) खड़ीबोली के विकास में महान योगदान देनेवाले दो महान साहित्यकारों के नाम लिखो। (হিন্দীৰ বিকাশত যোগদান দিয়া দুজন মহান সাহিত্যিকৰ নাম লিখা।) 

उत्तर: खड़ीबोली के विकास में महान योगदान देनेवाले दो महान साहित्यकारों के नाम इस प्रकार है- भारतेन्दु हरिचन्द्र और महावीर प्रसाद द्विवेदी।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के व्याख्यात्मक उत्तर लिखो : (তলত দিয়া প্ৰশ্নৰ ব্যাখ্যামূলক উত্তৰ দিয়া)  

(i) महावीर प्रसाद द्विवेदी का आविर्भाव हिन्दी साहित्य के लिए क्यों उल्लेखनीय है? (মহাবীৰ প্ৰসাদ দ্বিবেদীৰ আবির্ভাব হিন্দী সাহিত্যৰ কাৰণে উল্লেখনীয় কিয়?) 

उत्तर: महावीर ने सबसे पहले पूर्व प्रचलित ब्रजभाषा को सर्वथा त्याग दिया। उसके स्थान पर गद्य, पद्य, निबन्ध जैसी सभी विधाओं की भाषा के रूप में खड़ीबोली को स्वीकार कर लिया। उन्हें आधुनिक हिन्दी का जन्मदाता कहा जाता है। इसीलिए महावीर जी का आविर्भाव हिन्दी साहित्य के लिए सबसे उल्लेखनीय है।

(ii) महावीर प्रसाद द्विवेदी को क्यों महान आचार्य भी कहा जाता है? (মহাবীৰ প্ৰসাদ দ্বিবেদীক মহান গুৰু বুলি কিয় কোৱা হয়?) 

उत्तर: उन्होंने आचार्य की भाँति हिन्दी में रीति को स्थापना की, साहित्य रचना करनेवालो को सुकवि और सुलेखक बना दिया।’ राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, रामनरेश त्रिपाठी, श्रीधर पाठक जैसे महान कवियों का उन्होंने मार्ग दर्शन किया। प्रेमचन्द्र जैसे कहानीकार तथा पंडित रामचन्द्र शुक्ल और बाबू श्यामसुन्दर दास जैसे निबंधकार एवं आलोचक भी उनसे प्रभावित रहे। उन्होंने ऐसी उर्वर परिस्थिति की निर्माण किया जिसमे ये लेखकगण पल्लवित पुष्ति हो सके। इसलिए महावीर जी को महान आचार्य कहा जाता है।

(iii) द्विवेदीजी के जीवन का लक्ष्य क्या था? (দ্বিবেদীজীৰ জীৱনৰ লক্ষ্য কি আছিল?)

उत्तर: द्विवेदीजी के जीवन का लक्ष्य था जनसमाज की सेवा लोगों में शिक्षा का प्रसार हो, उनके ज्ञान की वृद्धि हो, सत्यसाहित्य की ओर उनकी प्रवृत्ति हो, अपने अधिकारों और कर्तव्यों को वे पहचाने, इन्हीं उद्देश्यों से वे लिखते थे। इसलिए उनके लेख समाज सुधार एवं जनरुचि को परिष्कृत करने तथा सत्यसाहित्य को प्रेरणा देनेवाला है।

(iv) महावीर प्रसाद द्विवेदी को एक युग- प्रवर्तक क्यों कहा जाता है? (মহাবীৰ প্ৰসাদ দ্বিবেদীক এটা যুগ প্রৱর্তক কিয় কোৱা হয়?)

