Assam Jatiya Bidyalay Class 7 Hindi Chapter 3 असम का वृन्दावन

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असम का वृन्दावन

Chapter – 3

অসম জাতীয় বিদ্যালয়

1. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दो: (তলত দিয়া প্ৰশ্নৰ উত্তৰ দিয়া)

१ . बरपेटा सत्र का निर्माण किसने किया था? (বৰপেটা সত্ৰৰ নিৰ্মাণ কোনে কৰিছিল?) 

उत्तर: बरपेटा सत्र का निर्माण महापुरुष माधवदेव ने किया था।

२ . माधवदेव बरपेटा सत्र को किसके समान पवित्र मानते थे? 

(মাধৱদেৱে বৰপেটা সত্ৰক কাৰ সমান পৱিত্র বুলি ভাবিছিল?)

उत्तर: माधवदेव बपरेटा सत्र को ‘मथूरापुरी’ और ‘वृन्दावन’ के समान पवित्र मानते थे।

३ . ‘ कीर्तन घर’ का निर्माण पाँचवी बार के लिए कब किया गया था? (‘কীৰ্তন ঘৰ’ৰ নিৰ্মাণ পাঁচ বাৰত কেতিয়া কৰা হৈছিল?)

उत्तर: चौथी बार ‘कीर्तन घर’ का निर्माण करने के बाद जब भूकंप ने फिर इसको हानि पहुंचायी तब वहाँ के लोगों ने बहुत मेहनत करके इसे पाँचवी बार के लिए बनवाया था।

४ . बरपेटा सत्र के प्रवेश द्वार कितने है? (বৰপেটা সত্ৰৰ কেইটা প্ৰৱেশ দুৱাৰ আছে?)

उत्तर: बरपेटा सत्र के तीन प्रवेश-द्वार है।

५ . शंकरदेव के जन्मोत्सव पर यहाँ किन नाटकों को प्रदर्शित किया जाता है? (শংকৰদেৱৰ জন্ম তিথিত ইয়াত কোন নাটকৰ প্ৰদৰ্শন কৰা হয়?)

उत्तर: शंकरदेव के जन्मोत्सव पर यहाँ ‘कालीय दमन’ और ‘राम विजय’ अंकोया नाटकों को प्रदर्शित किया जाता है। 

६. भवानीपुर सत्र का निर्माण किसने किया था? (ভৱানীপুৰ সত্ৰৰ নিৰ্মাণ কোনে কৰিছিল?)

उत्तर: भवानीपुर सत्र का निर्माण गोपाल आता ने किया था। 

2. पढ़ो, समझो और लिखो : (পঢ়া, বুজা আৰু লিখা)

सत्र (সত্ৰ)स्थान (স্থান)निर्माता (নিৰ্মাতা)
1. पाटवाउसीबरपेटाशंकरदेव
2. जनीया सत्रबरपेटानारायण दास ठाकुर
3. आउनीआटी सत्रमाजुलीजयधुज सिंहा
4. गड़मूर सत्रमाजुलीजयधुज सिंहा
5. भवानीपुर सत्रबरपेटागोपाल आता
6. सुन्दरीदिया सत्रबरपेटामाधवदेव

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो: (তলত দিয়া প্ৰশ্নৰ উত্তৰ দিয়া) 

१ . शंकरदेव और माधवदेव द्वारा बरपेटा में स्थापित चार-चार सत्र के नाम लिखो। (শংকৰদেৱ আৰু মাধৱদেৱৰ দ্বাৰা বৰপেটাত স্থাপিত চাৰি সত্ৰৰ নাম লিখ।) 

उत्तर: शंकरदेव ने ‘चुणपोरा थान’, ‘कमारकुछि थान’ और ‘पाटवाडसी सत्र’ का निर्माण किया था। 

माधवदेव ने ‘बरपेटा सत्र’, ‘गणककुछि सत्र’, ‘सुन्दरीदिया सत्र’, ‘वारादि सत्र’ आदि जैसे सत्रों का निर्माण किया था।

२. राजेन्द्र क्या सोच रहा था? (ৰাজেন্দ্ৰই কি ভাবি আছিল?)

उत्तर: राजेन्द्र प्राचीन कीर्तन घर के संबंध में सोच रहा था। 

३. बरपेटा के ‘कीर्तन घर’ में कितने ‘गुरु आसन’ है ? वहाँ क्या क्या रखे हुए है? (বৰপেটাৰ ‘কীৰ্তন ঘৰ’ত কেইখন ‘গুৰু আসন’ আছে? তাত কি কি থোৱা আছে?)

उत्तर: बरपेटा के ‘कीर्तन घर’ के अन्दर तीन ‘गुरु आसन’ है। इसकी ‘थापना’ में शंकरदेव और माधवदेव द्वारा लिखित शास्त्र रखे हुए हैं। गुरु आसन के सम्मुख बारह दीये जलाये जाते है। इन दीयों में तीन दीये दिन-रात जलते रहते है।

४. गुरु आसन के सम्मुख कितने दीये जलाये जाते है? और क्यों? (গুৰু আসনৰ সন্মুখত কেইটা চাকি জ্বলোৱা হয়? আৰু কিয়?) 

उत्तर: गुरु आसन के सम्मुख बारह दीये जलाये जाते हैं। ये बारह दोये बारह आतापुरुषों के नाम पर जलाये जाते है। इस दीयों में तीन दीये दिन-रात जलते रहते है। 

५. बरपेटा की सत्रों को मिलनभूमि क्यों कहा जाता है? (বৰপেটাক সত্ৰৰ মিলনভূমি বুলি কিয় কোৱা হয়?) 

उत्तर: बरपेटा में अलग-अलग महापुरुषों ने अलग-अलग सत्रों का निर्माण किया था। इसलिए बरपेटा को सत्रों की मिलनभूमि कहा जाता है। 

4. बरपेटा के ‘कीर्तन घर’ के सम्बन्ध में एक लेख लिखो। (বৰপেটাৰ ‘কীৰ্তন ঘৰ’ৰ বিষয়ে এটা টোকা লিখা।) 

उत्तर: आज का जो बरपेटा का ‘कीर्तन घर’ है, वह प्राचीन ‘कीर्तन घर’ नहीं है। आज के कीर्तन घर का निर्माण सन 1952 को किया गया था। प्राचीन ‘कीर्तन घर’ के सरल पेड़ के बड़े-बड़े खभों को हटाकर आज वहाँ दो तुलसी पेड़ के बड़े-बड़े खंभो लगा दिये गये है। सबसे पहले माधवदेव ने इसे 1583 ई. में उत्तरी दक्षिणी दिशा करके निर्माण किया था। दो वर्ष उनके चाहने पर इसे पूर्वी-पश्चिमी दिशा करके बनवाया गया। सन 1595 में आग लगने पर यह जल गया, तब माधवदेव के कहने पर उनके प्रधान शिष्य मथुरादास ने पुनः उसका निर्माण किया था। 

लेकिन उन्नीसवी सदी में मान लोगो ने आकर इसे फिर जला दिया था। तब पास-पड़ोस के लोगो ने बड़ी मेहनत से इसका निर्माण चौथी बार किया। इसके बाद भूंकप ने फिर इसको हानि पहुँचायी और एक बार फिर वहाँ के लोगो ने मिलकर इसे पाँचवी बार बनाया।

‘कीर्तन घर’ के अन्दर तीन ‘गुरु आसन’ है। इसकी ‘थापना’ में शंकरदेव और माधवदेव द्वारा लिखित शास्त्र रखे हुए है। ‘गुरु आसन’ के सम्मुख वारह दीये जलाये जाते है। इन दीयों में तीन दीये दिन-रात जलते रहते है। 

5. चर्चा करों : (লিখা)

बरपेटा सत्र की तरह माजुली में स्थित सत्रों के बारे में चर्चा करो। (বৰপেটা সত্ৰৰ দৰে মাজুলীত স্থিত সত্ৰৰ বিষয়ে লিখা।)