उत्तर: महावीर प्रसाद द्विवेदी का नाम खड़ीवोली को प्रयोग और विकास के लिए अत्यन्त उल्लेखनीय है। सबसे पहले उन्होंने पूर्व प्रचलित ब्रजबाषा को सर्वथा त्याग दिया। वे हिन्दी साहित्य जगत के एक महान आचार्य थे। उन्होंने एक आचार्य की भाँति हिन्दी में रीति की स्थापना की, साहित्य रचना करनेवालों को सुकवि और सुलेखक बना दिया। इसी कारण से वे अपने समय से बिना मुकुट के सरताज थे। उन्होंने ऐसी उर्वर परिस्थिति का निर्माण किया जिसमें प्रेमचन्द, पंडित रामचन्द्र शुक्ल, बाबू श्यामसुन्दर दास जैसे लेखक गुण पल्लवित और पुष्पित हो सके। लोगो में शिक्षा का प्रसार हो, उनके ज्ञान की वृद्धि हो, सत्साहित्य की और उनकी प्रवृत्ति अपने अधिकारों और कर्तव्यों को पहचानने के उद्देश्य से वे लिखते थे। इसी कारण उनके लेख समाज सुधार एवं जनरुचि की परिष्कृत तथा सत्साहित्य की प्रेरणा देनेवाला है। हिन्दी साहित्य के इतिहास में सन् 1901 से 1920 ई. तक ‘द्विवेदी युग’ माना गया है। इन सभी कारणों के वजह से एक युग प्रवर्तक माना गया है। 

(v) ‘सरस्वती पत्रिका’ के सम्पादक के रूप में द्विवेदीजी ने क्या किया था? (‘সৰস্বতী পত্রিকা’ৰ সম্পাদক হিচাবে দ্বিৱেদীয়ে কি কৰিছিল?)

उत्तर: द्विवेदीजो ने सन् 1903 से 1920′ तक ‘सरस्वती- पत्रिका’ का सम्पादक बने रहे। उन्होंने इसपत्रिका के द्वारा साहित्य के क्षेत्र में सुरुचि, सुशिक्षा और व्याकरण सम्मत हिन्दी का प्रचार किया। उन्होंने युग, साहित्य तथा समाज के बीच गहरा सम्बन्ध स्थापित किया। 

3. महावीर प्रसाद द्विवेदी को क्यों आधुनिक हिन्दी को व्यवस्थित रूप देने का सारा श्रेय दिया जाता है? (মহাবীৰ প্ৰসাদ দ্বিবেদীক আধুনিক হিন্দীৰ ব্যৱহাৰিক ৰূপ দিয়াৰ কৃতিত্ব কিয় দিয়া হয়?)

उत्तर: द्विवेदीजी के जीवन का लक्ष्य था जनसमाज को सेवा लोगों में शिक्षा का प्रसार हो, उनके ज्ञान की वृद्धि हो, सत्साहित्य की और उनकी प्रवृत्ति हो, अपने अधिकारों और कर्तव्यों को वे पहचाने, इन्हीं उद्देश्यों सें वे लिखते थे। इसलिए उनके लेख समाज सुधार एवं जनरुचि को परिष्कृत करने तथा सत्साहित्य की प्रेरणा देनेवाले हैं। इस प्रकार आधुनिक हिन्दी को व्यवस्थित रूप देने का सारा श्रेय द्विवेदी जी को ही दिया जाता है।

4. हिन्दी भाषा के विकास में ‘सरस्वती पत्रिका’ की भूमिका पर एक टिप्पणी लिखो। (হিন্দী ভাষাৰ বিকাশত ‘সৰস্বতী পত্রিকা’ৰ ভূমিকাৰ ওপৰত এটা টোকা

उत्तर: द्विवेदीजो ने सन् 1903 से 1920′ तक ‘सरस्वती- पत्रिका’ का सम्पादक बने रहे। उन्होंने इसपत्रिका के द्वारा साहित्य के क्षेत्र में सुरुचि, सुशिक्षा और व्याकरण सम्मत हिन्दी का प्रचार किया। उन्होंने युग, साहित्य तथा समाज के बीच गहरा सम्बन्ध स्थापित किया। 