उत्तर: माजुली में स्थित सबसे बड़ी तीन सत्रों के नाम इस प्रकार है ― आउनीआटी सत्र, दक्षिणपट सत्र और गड़मूर सत्र इन सत्रों का निर्माण राजा जयधूज सिंहा ने किया था। उन्होंने इन सत्रों के द्वारा लोगो को ‘कर मुक्त जमीन’, ‘धन’ और ‘ज्ञानी शिष्य’ प्रदान किया था।

6. निम्नलिखिथ शब्दों के अर्थ पार्थक्य लिखो : (নিম্নলিখিত শব্দৰ অৰ্থ লিখা)

पानी-पाणि, कुल-कूल, कलि-कली, बलि-बली, दिन-दीन,सर्ग-स्वर्ग,

उत्तर :  पानी – जल।

पाणि – हाथ।

बलि – बलिदान।

बली – बलबान।

कुल – संपूर्ण।

कूल – वंश।

दिन – दिवस।

दीन – गरीब।

कलि – कलियुग।

कली – अर्धखिला फूल।

सर्ग – अध्याय।

स्वर्ग – देवलोक।

Inside Questions

1. बरपेटा सत्र की स्थापना कब और किसने की थी? (বৰপেটা সত্ৰৰ স্থাপনা কেতিয়া আৰু কোনে কৰিছিল?) 

उत्तर: बरपेटा सत्र की स्थापना महापुरुष माधवदेव ने सन 1583 ई. में की थी। 

2. मादवदेव द्वारा निर्मित कुछ सत्रों के नाम लिखिए। (মাধৱদেৱৰ দ্বাৰা নিৰ্মিত, কেইখনমান সত্ৰৰ নাম লিখা।)

उत्तर: माधवदेव ने ‘बरपेटा सत्र’, ‘गणककुछि सत्र’, ‘सुन्दरीदिया सत्र’ ‘वारादि सत्र’, ‘कापला, सत्र’ ‘गोमरा सत्र’ आदि निर्माण किया था।

3. नारायण दास ठाकुर आता द्वारा निर्मित कुछ सत्रों का नाम लिखिए। (নাৰায়ণ দাস ঠাকুৰ আতাৰ দ্বাৰা নিৰ্মিত সত্ৰৰ নাম লিখা।) 

उत्तर: ‘जनीया सत्र’ ‘कनरा’ सत्र’ और ‘मयनबरी सत्र’।

4. सत्रों के स्थापना की क्या वजह थी? (সত্ৰ স্থাপনৰ কি কাৰণ আছিল?)

उत्तर: सत्राधिकारण, सत्रों की स्थापना द्वारा लोगो को धर्म और न्याय के प्रति आकर्षित करना चाहते थे, मन के भेद-भाव को मिटाकर एकता को बढ़ाना चाहते थे।

5. ‘कीर्तन घर’ का निर्माण कितनी बार हुआ है? (‘কীৰ্তন ‘ঘৰ’ৰ নিৰ্মাণ কেইবাৰ হৈছে?)

उत्तर: ‘कीर्तन घरं’ का निर्माण 6 बार हुआ है।

6. आज के ‘कीर्तन घर’ का निर्माण कब किया गया था? (বৰ্তমান ‘কীৰ্তন ঘৰ’ৰ নিৰ্মাণ কেতিয়া হৈছিল?)

उत्तर: 1962

7. माधवदेव के कीर्तन महोत्सव के दिन किन नाटकों को प्रदर्शित किया जाता है? (মাধৱদেৱৰ কীৰ্ত্তন মহোৎসৱৰ দিনা কোনবোৰ নাটক প্রদর্শিত কৰা হয়?)

उत्तर: माधवदेव के कीर्तन महोत्सव के दिन ‘रुक्मिणी हरण” और ” पारिजात हरण’ अंकीया नाटक प्रदर्शित किया जाता

8. ‘वृन्दावनी वस्त्र’ का निर्माण किसने और कहाँ किया था? (বৃন্দাবনী বস্ত্ৰ’ৰ নিৰ্মাণ কোনে আৰু ক’ত কৰিছিল?) 

उत्तर: ‘वृन्दावनी वस्त्र’ का निर्माण शंकरदेव ने अपने शिष्यों और जुलाहों की मदद से बरपेटा में किया था।

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