5. एक शब्द में प्रकट करो : (এটা শব্দত প্ৰকাশ কৰা)

जो अनुवाद करता है, जो समालोचना करता है, जो दूर तक देख सकता है, जिसका कोई दुश्मन नहीं है, जो विदेश में रहता है, जो किसी चीज का निर्माण करता है, जिसे देखा नहीं जाता, जो पड़ा-लिखा न हो

उत्तर: जो अनुवाद करता है – अनुवादकर्ता।

जो समालोचना करता है – समालोचनकर्ता। 

जो दूर तक देख सकता है – दुरदर्शी।

जिसका कोई दुश्मन नहीं है – अजातशत्रु। 

जो विदेश में रहता है – विदेशी।

जो किसी चीज का निर्माण करता है – निर्माता। 

जिसे देखा नहीं जाता – अदृश्य। 

जो पड़ा-लिखा न हो – अनपढ़।

Inside Questions

1. खड़ीबोली के प्रयोग और विकास में किनका देन अत्यन्त उल्लेखनीय है? (হিন্দীৰ প্ৰয়োগ আৰু বিকাশত কাৰ অৱদান উল্লেখনীয়?) 

उत्तर: खड़ीबोली के प्रयोग और विकास में भारतेन्दु हरिचन्द्र और महावीरप्रसाद द्विवेदी का देन अत्यन्त उल्लेखनीय है। 

2. पहले जमाने में ज्यादातर कविताएँ किस भाषा में लिखी जाती थी? (পুৰণি কালত বেছিভাগ কবিতা কোন ভাষাত লিখা হৈছিল?) 

उत्तर: पहले जमाने में ज्यादातर कविताएँ ब्रजभाषा में लिखी जाती थी।

3. महावीर प्रसाद द्विवेदीजी का जन्म कब और कहाँ हुआ था? 

(মহাবীৰ প্ৰসাদ দ্বিবেদীৰ জন্ম কেতিয়া আৰু ক’ত হৈছিল?)

उत्तर: महावीर प्रसाद द्विवेदीजी का जन्म सन् 1864 ई. में उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के दौलतपुर गाँव में हुआ था।

4. द्विवेदीजी के ग्रन्थों की संख्या कितना है? (দ্বিবেদীৰ গ্ৰন্থৰ সংখ্যা কিমান?)

उत्तर: द्विवेदीजी के ग्रन्थों की संख्या लगभग 80 बताई जाती है। 

5. द्विवेदीजी के मुख्य काव्य कृतियाँ क्या है? (দ্বিবেদীৰ মুখ্য কাব্যসমূহ কি কি?) 

उत्तर: द्विवेदीजी के मुख्य काव्य कृतियाँ- ‘काव्य मंजुषा’, ‘सुमन’, ‘गंगा लहरी’, ‘ऋतु-तरंगिणी’ आदि है। 

6. द्विवेदीजी किस समय से किस समय तक ‘सरस्वती’ पत्रिका का सम्पादक बने रहे?(দ্বিবেদী কোন সময়ৰ পৰা কোন সময়লৈকে ‘সৰস্বতী’ পত্ৰিকাৰ সম্পাদক আছিল?) 

उत्तर: द्विवेदीजी सन् 1903 से 1920 सन् तक ‘सरस्वती’ पत्रिका का सम्पादक बने रहे।

7. हिन्दी साहित्य में उनके युग को क्या कहा गया है? (হিন্দী সাহিত্যত তেওঁৰ যুগক কি বুলি কোৱা হয়?) 

उत्तर: हिन्दी साहित्य के इतिहास में सन् 1901 से सन् 1920 ई. तक ‘द्विवेदी में युग’ कहा गया है।

8. द्विवेदीजी का मृत्यु कब हुआ? (দ্বিৱেদীৰ মৃত্যু কেতিয়া হৈছিল?

उत्तर: द्विवेदीजी का मृत्यु सन् 1938 ई. में हुआ था।

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